Home » जीव जंतु वनस्पतियां सभी प्रकृति की संतान है

जीव जंतु वनस्पतियां सभी प्रकृति की संतान है

  • डॉ नन्दकिशोर साह
    पृथ्वी पर निवास करने वाले समस्त जीव पर्यावरण की उपज है। जीव-जंतु वनस्पतियां सभी प्रकृति की संताने हैं। पर्यावरण से अलग कुछ भी नहीं है। पर्यावरण में पर्वत, नदियां, वृक्ष, वन सभी को जीवंत एवं महत्वपूर्ण समझा जाता है। मानव के समान पशु-पक्षी भी ईश्वरीय कृति है। अतः सभी ईश्वरीय कृति एक समान रूप से सम्मान पाने का हकदार है। वैदिक युग के प्रमुख व्यवसाय कृषि और पशुपालन में पशु सहायक होते थे। गाय, जल व वनस्पति को दूध रूप में परिणत कर सबका पोषण करती है। इसकी संतान वृषभ कृषि उपयोगी है। इसलिए गाय को माता के रूप में आराध्य कहा गया है। प्राचीन धर्म ग्रंथों में कुछ जीव-जंतुओं को दैवीय माना गया है। बहुत से पशु-पक्षियों को देवी-देवताओं का वाहन माना गया है। इस रूप में धार्मिक जीव जंतुओं को धार्मिक संरक्षण प्रदान किया गया है। वृक्ष, पादप आदि में देवताओं का वास मानकर उन्हें पूजनीय बनाया गया है। पृथ्वी और नदियों को मातृत्व स्वीकार किया है।
    भारतीय संस्कृति में वृक्षों को भी देव तुल्य माना गया है। अनेक ग्रह, नक्षत्र, आकाश, जल, पृथ्वी, अग्नि, दिशा, नदी, पर्वत में जीव जंतु आदि सभी पर्यावरण से संबंधित तथ्यों को देव की कोटि में रखा गया है। बुद्ध ने वृक्षों के संरक्षण पर बहुत बल दिया था। उन्होंने कहा था कि वृक्षों में भी जीवन है। वह मूर्ख लोग हैं, जो पेड़ पौधे को काटते हैं। मनुष्य सभी प्राणियों के प्रति उसी प्रकार करुणा एवं दया का भाव रखें जैसे एक माता अपने इकलौते पुत्र के कल्याण के लिए दया भावना रखती है। पशु-पक्षी और कीड़े-मकोड़े भी पर्यावरण और प्राकृतिक का एक अभिन्न अंग है। जल, चंद्र, सूर्य, प्रकाश, पृथ्वी, अग्नि के प्रकृति के घटक है। जल जीवाें की हिंसा का भी बुद्ध ने बराबर विरोध किया। उन्हें मारना वे पाप मानते थे। वे पानी ऐसी किसी भी वस्तु को डालने को निषेध मानते थे, जिसके डालने से कीड़े-मकोड़े एवं वनस्पति नष्ट होते है।
    प्रदूषण आज सारे विश्व के लिए गंभीर समस्या बन कर उभरा है। इस विश्व स्तरीय प्रदूषण से भारत वर्ष भी बुरी तरह से प्रभावित है। ऐसा नहीं है कि प्रदूषण की समस्या विगत कुछ वर्षों से हमारे सामने प्रकट हुई हो। हां, इतना जरूर है कि इस समस्या ने हाल के वर्षों में एक भयावह रूप लिया है। राजधानी नई दिल्ली और आसपास के शहरों में प्रदूषण का प्रकोप देखने को मिला है और अभी भारत भीषण गर्मी झेला है। अप्रत्याशित रूप से जान-माल का नुकसान हुआ है। यदि वृक्षों को काटा जाता है और प्रदूषण पर नियंत्रण नहीं होता है तो दुनिया को इसके दुष्परिणाम झेलने होंगे। आज अधिक से अधिक पेड़ लगाना समय की मांग है। प्रकृति का संरक्षण एवं संवर्धन करना हमारा नैतिक दायित्व है।

Swadesh Bhopal group of newspapers has its editions from Bhopal, Raipur, Bilaspur, Jabalpur and Sagar in madhya pradesh (India). Swadesh.in is news portal and web TV.

@2023 – All Right Reserved. Designed and Developed by Sortd