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भारत में संप्रभु क्रेडिट रेटिंग को उन्नत करने का विचार

  • प्रहलाद सबनानी
    वैश्विक स्तर पर विभिन्न देशों की सावरेन क्रेडिट रेटिंग पर कार्य कर रही संस्था स्टैंडर्ड एंड पूअर ने हाल ही में भारतीय अर्थव्यवस्था का आंकलन करते हुए भारत के सम्बंध में अपने दृष्टिकोण को सकारात्मक किया है एवं कहा है कि वह भारत की सावरेन क्रेडिट रेटिंग को अपग्रेड करने के उद्देश्य से भारत के आर्थिक विकास सम्बंधी विभिन्न पैमानों का एवं भारत के राजकोषीय घाटे से सम्बंधित आंकड़ों का लगातार अध्ययन एवं विश्लेषण कर रहा है। यदि उक्त दोनों क्षेत्रों में लगातार सुधार दिखाई देता है तो भारत की सावरेन क्रेडिट रेटिंग को अपग्रेड किया जा सकता है। वर्तमान में भारत की सावरेन क्रेडिट रेटिंग BBB- है, जो निवेश के लिए सबसे कम रेटिंग की श्रेणी में गिनी जाती है।
    किसी भी देश की सावरेन क्रेडिट रेटिंग को यदि अपग्रेड किया जाता है तो इससे उस देश में विदेशी निवेश बढ़ने लगते हैं क्योंकि निवेशकों का इन देशों में पूंजी निवेश तुलनात्मक रूप से सुरक्षित माना जाता है। साथ ही, अच्छी सावरेन क्रेडिट रेटिंग प्राप्त देशों की कम्पनियों को अन्य देशों में पूंजी उगाहना न केवल आसान होता है बल्कि इस प्रकार लिए जाने वाले ऋण पर ब्याज की राशि भी कम देनी होती है। किसी भी देश की जितनी अच्छी सावरेन क्रेडिट रेटिंग होती है उस देश की कम्पनियों को कम से कम ब्याज दरों पर ऋण उगाहने में आसानी होती है।
    भारत में हाल ही में केंद्र में नई सरकार के गठन सम्बंधी प्रक्रिया सम्पन्न हो चुकी है। प्रधानमंत्री श्री नरेंद मोदी सहित केंद्रीय मंत्रीमंडल के समस्त सदस्यों को विभागों का आबंटन भी किया जा चुका है। केंद्र सरकार द्वारा पिछले दस वर्षों के दौरान लिए गए आर्थिक निर्णयों का भरपूर लाभ देश को मिला है। इससे देश के आर्थिक विकास को गति मिली है एवं आज भारत, विश्व में सबसे तेज गति से आगे बढ़ती अर्थव्यवस्था बन गया है। गरीबी रेखा के नीचे जीवन यापन करने वाले नागरिकों की संख्या में अपार कमी दृष्टिगोचर है। देश में बहुत बड़े स्तर पर वित्तीय समावेशन हुआ है, जनधन योजना के अंतर्गत 50 करोड़ से अधिक बैंक बचत खाते खोले जा चुके हैं एवं इन बचत खातों में आज लगभग 2.50 लाख करोड़ रुपए की राशि जमा है, इस राशि का उपयोग देश के आर्थिक विकास के लिए किया जा रहा है। रोजगार के नए अवसर भारी संख्या में निर्मित हुए हैं। देश में प्रति व्यक्ति आय भी बढ़कर लगभग 2200 अमेरिकी डॉलर प्रतिवर्ष तक पहुंच गई है। देश के कुछ राज्यों में तो किसानों की आय दुगने से भी अधिक हो गई है।
    भारत में विदेशी निवेश भारी मात्रा में होने लगा है एवं बहुराष्ट्रीय कम्पनियां अपनी विनिर्माण इकाईयों की स्थापना भारत में ही करने लगी हैं। इससे देश में विनिर्माण इकाईयों (उद्योग क्षेत्र) की विकास दर 8-9 प्रतिशत के पास पहुंच गई है। मंदिर की अर्थव्यवस्था एवं लगातार तेज गति से आगे बढ़ रहे धार्मिक पर्यटन के चलते भारत में आर्थिक विकास की दर वित्तीय वर्ष 2023-24 में 8 प्रतिशत से भी अधिक रही है। भारत, अपने आर्थिक विकास की गति को और अधिक तेज करने के उद्देश्य से आधारभूत ढांचें को विकसित करने के लगातार प्रयास कर रहा है। वित्तीय वर्ष 2022-23 के बजट में 7.5 लाख करोड़ रुपए का प्रावधान देश के आधारभूत ढांचे को विकसित करने हेतु किया गया था, जिसे वित्तीय वर्ष 2023-24 में 33 प्रतिशत से बढ़ाकर 10 लाख करोड़ रुपए कर दिया गया था एवं वित्तीय वर्ष 2024-25 के लिए इसे और अधिक बढ़ाकर 11.11 लाख करोड़ रुपए का कर दिया गया है। आधारभूत ढांचे को विकसित करने से देश में उत्पादकता में सुधार हुआ है एवं विभिन्न उत्पादों की उत्पादन लागत में कमी आई है।

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