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गैस पर आधारित अर्थव्यवस्था खड़ी करने की कोशिश

  • हरदीप एस पुरी
    मोदी सरकार भारतीय उपभोक्ताओं को अंतरराष्ट्रीय तेल और गैस की कीमतों में उतार-चढ़ाव से बचाने के लिए कई उपाय कर रही है। जनवरी, 2021 से फरवरी, 2023 के बीच अंतरराष्ट्रीय गैस की कीमतों में 228% की आश्चर्यजनक वृद्धि के बावजूद, भारत में सीएनजी की कीमतों में वृद्धि को 83% तक सीमित रखा गया है, जो वैश्विक वृद्धि का केवल एक तिहाई है। राजनीतिक तौर पर विरोध कहने वाले, बढ़ती कीमतों की आलोचना करने की हड़बड़ी में, यह देखने में विफल रहते हैं कि अन्य प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं की तुलना में भारत ने अपने नागरिकों को अत्यधिक मूल्य अस्थिरता से बचाने के लिए कितने अच्छे कदम उठाये हैं।
    घरेलू प्रशासित मूल्य व्यवस्था (एपीएम), गैस आवंटन को बढ़ाने और गैर-प्राथमिकता वाले क्षेत्रों से परिवहन और घरेलू क्षेत्रों में गैस की आपूर्ति करने जैसे सक्रिय उपायों के माध्यम से दूरदर्शी शासन-व्यवस्था ने इसे संभव बनाया है। हाल ही में, महत्वपूर्ण एपीएम गैस मूल्य निर्धारण सुधारों की एक श्रृंखला को मंजूरी देने से संबंधित कैबिनेट निर्णय इस उद्देश्य को और आगे बढ़ाएगा। इन सुधारों के द्वारा दो प्रमुख लक्ष्यों को हासिल किया गया है – पहला, अत्यधिक मूल्य अस्थिरता से भारतीयों की रक्षा करना और गैस आधारित क्षेत्रों में योजनाबद्ध पूंजीगत व्यय से जुड़े निवेश के लिए स्पष्ट रूपरेखा प्रदान करना और दूसरा, अन्वेषण और उत्पादन (ईएंडपी) में नवाचार और निवेश को और बढ़ावा देना।
    नए घरेलू गैस मूल्य निर्धारण दिशानिर्देश, 2014 की सीमाओं के कारण युक्तिकरण और सुधार (आर एंड आर) की आवश्यकता सामने आयी, जो हाल तक, चार अंतरराष्ट्रीय केंद्रों पर गैस की मात्रा-भारित औसत कीमत के आधार पर एपीएम की कीमतों को निर्धारित करती थी। इन कीमतों का प्रभाव एक महत्वपूर्ण समय अंतराल (6-9 महीने) के बाद पड़ता था और इससे कीमतों में उच्च अस्थिरता मौजूद रहती थी, यहां तक कि पिछले कुछ वर्षों में दो उत्पादक देशों की गैस हब कीमतों ने अपनी प्रासंगिकता खो दी है। उदाहरण के लिए, अक्टूबर 2020 और सितंबर 2021 के बीच एपीएम मूल्य 1.79 डॉलर प्रति एमएमबीटीयू रहा, जो नामित क्षेत्रों के लिए 3.5 डॉलर प्रति एमएमबीटीयू की उत्पादन लागत से बहुत कम है। इस अवधि के दौरान, पश्चिम भारत में एलएनजी की कीमतों का औसत लगभग 11 डॉलर प्रति एमएमबीटीयू रहा था। संक्षेप में, घरेलू उत्पादन को एलएनजी की कीमतों के 20% से भी कम मूल्य प्राप्त हुआ। हालांकि, रूस-यूक्रेन संकट के बाद अंतरराष्ट्रीय हब की कीमतों में 400% की वृद्धि के कारण सितंबर 2021 में उक्त एपीएम की कीमतें सितंबर 2021 के 1.79 डॉलर प्रति एमएमबीटीयू से बढ़कर अक्टूबर 2022 में 8.57 डॉलर प्रति एमएमबीटीयू हो गईं, जिसका उर्वरक, बिजली और सिटी गैस वितरण (सीजीडी) क्षेत्र पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा। सरकार ने घरेलू गैस उपभोक्ताओं के साथ-साथ राष्ट्रीय तेल कंपनियों को इस तरह की अस्थिरता से बचाने का फैसला किया, एपीएम की कीमतों को मासिक आधार पर निर्धारित किए जाने वाले भारतीय क्रूड बास्केट मूल्य के 10% पर रखने के साथ-साथ नामांकन क्षेत्रों के लिए 6.5 डॉलर प्रति एमएमबीटीयू के अधिकतम सीमा और 4.5 डॉलर प्रति एमएमबीटीयू की न्यूनतम सीमा तय की गयी। अधिकतम सीमा पिछले 20 वर्षों के भारतीय कच्चे तेल की कीमत (लगभग 65 डॉलर प्रति बीबीएल) के 10% पर निर्धारित की गई है, जबकि न्यूनतम मूल्य का निर्धारण, नामांकन क्षेत्रों से गैस उत्पादन के लिए लगभग 3.5 डॉलर प्रति एमएमबीटीयू के उत्पादन की सीमांत लागत पर विचार करता है।
    अधिकांश भारतीय दीर्घकालिक एलएनजी अनुबंध, ब्रेंट से लगभग 13% अधिक पर केन्द्रित रहे थे। एलएनजी अनुबंधों में द्रवीकरण, परिवहन और पुनर्गैसीकरण की लागतों को ध्यान में रखते हुए, घरेलू गैस, एपीएम कीमतों से 10% अधिक रही। इन सुधारों के बाद, घरों के लिए खाना पकाने के ईंधन (पीएनजी) की औसत लागत लगभग 10% कम हो गई है और सीएनजी कीमतों में 6-7% की गिरावट दर्ज की गयी है। कठिन क्षेत्रों (डीपवाटर, अल्ट्रा डीपवाटर और एचपी-एचटी फील्ड) से गैस उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए सरकार ने मार्च 2016 में अधिसूचित किया था कि एचटीएचपी की अधिकतम कीमतों को आयातित वैकल्पिक ईंधन जैसे एलएनजी और आयातित ईंधन तेल के यहाँ तक पहुँचने के मूल्य के आधार पर निर्धारित किया जाना चाहिए। इस सरकार से पहले, इन क्षेत्रों से उत्पादन को व्यावहारिक नहीं माना जाता था। आज, कठिन क्षेत्रों से उत्पादन, कुल घरेलू गैस उत्पादन के लगभग 20% तक पहुंच गया है और अगले कुछ वर्षों में इसके 30% तक पहुंचने की उम्मीद है। इन क्षेत्रों से उत्पादन की प्रकृति, जटिलता और व्यावहारिकता को ध्यान में रखते हुए, उनके नियम में कोई बदलाव नहीं किया गया है।
    भारत तेल और गैस परिचालन के लिए तेजी से अवसंरचना का विस्तार कर रहा है तथा उपभोक्ताओं और उत्पादकों दोनों के हितों को संतुलित करने के लिए नीतिगत सुधारों को क्रियान्वित कर रहा है। भारत ने अपने गैस पाइपलाइन नेटवर्क की लंबाई 2014 के 14,700 किलोमीटर से बढ़ाकर 2023 में 22,000 किलोमीटर कर दी है। घरेलू कनेक्शन की संख्या 2014 के 22.28 लाख से बढ़कर 2023 में 1.03 करोड़ हो गई है।
    भारत में सीजीडी से कवर किये गए जिलों की संख्या 2014 के 66 से बढ़कर 2023 में 630 हो गयी है, जबकि सीएनजी स्टेशन 2014 के 938 से बढ़कर 2023 में 5,283 हो गए हैं। भारत की एलएनजी टर्मिनल पुनर्गैसीकरण क्षमता 2014 के 21.7 एमएमटीपीए से बढ़कर 2023 में 42.7 एमएमटीपीए हो गई है, जबकि 20 एमएमटीपीए क्षमता निर्माणाधीन है। प्राकृतिक गैस की बढ़ती मांग के साथ, भारत अपने ऊर्जा-स्रोतों में व्यापक बदलाव के लक्ष्यों के हिस्से के रूप में गैस आधारित अर्थव्यवस्था को साकार करने के मार्ग पर है। भारत के लिए एक स्वच्छ, हरित और सतत ऊर्जा भविष्य का विजन तेजी से वास्तविकता बन रहा है।

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