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- किरण मजूमदार-शॉ
‘‘यह हमारे लिए इस बात को महसूस करने का समय है कि एक देश के तौर पर हम इतने महान हैं कि खुद को छोटे सपनों तक सीमित नहीं कर सकते। हम वैसे नहीं हैं, जैसा कि कुछ लोग हमें मानते हैं। एक अपरिहार्य पतन के लिए अभिशप्त। मैं उस भाग्य में कतई विश्वास नहीं करता जिसका फल हम पर पड़ेगा ही, चाहे हम जो कुछ भी करें। मेरा भरोसा एक ऐसे भाग्य में है जिसका फल हम पर पड़ेगा, अगर हम कुछ भी नही करेंगे। इसलिए, अपने नियंत्रण में उपलब्ध सभी रचनात्मक ऊर्जा को बटोरते हुए, आइए हम सब राष्ट्रीय नवीनीकरण के युग की शुरुआत करें। आइए हम अपने दृढ़ संकल्प, अपने साहस और अपनी ताकत को नए सिरे से सहेजें। और आइए हम अपने विश्वास और अपनी आशा को नए सिरे से मजबूत करें। हमें बहादुरी भरे सपने देखने का पूरा अधिकार है।” पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति रोनाल्ड रीगन के उपरोक्त उद्धरण से यह बात प्रतिध्वनित होती है कि कैसे यह भारत के लिए बड़े सपने देखने का समय है।
नौ वर्ष पहले जब श्री नरेन्द्र मोदी ने प्रधानमंत्री का पद संभाला था, तब भारत की धीमी आर्थिक विकास, उच्च बेरोजगारी और उच्च राजकोषीय घाटे की स्थिति 1980 के दशक के संयुक्त राज्य अमेरिका जैसी ही थी। प्रधानमंत्री श्री मोदी के नेतृत्व में, सरकार ने ऐसे कई परिवर्तनकारी पहलों को लागू किया, जिन्होंने हमारे महान राष्ट्र को और अधिक ऊंचाइयों पर ले जाते हुए भारतीय समाज के सभी वर्गों के जीवन को प्रभावित किया है।
स्वास्थ्य सेवाओं के क्षेत्र में बदलाव
स्वास्थ्य संबंधी देखभाल, फार्मास्यूटिकल एवं बायोफार्मास्यूटिकल उद्योग से जुड़े एक व्यक्ति और खुद एक उद्यमी के तौर पर, मेरा यह मानना है कि इस प्रशासन की कई विशेष खूबियों में से एक बेहतर और अधिक सुदृढ़ राष्ट्रीय स्वास्थ्य सेवा प्रणाली के निर्माण के प्रति इसकी वचनबद्धता है। जब 2020 में पूरी दुनिया कोविड-19 महामारी से निपटने के लिए जूझ रही थी, तो भारत निर्णायक नेतृत्व, दूरदर्शी योजना और आरोग्य सेतु एवं कोविन ऐप जैसे नवाचारों के जरिए इस घातक वायरस से प्रभावी तरीके से निपटने में सक्षम था। इसके परिणामस्वरूप, भारत न केवल अपनी 90 प्रतिशत से अधिक आबादी को 200 मिलियन से अधिक टीके लगाने में सफल रहा, बल्कि इसने ‘वैक्सीन मैत्री’ पहल के हिस्से के रूप में टीके भेजकर कई अन्य देशों की भी मदद की। पिछले नौ वर्षों में, मोदी सरकार ने स्वास्थ्य सेवाओं के लिए एक डिजिटल प्लेटफॉर्म बनाया है जिसका उद्देश्य सभी को स्वास्थ्य सेवा प्रदान करना है। ‘ई-संजीवनी’ नाम की सरकार की रचनात्मक टेलीमेडिसिन सेवा लोगों को अपना घर छोड़े बिना प्रमुख शहरों में मौजूद विशेषज्ञ डॉक्टरों तक पहुंचने में मदद करती है। यह बुजुर्गों और अपर्याप्त चिकित्सा सुविधाओं वाले दूरदराज के क्षेत्रों में रहने वाले लोगों के लिए एक बड़ी मदद है। यह टेलीमेडिसिन सेवा दिहाड़ी मजदूरों के लिए अपनी मजदूरी खोने के डर के बिना चिकित्सीय परामर्श लेना संभव बनाती है। अब तक 120 मिलियन से अधिक रोगियों ने ई-संजीवनी के जरिए दूरदराज के इलाकों में रहते हुए गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवाओं का लाभ उठाया है। जन औषधि परियोजना के तहत, सरकार समर्पित दुकानों के जरिए आम लोगों को उच्च गुणवत्ता वाली जेनेरिक दवाएं सस्ती कीमत पर उपलब्ध करा रही है। इन जेनेरिक दवाओं की गुणवत्ता और प्रभावकारिता महंगी ब्रांडेड दवाओं के बराबर है। भारत ने वित्तीय वर्ष 2023 के दौरान 160 मिलियन अमेरिकी डॉलर से अधिक मूल्य की जेनेरिक दवाएं बेची है। आयुष्मान भारत योजना 1,54,000 से अधिक स्वास्थ्य एवं कल्याण केन्द्रों के अपने नेटवर्क के जरिए एक स्वस्थ एवं उत्पादक नया भारत बनाने साथ-साथ समाज के आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों को बीमा कवर प्रदान करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है। इस मेगा स्वास्थ्य बीमा योजना से भारत के लगभग 220 मिलियन नागरिक लाभान्वित हुए हैं।
उद्यमिता को बढ़ावा
एक महिला व्यवसायी के तौर पर एक और बड़ा बदलाव जो मैंने देखा है, वह पिछले नौ वर्षों में देश में उद्यमिता संबंधी परिदृश्य का विकास है। आज बहुत सारे ऊर्जावान युवा हमारी रोजमर्रा की समस्याओं के नए-नए समाधान ढूंढ रहे हैं। यह सब केवल ‘मेक इन इंडिया’ और ‘स्टार्ट-अप इंडिया’ जैसी उच्च-लक्षित सरकारी पहलों के कारण ही संभव हो पाया है। भारत के एक व्यवसाय-समर्थक राष्ट्र बनने में राजनीतिक नेतृत्व ने एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। ताजा सरकारी आंकड़ों के अनुसार, स्टार्ट-अप की संख्या 2014 से पहले लगभग 350 थी जो 2023 में बढ़कर 90,000 से अधिक हो गई है, जिसमें 100 से अधिक यूनिकॉर्न शामिल हैं। प्रधानमंत्री को खुद देश के युवाओं, उनके विचारों और उनकी उपलब्धियों की सराहना करते हुए देखना बेहद सुखद है, जो ऐसे कई अन्य लोगों के लिए प्रेरणा का एक बड़ा स्रोत रहा है जो समाज में बदलाव लाना चाहते हैं लेकिन इसमें निहित जोखिमों से डरते हैं। आज, हमारे देश के युवा राष्ट्र निर्माण के कार्य में भागीदारी करने से नहीं डरते हैं और वे भारत को नवाचार के एक केन्द्र के रूप में बदल रहे हैं।
आज, कई बहुराष्ट्रीय निगम भारत को मैन्यूफैक्चरिंग के एक पसंदीदा गंतव्य के रूप में देख रहे हैं। पिछले नौ वर्षों में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) और निर्यात दोनों में जबरदस्त वृद्धि हुई है। एफडीआई हासिल करने वाले दुनिया के शीर्ष 10 देशों में भारत को स्थान दिया गया है और देश ने वित्तीय वर्ष 2022 के दौरान 84.8 बिलियन अमेरिकी डॉलर का अबतक का सबसे अधिक एफडीआई प्रवाह प्राप्त किया है।
सामाजिक सुधारों को बढ़ावा
मेरे हिसाब से एक और महत्वपूर्ण उपलब्धि महिला सशक्तिकरण में निहित है। ‘बेटी बचाओ बेटी पढाओ’ कार्यक्रम ने बेटियों के प्रति भारतीय समाज की धारणा को पूरी तरह से बदल दिया है। आज बेटियों के जन्म पर उत्सव मनाया जा रहा है और खेल, विज्ञान, मनोरंजन, रक्षा या विमानन, हर क्षेत्र में महिलाएं भारत का नाम रोशन कर रही हैं। मेरा मानना है कि यह न केवल इस सरकार के लिए, बल्कि प्रत्येक भारतीय महिला के लिए एक बड़ी उपलब्धि है। लघु एवं सूक्ष्म उद्यमों के लिए दिए जाने वाले मुद्रा ऋण परियोजना की मदद से 408 मिलियन से अधिक महिलाएं आत्मनिर्भर बन गई हैं। उज्ज्वला योजना ने समाज के सबसे वंचित वर्गों की 96 मिलियन महिलाओं को रियायती दरों पर एलपीजी (तरलीकृत पेट्रोलियम गैस) प्राप्त करने में मदद की है। यह योजना खाना पकाने के अस्वच्छ ईंधन के कारण पैदा होने वाले घरेलू वायु प्रदूषण से होने वाली श्वसन संबंधी गंभीर बीमारी से लाखों लोगों को बचा रही है।
निष्कर्ष
इन नौ वर्षों के दौरान, प्रधानमंत्री श्री मोदी की नीतियों ने विश्व में भारत की स्थिति को बेहतर किया है, पर्याप्त मात्रा में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) को आकर्षित किया है, बुनियादी ढांचे को मजबूत किया है, प्रौद्योगिकी में निवेश को बढ़ावा दिया है और उद्यमियों के लिए बड़े अवसर पैदा किए हैं। आज भारत पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है जो विश्व अर्थव्यवस्था की तुलना में दुगनी तेजी से बढ़ रही है। श्री नरेन्द्र मोदी के दूरदर्शी नेतृत्व में, भारत एक अत्यधिक आत्मविश्वासी एवं आत्मनिर्भर राष्ट्र में बदल गया है जोकि इसकी समृद्ध सांस्कृतिक परंपरा और ऐतिहासिक विरासत के अनुरूप है।