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- इंजी . राजेश पाठक
आपको लगता होगा हिंदुस्तान-पाकिस्तान के बीच क्रिकेट-हॉकी मैच को लेकर देश के पाकिस्तान परस्तों की प्रतिक्रिया अपने देश में ही देखने को मिलती होगी। पिछले वर्ष बेल्जियम-मोरक्को के बीच हुए फुटबाल मैच में मोरक्को की जीत पर बेल्जियम में घुसपैठ कर आ बसे मोरक्को के मुसलमानों ने जीत की ख़ुशी बेल्जियम वासीयों के विरुद्ध तोड़-फोड़-उन्माद मचाकर व्यक्त करी । अफ्रीका-मध्य एशिया से यूरोप में मुसलमानों की घुसपेठ 2010-2011 में शुरू हुई , जिसको दुनिया ‘अरब स्प्रिंग’ के रूप में जानती है। इसके पीछे जिसका दिमाग बताया जाता है, वो कोई और नहीं अमेरिका के तत्कालीन राष्ट्रपति बराक ओबामा हैं । मध्य-एशिया और उत्तर अफ्रीका में चल रहे तानाशाह शासन प्रणाली के विरुद्ध स्थानीय जनता को इनके द्वारा ही दूरगामी योजना के अंतर्गत भड़काया गया। तुनिशिया, मिश्र, लीबिया ,सरिया और यमन की सत्ता पर उस दौर में बेन अली, हुस्नी मुबारक, गद्दाफी, बशर अल असद और अली अब्दुल्लाह सालेह काबिज थे। यहाँ गृह युद्ध हुआ और सत्ता पलटी , अस्थिरता का लाभ उठाया इस्लामिक स्टेट्स और अन्य आतंकी समूहों ने। स्थिति इतनी गंभीर हो उठी की स्थानीय वासीयों के पास अब देश छोड़कर भाग जाने के आलावा कुछ और विकल्प नहीं था। सऊदी अरब–कतर-कुवैत जैसे देशों नें अपने यहां लेने के स्थान पर उन्हें यूरोप में घुसपेठ मचाने को बाध्य किया। लेकिन पूर्वी यूरोप के देश पोलैंड, हंगरी ने भी वही किया जो अरब-क़तर ने किया। पर उन्हें पश्चिम यूरोप पहुंचने के लिए रास्ता देने की दया जरूर दिखायी।
पश्चिम यूरोप के देश फ्रांस, जर्मनी, डेनमार्क आदि देशों ने उदारता के फेरे में उन्हें बस जाने दिया। लेकिन कुछ ही वर्षों में बात बदल गयी। आज यूरोप की जनसंख्या असंतुलन की स्थित का अदाजा फ्रांस और देशों की फुटबाल टीम के खिलाड़ियों के देख कर या नाम पढ़ लेने भर मात्र से भी लगाया जा सकता है। अब लगता है कीमत अदा करने का वक्त आ चुका है।
बस केवल लन्दन के पाकिस्तान मूल के मेयर क्या कहते पाए गए हैं, इतना भर देख लें ।
युवा मुस्लिम आबादी के लिए लन्दन में 46000 बनायें जायेंगे। क्यूंकि वो मस्जिद के आस-पास ही रहना चाहते हैं पर उनकी आर्थिक स्थिति इतनी अच्छी नहीं कि वो महंगे मकान खरीद सकें। इसके आलावा जो हाल ही में युवावस्था में प्रवेश किया है और जो अल्प वेतन पाते हैं, अकुशल चिकत्सक और इंजिनियर हैं उन्हें मुफ्त शिक्षा दी जायेगी। इस सुविधा में कोई और धार्मिक समुदाय शामिल नहीं है।