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बांधों की सुरक्षा पर देना होगा ध्यान

  • रंजना मिश्रा
    बांध देश के जल संसाधनों के प्रबंधन, सिंचाई, बिजली और बाढ़ नियंत्रण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैंभारत को अपने बांधों की संरचनाओं की सुरक्षा को लेकर चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा हैबांधों के टूटने की समस्या एक गंभीर समस्या बन गई है। दरअसल कई बांध पुराने हो चुके हैं। पिछले माह 4 अक्तूबर को उत्तरी सिक्किम की दक्षिणी लोनाक झील में ग्लेशियर लेक आउटबर्स्ट फ्लड यानी हिमनद झील के फटने की वजह से एक बहुत ही भयंकर बाढ़ ने तीस्ता नदी पर बने चुंगथांग हाइड्रो बांध को नष्ट कर दिया, जो तीस्ता-III जलविद्युत परियोजना के लिए महत्वपूर्ण था।
    इस घटना की वजह से बांध सुरक्षा का मुद्दा फिर से चर्चा में आ गया है। भारत में बांधों की संख्या चीन और अमेरिका के बाद सर्वाधिक है। भारत में 4000 से अधिक बड़े बांध हैं। ये बांध देश के जल संसाधनों के प्रबंधन, सिंचाई, बिजली उत्पादन और बाढ़ नियंत्रण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं लेकिन भारत को अपने बांधों की संरचनाओं की सुरक्षा को लेकर महत्वपूर्ण चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है।
    बांधों के टूटने की समस्या एक गंभीर समस्या बन गई है। दरअसल कई बांध पुराने हो चुके हैं और इनका रखरखाव ठीक से नहीं किया जा रहा है। इसके अलावा देश में बाढ़ और भूकंप जैसी प्राकृतिक आपदाएं बढ़ने के कारण तथा गाद और मलबे के जमा होने के कारण बांधों के टूटने का खतरा बढ़ता जा रहा है। इन चुनौतियों का समाधान करने के लिए भारत सरकार ने बांध सुरक्षा अधिनियम 2021 पारित किया था। यह अधिनियम 15 मीटर से अधिक ऊंचाई वाले और कुछ विशिष्ट 10 से 15 मीटर के बीच ऊंचाई वाले बांधों पर लागू होता है।
    इस अधिनियम के प्रमुख प्रावधानों में बांध सुरक्षा से संबंधित अपराधों को निर्धारित करना, नियमित जोखिम मूल्यांकन का प्रावधान करना, बांध सुरक्षा पर राष्ट्रीय समिति और राष्ट्रीय बांध सुरक्षा प्राधिकरण की स्थापना, बांध नियंत्रकों को समर्पित बांध सुरक्षा इकाइयां स्थापित करने, आपातकालीन कार्य योजना तैयार करने और नियमित अंतराल पर व्यापक सुरक्षा मूल्यांकन करने का निर्देश देना है।
    इसके अलावा राज्य स्तर पर बांध सुरक्षा समिति और राज्य बांध सुरक्षा संगठन का गठन करना है। बांध सुरक्षा अधिनियम एक महत्वपूर्ण कदम है, लेकिन इसमें कई चुनौतियां भी हैं। जैसे- अधिनियम में जोखिम आधारित निर्णय लेने के प्रावधानों का अभाव है।

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