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स्वास्थ्य क्षेत्र में एआई के उपयोग की चुनौतियां

दिनेश सी. शर्मा
आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस (एआई) टूल्स जैसे कि चैटजीपीटी तमाम क्षेत्रों में लोकप्रियता हासिल कर रहे हैं, अब तो चिकित्सकों, मरीज़ों और स्वास्थ्य देखभाल एजेंसियों ने भी उपयोग शुरू कर दिया है। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने एआई की नैतिक उत्तरदायित्व एवं परिचालन विधि को लेकर नए परामर्श प्रपत्र में चेतावनी युक्त संदेश जारी किया है, विशेषकर स्वास्थ्य क्षेत्र में लार्ज मल्टी-मोडल मॉडल्स (एलएमएम) के इस्तेमाल पर। एलएमएम, जैसे कि चैटजीपीटी और बार्ड, टेक्सट और वीडियो जैसे इनपुट डाटा को स्वीकर कर सकता है और जो आउटपुट यह पैदा करेगा वह मात्र इंपुटेड डाटा तक सीमित नहीं है। ये व्यवस्थाएं मानवीय सक्षमता की नकल करने के लिए डिजाइन की गई हैं, यहां तक कि ऐसे कार्य करने में समर्थ हैं, जिनके लिए इनमें लंर्निंग और एडैप्टिंग प्रोग्राम फीड न भी किए गए हों। इसलिए इनसे स्वास्थ्य से संबंधित मिथ्या, त्रुटिपूर्ण, पक्षपाती या अपूर्ण सूचनाएं आने का गंभीर जोखिम दरपेश है। यह भी अब साफ है कि एआई व्यवस्था को इस तरह ‘सिखाया’ जा सकता है कि लैंगिक, जाति, नस्ल आदि से संबंधित असत्य, तोड़ा-मरोड़ा डाटा घड़कर यह हानिकारक या पक्षपाती सामग्री पैदा कर सके। एआई का उपयोग बढ़ने के साथ विश्व स्वास्थ्य संगठन ने 2021 में मोटे तौर पर सामान्य दिशा-निर्देशक सिद्धांत जारी किए थे, जोकि स्वास्थ्य क्षेत्र में इस नई तकनीक के इस्तेमाल की संभावना को मान्यता थी। इन सिद्धांतों के मुताबिक, एआई तकनीक के लिए अनिवार्य था कि वह संप्रभुता की सुरक्षा, मानव भलाई को बढ़ावा, मानव सुरक्षा, जनहित को प्रोत्साहित करे, साथ ही पारदर्शी, व्याख्यात्मक हो एवं सुबोधता सुनिश्चित करती हो, उत्तरदायी और जिम्मेवाराना हो, सबका साथ और समानता सुनिश्चित करने वाली हो, उन तकनीकों को बढ़ावा दे जो प्रतिक्रियाशील और सतत हों। व्याख्यात्मक का अर्थ है कि पब्लिक डोमेन में एआई के डिज़ाइन या डिप्लॉयमेंट को लेकर समुचित जानकारी उपलब्ध करवाई जाए। पिछले हफ्ते जारी नए दिशा-निर्देश स्वास्थ्य क्षेत्र में एलएमएम के विकास और अपनाए जाने से संबंधित हैं। एलएमएम का उपयोग समझने के लिए, किसी एआई तकनीक की वैल्यू-चेन (मूल्य-शृंखला) को समझना बहुत महतत्वपूर्ण है।

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