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- बृजनन्दन राजू
जब कोई व्यक्ति अपने पूर्वजों के बारे में लज्जित होने लगे तब समझ लो कि उसका अन्त आ गया। सबको अपने पूर्वजों पर गर्व होना ही चाहिए। हिन्दू तो उन महान ऋषियों के वंशज हैं जो संसाद में अद्धितीय रहे हैं। इसलिए उन्हें हिन्दू होने का गर्व है और होना भी चाहिए। सम्पूर्ण विश्व पर हिन्दू समाज का महान ऋण है। सम्पूर्ण विश्व में हिन्दू ही एक ऐसी जाति है जिसने कभी किसी पर आक्रमण नहीं किया। हम दुनिया में शांति व सौहार्द का संदेश लेकर गये। हमने किसी को अपना गुहलाम नहीं बनाया। दुनिया की पीड़ित मानवता को हिन्दुओं ने ही गले लगाया। ऐसे सर्वे भवन्तु सुखिना: सर्वे सन्तु निरामय: और वसुधैव कुटुम्बकम की भावना रखने वाले हिन्दू समाज को हिंसक बताया जा रहा है। हिन्दू समाज भी इतना उदार व सहनशील है कि वह भी अपने ऊपर लगने वाले आरोपों को सहन करता जा रहा है। यह स्थिति वास्तव में हिन्दू समाज के लिए आत्मघाती है।
स्वामी विवेकानन्द जी कहते थे कि तभी और केवल तब ही तुम हिन्दू कहलाने के अधिकारी हो जब इस नाम को सुनते ही तुम्हारी रगों में शक्ति की विद्युत तरंग दौड़ जाये। हम अहिंसा के पुजारी जरूर हैं
लेकिन हमारे शास्त्रों का यह भी आदेश है कि यदि कोई तुम्हारे गाल पर थप्पड़ मारे और तुम उसका जवाब दस थप्पड़ों से न दो तो तुम पाप करते हो। हिन्दुस्थान का प्राण हिन्दू धर्म है। यदि हिन्दू धर्म पर आघात होगा तो वह राष्ट्र पर आघात माना जायेगा। इसलिए हिन्दुओं को अपने शौर्य को प्रकट करने की जरूरत है। राहुल गाँधी का नेता प्रतिपक्ष के तौर पर पहला भाषण झूठ, निराशा और तथ्यहीन बातों से भरा हुआ था।
राहुल गाँधी ने अपने भाषण में न केवल संसदीय गरिमा को तार—तार किया बल्कि हिंदुओं को हिंसक, नफरती और झूठा बताकर हिन्दू समाज को अपमानित करने का काम किया है। इसकी जितनी भी निंदा की जाय, कम है। इस कृत्य के लिए राहुल गाँधी को अविलंब माफी मांगनी चाहिए।
वैसे इसके लिए राहुल गांधी को दोष देना ठीक नहीं है। क्योंकि उनको वही संस्कार ही मिला है। भारत की प्रकृति संस्कृति का उन्हें ज्ञान हीं नहीं है। राहुल गांधी के पास स्वयं की चिंतन प्रतिभा कुछ है नहीं। कम्युनिस्ट व मैकाले पुत्रों की बुद्धि के आधार पर वह बोलते व आचरण करते हैं। कांग्रेस की संस्कृति शुरू से विघटनकारी रही हैं। वह हमेशा समाज को बांटने में विश्वासा करती है। कांग्रेस कई बार टूटी,कई दल बने लेकिन उनका मूल स्वभाव यथावत है। भारत विभाजन से लेकर आज तक कांग्रेस की कार्य संस्कृति में बदलाव नहीं आया है। महात्मा गांधी की चलती तो कांग्रेस समाप्त हो गयी होती। लेकिन गांधी के नाम का उपयोग करने वाले राहुल गांधी महात्मा गांधी का भी अपमान कर रहे हैं जिन्होंने कहा था हिन्दुत्व सत्य की अनवरत खोज का ही दूसरा नाम है। 24 जनवरी 1948 को अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के विद्यार्थियों को संबोधित करते हुए प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू ने कहा था कि हमें अपनी उस विरासत और अपने उन पूर्वजों पर गर्व है जिन्होंने भारत को बौद्धिक एवं सांस्कृतिक श्रेष्ठता प्रदान की।
वैसे हिन्दुओं पर आक्षेप लगाना कांग्रेस की पुरानी आदत है। सदन में राहुल गाँधी ने स्पष्ट कहा है कि जो लोग अपने आपको हिंदू कहते हैं वो 24 घंटे हिंसा-हिंसा-हिंसा, नफरत-नफरत-नफरत, असत्य-असत्य-असत्य की बात करते हैं। इससे राहुल गांधी की मंशा जाहिर होती है। जबकि सच्चाई सबको पता है कि 1984 में सिखों का नरसंहार किसने किया था। 1975 में आपातकाल किसने लगाया था। सच्चाई ये है कि संतों पर गोलियां किसने चलवाई थी? 2010 में तत्कालीन गृह मंत्री श्री पी चिदंबरम ने हिंदुओं को आतंकवादी कहा था। 2013 में पूर्व गृहमंत्री श्री सुशील कुमार शिंदे ने भी हिंदुओं को आतंकवादी बताया था। 2021 में राहुल गांधी ने हिन्दुत्ववादियों को देश से बाहर निकालने को कहा था और आज सम्पूर्ण हिंदुओं को असत्यवादी और हिंसक कहा। राहुल गाँधी ने पहले भी कहा था कि मंदिर जाने वाले लड़कियों को छेड़ते हैं। संसद की बहस के दौरान ईश्वर के चित्रों को सामने रखना और राजनीति को इससे जोड़ना एक नेता प्रतिपक्ष को शोभा नहीं देता। हिन्दू संस्कृति विजय की उपासक है, पराजय की नहीं। हमारे यहां किसी धर्म संस्थापक को फांसी देने का उदाहरण नहीं है। क्या हमारे प्रभु श्रीरामचन्द्र जी या योगेश्वर श्रीकृष्ण का पराभव किसी ने देखा या सुना है। जिनकी हम पूजा करते हैं वह कभी पराभूत नहीं हुए।