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- डॉ. मनमोहन प्रकाश
मैं पर्यावरण देश के मतदाताओं से, राजनीतिक पार्टियों से, चुनाव में खड़े प्रत्याशियों से अपनी पीड़ा साझा करना चाहता हूं, सुधार हेतु प्रयास करने के लिए अनुरोध करना चाहता हूं। जैसा की आप सभी भारतीयों को ज्ञात है कि भारत में लोकसभा चुनाव-2024 की तारीखें घोषित हो चुकी है।इसी संदर्भ में सभी राजनैतिक पार्टियां जीत दिलाने वाले प्रत्याशियों के चयन के साथ ही उनकी जीत सुनिश्चित करने के लिए चुनावी सभाओं, रैलियों, मीटिंगों को आयोजित करने में व्यस्त हैं।
सभी प्रत्याशी अपने समर्थन में पार्टी के स्टार प्रचारक नेताओं की सभाएं आयोजित करने के लिए प्रयास रत हैं। जीत के लिए किये जा रहे प्रयासों में कोई कमी न रहे इस हेतु प्रत्याशी और उनके समर्थक मतदाताओं के घर- घर जाकर वोट मांग रहे हैं , ज्यादा से ज्यादा मतों से जिताने के लिए मतदाताओं से अनुरोध कर रहे हैं। मतदाताओं को आश्वासन भी दे रहे हैं कि मेरी जीत न सिर्फ मतदाताओं की जीत होगी अपितु मतदाताओं और चुनाव क्षेत्र की समस्याओं का निदान और विकास भी सुनिश्चित करेगी।
साथ ही जीत के बाद मेरा लक्ष्य रहेगा अपने मतदाताओं के सुख-दुख में शामिल होना और लोकसभा क्षेत्र के साथ प्रदेश के हितों का ध्यान रखना , देश की आन-बान-शान के लिए काम करना और राष्ट्रीय हितों को सबसे ऊपर स्थान देना, प्राथमिकता प्रदान करना। मेरा संकल्प रहेगा कि मेरा देश आत्मनिर्भर बने , विकसित राष्ट्र की सूची में स्थान प्राप्त करे तथा उसकी अर्थ व्यवस्था विश्व की तीसरी अर्थव्यवस्था के लक्ष्य को शीघ्र हासिल करे।
प्रचार में पर्यावरण विषय प्रचार माध्यमों से लगभग नदारद दिखाई दे रहा है, आगे भी शायद दिखाई देता रहे तो कोई आश्चर्य नहीं। वो भी तब जब चुनाव ग्रीष्म ऋतु में हो रहे हैं और इस ऋतु की शुरुआत में ही कई छोटे-बड़े शहर पानी की किल्लत से जूझते नजर आ रहे हैं। नदी, जलाशय, भूमिगत जल स्रोत दम तोड़ते दिखाई दे रहे हैं। जनता नलों से जल आपूर्ति के स्थान पर टेंकरों से जल आपूर्ति पर निर्भर रहने के लिए मजबूर है तथा शुद्ध पेयजल के लिए पानी की केन/बोतल आदि पर निर्भरता बढ़ सकती है। किसानों को पराली जला कर नयी फसल के लिए खेतों की जमीन तैयार करने के अलावा कोई रास्ता/ साधन भी नज़र नहीं आ रहा है।