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- शोभित सुमन
देश में लोकसभा चुनाव 2024 को लेकर हलचल काफी तेज हो गई है। मार्च के दूसरे सप्ताह में चुनाव की तारीखों का ऐलान और पूरे देश में आदर्श आचार संहिता लागू हो सकती है। भाजपा इस चुनावी समर में अपने मिशन 370 पार के लिए संकल्पित दिख रही है। इसकी बानगी भर यह है कि उसने लोकसभा चुनाव ऐलान से पहले ही प्रथम चरण के अपने 195 उम्मीदवारों का ऐलान कर दिया है। भाजपा का यह लक्ष्य है कि आगामी लोकसभा चुनाव में उसे 370 सीटों पर जीत मिले तो वहीं एनडीए 400 पार के आंकड़े को पार करे। अपने तीसरे कार्यकाल की ओर बढ़ने के लिए भाजपा ने काफी संयोजित तरीके से अपने उम्मीदवारों का ऐलान किया है। कई वरिष्ठ नेताओं का टिकट भी काटा है तो कई दिग्गज नेताओं की सीटें भी बदली गई है। तो वहीं कई सीटों पर उसने अपने नए उम्मीदवार को चुनाव लड़वाने का ऐलान किया है। भाजपा के कार्यकर्ताओं में भी यह जोश भरने वाला कदम है।
दरअसल भाजपा अभी जिस चुनावी अभियान में लगी हुई है उसके आसपास विपक्ष कहीं भी नजर नहीं आ रहा है। भाजपा ने जहां अपने उम्मीदवारों का भी ऐलान कर दिया है, तो वहीं इंडी गठबंधन एकजुटता दिखाने की राह पर ही अभी बढ़ रहा है। उसमें भी कई दरारें देखी जा रही है।
कांग्रेस जहां इंडिया गठबंधन के बूते भाजपा को मात देने का दम भर रही है। लेकिन ऐसा कहीं से मुमकिन होता नजर नहीं आ रहा है। बिहार में नीतीश कुमार की पार्टी जेडीयू और उत्तर प्रदेश में जयंत चौधरी की पार्टी राष्ट्रीय लोक दल के गठबंधन छोड़ने से उसे भी तगड़ा झटका लगा है। उसके बाद से इंडी गठबंधन की कोई सार्थक बैठक तक नहीं हो पाई है। रविवार को पटना के गांधी मैदान में जन विश्वास महारैली में महागठबंधन ने अपनी ताकत दिखाई। इसमें विपक्ष के सभी नेताओं को एक मंच पर दिखाने की कोशिश जरूर की गई, लेकिन चुनावी समर में उसे कितनी सफलता मिलती है यह देखने वाली बात होगी। गठबंधन के दलों में भी असंतोष की स्थिति साफ झलकती है।
भाजपा द्वारा जारी चुनाव के लिए उम्मीदवारों की लिस्ट को अगर देखा जाए तो यह साफ दर्शाता है की सांगठनिक स्तर के उनके नेताओं को लोकसभा चुनाव में ज्यादा सीटें दी गई है। भाजपा ने चुनाव में नए लोगों को भी मौका देने से परहेज नहीं किया है इस बार की पहली सूची में महिलाओं की भी संख्या भी काफी है। वहीं जो पार्टी लाइन से बाहर चल रहे थे उन्हें बाहर का रास्ता दिखा दिया गया है या उन पर अभी विचार चल रहा है। ऐसे भी उम्मीदवारों की संख्या इस लिस्ट में है जो पहले राज्य की राजनीति में सक्रिय थे। उन्हें वहां से शिफ्ट करके अब लोकसभा चुनाव लड़ाया जा रहा है। कई ऐसे केंद्रीय मंत्री जो राज्यसभा के सदस्य थे उन्हें ऊपरी सदन राज्यसभा से हटाकर लोकसभा चुनाव लड़वाया जा रहा है। ऐसे में यह साफ है कि बीजेपी का फोकस बड़ी जीत की ओर है । भाजपा को इस बात की फिक्र कहीं से भी नहीं है कि नाराज हो रहे या टिकट नहीं पा रहे नेताओं में रोष व्याप्त हो सकता है या उनके विरोध के स्वर मुखर हो सकते हैं और ऐसे में उन्हें नुकसान हो सकता है। भाजपा का एक मात्र लक्ष्य है कि कैसे इस चुनाव में उसका प्रदर्शन अभूतपूर्व हो।
भाजपा जिस 400 पार के आंकड़े के साथ आगे बढ़ चली है उसमें वह सफल होती हुई दिखाई भी दे रही है। दक्षिण के राज्यों की सीटों पर भी भाजपा का फोकस है, जहां ऐसा माना जाता है कि दक्षिण के राज्यों में या तो क्षेत्रीय दलों का कब्जा है या फिर कांग्रेस वहां मजबूत स्थिति में है। भाजपा ने वहां भी कई प्रमुख सीटों पर मजबूत दावेदार पेश किए हैं।
ऐसी 161 सीटों पर भाजपा पिछले दो वर्षों से काम भी कर रही है, जहां या तो उसे हार मिली है या हार का आंकड़ा काफी कम वोटों का रहा है। इसके अलावा अलग-अलग क्लस्टर बनाकर उन सीटों की जिम्मेदारी वरिष्ठ केंद्रीय मंत्री या क्षेत्रीय नेताओं को सौंपी गई है।