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ईसाई परिवारों तक पहुंच रही भाजपा

  • अजय सेतिया
    देश के पूर्व रक्षा मंत्री ए.के.एंटनी के बेटे अनिल एंटनी कांग्रेस की देशभक्ति पर सवाल उठाकर भाजपा में शामिल हो गए। रक्षामंत्री रहते हुए ए.के एंटनी ने राज्यसभा में कहा था कि हमने चीन के बार्डर पर इस लिए इन्फ्रास्ट्रक्चर नहीं बढ़ाया, क्योंकि उससे चीन को फायदा हो सकता था| उनके कहने का मतलब था कि कल को अगर चीन हमला करता है, तो भारत की तरफ बनाए गए इन्फ्रास्ट्रक्चर का उसको फायदा होगा| उनका यह बयान यह दर्शाता था कि 1962 से लेकर 2014 तक कांग्रेस इस मानसिकता का शिकार थी कि चीन से युद्ध हुआ, तो वही आगे बढ़ेगा, भारत आगे नहीं बढ़ेगा। उन ए.के.एंटनी के बेटे अनिल एंटनी ने भाजपा में शामिल होते हुए जो बात कही है, वह ज्यादा महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस में देश भक्ति नहीं रही, वे कुछ परिवारों के हितों को देखने वाली पार्टी बन कर रह गई है।
    इसलिए अनिल एंटनी के भाजपा में शामिल होने को सिर्फ इस नजरिए से नहीं देखा जाना चाहिए कि इतने बड़े कांग्रेसी नेता का बेटा भाजपा में शामिल हुआ है। इससे पहले माधव राव सिंधिया का बेटा ज्योतिरादित्या सिंधिया, पूर्व लोकसभा स्पीकर बलराम जाखड का बेटा सुनील जाखड़, प्रधानमंत्री नरसिंह राव के राजनीतिक सचिव रहे जितेन्द्र प्रसाद के बेटे जितिन प्रसाद, कांग्रेस महासचिव जनार्दन द्विवेदी का बेटा समीर द्विवेदी, राजा दिनेश सिंह की बेटी राजकुमारी रत्ना सिंह, हेमवती नन्दन बहुगुणा की बेटी, बेटा, पोते समेत सारा परिवार कांग्रेस छोड़ कर भाजपा में शामिल हो चुका है।
    ये सभी इंदिरा गांधी और राजीव गांधी के बहुत करीब थे| एस.एम.कृष्णा, अमरेन्द्र सिंह, गिरधर गोमांग और उनसे भी पहले भगवत झा आज़ाद जैसे पूर्व मुख्यमंत्री कांग्रेस छोड़ भाजपा में शामिल हुए। सात अप्रेल को जब मैं यह लेख रहा था आंध्र प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री किरन कुमार रेड्डी भी भाजपा में शामिल हो गए। 40-40, 50-50 साल कांग्रेस में रहने के बाद गुलाम नबी आज़ाद और कपिल सिब्बल कांग्रेस छोड़ गए। लेकिन ए.के.एंटनी अपने बेटे के कांग्रेस छोड़ भाजपा में जाने को दिल पर ले लिया| वह आत्मग्लानि का शिकार हो गए हैं, क्योंकि उनके बेटे ने भाजपा में शामिल होते समय सभी कांग्रेसियों को गांधी परिवार का गुलाम बता दिया है, जिनमें वह खुद भी शामिल हैं।
    ए.के.एंटनी ने अपनी झेंप मिटाने और वफादारी दिखाने के लिए कांग्रेस मुख्यालय में जा कर मीडिया के सामने सफाई दी| इस सफाई में उन्होंने कहा कि उन्होंने अपने बेटे को हमेशा देश के लिए काम करना सिखाया है, न कि एक परिवार के लिए। लेकिन उसने एक अलग रास्ता चुना, वह एक ऐसी पार्टी में शामिल हो गया है जो देश को सांप्रदायिक आधार पर बांटने और देश के धर्मनिरपेक्ष ताने-बाने को नष्ट करने की कोशिश कर रही है। वह इस फैसले को स्वीकार नहीं कर सकते, उनके लिए यह गलत और पीड़ादायक है| वैसे ए.के. एंटनी को यह घटना दिल पर नहीं लेनीाचाहिए, उन्हें गांधी परिवार के सामने जा कर सफाई देने की जरूरत नहीं थी। उन्होंने अपने बेटे को गांधी परिवार को तरजीह न दे कर देश को तरजीह देना सिखाया था, तो उन्होंने वही किया। जब बीबीसी की भारतीय न्यायपालिका को नीचा दिखाने वाली डाक्यूमेंट्री आई थी और कांग्रेसियों को भारत के प्रधानमंत्री की छवि खराब करने वाली बीबीसी की डाक्यूमेंट्री और देश की संप्रभुता में से एक चुनने का वक्त था, तो अनिल एंटनी ने देश की संप्रभुता चुनी थी| अनिल एंटनी ने उस समय कहा था कि बीबीसी का समर्थन करने से हमारी राष्ट्रीय संप्रभुता कमजोर होगी। जबकि ए.के.एंटनी ने खुद गांधी परिवार की भक्ति चुनी थी, उन्होंने बीबीसी की रिपोर्ट का समर्थन किया था, क्योंकि गांधी परिवार वही चाहता था| इस डाक्यूमेंट्री में दंगों के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को कसूरवार ठहराया गया था, जो 2002 से कांग्रेस का स्टैंड रहा था।
    अनिल एंटनी के भाजपा में शामिल होने को एक बड़े कांग्रेसी परिवार के बेटे या राष्ट्र के स्वाभिमान और राष्ट्रीय सम्प्रभुता के नजरिए से देखने के साथ साथ राजनीतिक नजरिए से भी देखना चाहिए। क्योंकि यह एक राजनीतिक घटना भी है। इस घटना को नरेंद्र मोदी के वैटिकन सिटी जाकर पोप से मुलाक़ात करने के बाद से भारत में हो रही घटनाओं की कड़ी में शामिल किया जाना चाहिए। अनिल एंटनी के भाजपा में शामिल होने को टाम वडककन के कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल होने की घटना से जोड़कर देखना चाहिए। टाम वडककन एक दशक से भी ज्यादा समय तक कांग्रेस मुख्यालय में मीडिया का बन्दोबस्त देखते थे, ईसाई होने के कारण वह सोनिया गांधी के भी बहुत करीब थे| टाम के बाद एंटनी का भाजपा में आना भाजपा की ईसाईयों को अपने साथ लाने की बड़ी योजना का हिस्सा है।
    ऐसा पहली बार नहीं था कि मोदी ने ईसाई समुदाय तक पहुंच बढ़ाने की ज़रूरत पर बल दिया था, इससे पहले जुलाई 2022 में भाजपा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में भी उन्होंने पार्टी नेताओं को ग़ैर-हिंदुओं से संपर्क बढ़ाने की सलाह दी थी। इस बैठक में उन्होंने उत्तरपूर्वी प्रांतों के भाजपा नेताओं से कहा था कि वे केरल का दौरा करें । कोच्चि बैठक में मोदी की झिड़की के एक हफ्ते के बाद, भाजपा ने मिशन ईसाई के लिए पूर्व केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर को केरल में पार्टी के मामलों का प्रभारी नियुक्त कर दिया। पिछले महीने सायरो मालाबार कैथलिक चर्च के आर्कबिशप जोसफ के उस बयान ने खलबली मचा दी थी, जिसमें उन्होंने कहा था कि अगर भाजपा किसानों की समस्याओं पर विचार करे तो केरल के ईसाई भाजपा का समर्थन कर सकते हैं। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तारीफ़ भी की थी।

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