66
- आलोक मेहता
आजादी के बाद चुनावों में पहली बार सम्पूर्ण सुरक्षा व्यवस्था को ध्वस्त करने और भारतीय सेना में जाति-धर्म के आधार पर भेदभाव से समाज को भड़काने बांटने की कोशिश हो रही है। कांग्रेस पार्टी ही नहीं विरोधी दलों के प्रमुख नेता अपनी सभाओं में सेना में भर्ती की नई क्रांतिकारी योजना ‘अग्निपथ- अग्निवीर’ को फाड़कर कूड़े में फेंक देने का संकल्प व्यक्त कर रहे हैं। इसे गंभीरता से लिया जाना चाहिए, क्योंकि राहुल अपनी मनमोहन सरकार के प्रस्तावित कानून के विधेयक को सार्वजनिक रुप से फाड़कर फेंक चुके हैं। अब उन्हें इस विधेयक से नुकसान झेलने वाले लालू यादव की राजनीतिक शरण से बिहार में रही सही इज्जत बचानी है। महत्वपूर्ण बात यह है कि अग्निवीर योजना किसी रातोंरात के सनकी फैसले की तरह नहीं है। नरेंद्र मोदी सरकार के वरिष्ठतम मंत्री और अधिकारियों से अधिक सेना के तीनों प्रमुखों तथा सेनाधिकारियों ने दो साल करीब 254 बैठकों के बाद निर्णय किया। योजना जून 2022 में लागू हो गई है। इसके बाद थल सेना में 40 हजार युवा प्रशिक्षित होकर विभिन्न स्तरों पर तैनात हो रहे हैं। इसके बाद नवम्बर 2023 में 20 हजार नए अग्निवीर प्रशिक्षण के लिए चुने जा चुके हैं। नौ सेना में 7355 और वायु सेना में 4955 अग्निवीर प्रशिक्षित होकर काम पर लग रहे हैं। किसी भी नई योजना और रणनीति पर अध्ययन, समीक्षा, संशोधन सरकारें और सेना करती हैं। इसके लिए भी सेना अनुभवों पर रिपोर्ट तैयार कर रही है और इसके दूरगामी लक्ष्य लाभ पर विचार होगा। लेकिन माओवादियों की तरह सुरक्षा तंत्र को नष्ट करने की धमकी अनुचित है।
सरकार की नीतियों की आलोचना या वैकल्पिक योजना रखने पर किसी को आपत्ति नहीं हो सकती है। अग्निवीर लागू होने पर विरोधी दलों के प्रायोजित प्रदर्शनों के दौरान कुछ क्षेत्रों में हिंसा की घटनाएं भी हुई थी। लेकिन स्पष्टीकरणों के बाद शांति हो गई। राहुल एन्ड कंपनी इस बात पर लोगों को भड़का रही है कि अग्निवीर में तो चार साल बाद केवल पच्चीस प्रतिशत रखे जायेंगे, बाकी के लोग भविष्य में क्या करेंगे? इस मुद्दे पर सेना के पूर्व प्रमुखों या अधिकारियों से बात करने पर सही स्थिति सामने आती है। इस योजना में केवल आठवीं से दसवीं बारहवीं तक पढ़ाई कर चुके 17. 5 से 21 वर्ष तक की आयु वाले युवक रखे जा रहे हैं। उन्हें प्रतिमाह 30 हजार रुपये मिलेंगे और चार साल बाद यदि वे सेवा से बाहर जायेंगे तो भविष्य की राह के लिए 11 लाख रुपए अलग से दिए जाएंगे। भारत ही नहीं दुनिया के किस देश में इतनी न्यूनतम शिक्षा वाले युवक किस क्षेत्र के प्रशिक्षण काल में इतना वेतन और यदि 18 की उम्र में भर्ती हुआ तो 22 की उम्र में वेतन की बचत के साथ ग्यारह लाख मिल सकता है। फिर इस शिक्षा दीक्षा के बाद युवक आगे अच्छी से अच्छी ऊंची शिक्षा प्राप्त कर सकता है या अन्य अर्ध सैनिक बल, पुलिस, प्राइवेट सुरक्षा एजेंसी, निजी उद्योग धंधे में काम कर सकता है। हाल के वर्षों में कितनी ही देशी विदेशी कंपनियां रक्षा उत्पादन के क्षेत्र में विभिन्न प्रदेशों में अपनी यूनिट लगा रही हैं।
अग्निवीर उनके लिए बहुत उपयोगी होंगे और उन्हें वेतन भी कई गुना मिलेगा। फिर भविष्य में सीमा पर कोई गंभीर संकट आए या हमला हो, तो सेना उन्हें तत्काल बुला सकती है। सबसे बड़ा लाभ यह होगा कि अनुशासित युवा समाज में अच्छा वातावरण बनाएंगें। आखिरकार छात्र जीवन में एन सी सी में रहे युवा आगे जाकर विभिन्न सेवाओं में अनुशासन राष्ट्र प्रेम की भावना बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
आश्चर्य की बात यह है कि राहुल गांधी और उनके सलाहकारों को क्या यह जानकारी नहीं है कि कई दशकों से सेना में ग्रेजुएट युवाओं को सेना की शॉर्ट सर्विस में केवल पांच वर्ष रखने का प्रावधान है। इसके बाद उनकी परीक्षा होती है और उसमें सफल युवा सेना में 15 वर्ष के लिए रखे जाते हैं। कई युवा या उनके परिवार पांच साल के बाद उन्हें सेना छोड़ किसी अन्य लाभकारी नौकरी में जाने या अपना काम धंधा करना चाहते हैं। जर्मनी जैसे देश में तो सेना में एक साल प्रशिक्षण या महत्वपूर्ण श्रम सामाजिक कार्य के बाद ही यूनिवर्सिटी की डिग्री दी जाती है। दूसरी तरफ भारतीय सेना के आधुनिकीकरण का काम पिछले दस वर्षों में तेजी से हुआ है। 1962 में चीन, 1965,1971 में पाकिस्तान के साथ हुए युद्ध या सियाचीन, कारगिल में पाकिस्तान की घुसपैठ पर हुई लड़ाई में हिस्सा ले चुके अधिकारियों से मैं समय समय पर बात करता रहा हूं। वे अपने अनुभवों में उस समय दुर्गम रास्तों, सीमित और पुराने हथियारों, वर्दी या अन्य साधन सुविधाओं की कमी से हुई समस्याओं को बताते हैं। मेरे छात्र जीवन और एन.सी.सी. के कुछ साथी कर्नल, ब्रिगेडियर, एयर मार्शल जैसे पदों पर रहे हैं। उनसे भी पुराने वरिष्ठ ब्रिगेडियर और जाने माने रक्षा विशेषज्ञ आर बी शर्मा बताते हैं कि 1962 के युद्ध में अरुणाचल में सड़क तो दूर खंदक खोदने तक का काम करते लड़ना पड़ता था। अब तो अरुणाचल, लद्दाख, कश्मीर में शानदार सड़कें, सुरंग और आधुनिकतम हथियार, संचार उपकरण, वायु सेना की सीमा पर निरंतर चौकसी और बचाव की सुविधाएं हैं।
बहरहाल लोक सभा चुनाव में सेना द्वारा पाकिस्तान सीमा पर आतंकवादी हमलों या घुसपैठ पर अथवा लद्दाख में चीन को बाहर खदेड़ने के साहसिक कार्यों को भी नकारना, सेना में जाति, धर्म के लिए आरक्षण की मांग उठाने से सेना के मनोबल पर खराब असर होता है। नौकरी में आरक्षण के झांसे या हर गरीब महिला और युवक को घर बैठे खटाखट एक लाख रुपये देने का झूठा अव्यवहारिक वायदा किसी भी आचार संहिता का उल्लंघन है। अग्निवीर पर भ्रामक प्रचार पर तो निर्वाचन आयोग ने भी कांग्रेस को नोटिस दिया है। लगता है देर सबेर सुप्रीम कोर्ट को झूठे वायदों पर नेताओं को सजा देना होगा या प्रतिबंधित करना होगा।