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आचार्य महाप्रज्ञ अहिंसा के महान प्रयोक्ता

  • ललित गर्ग
    आज जब रूस एवं यूक्रेन युद्ध समूची दुनिया की एक बड़ी समस्या का रूप लिये हुए है तब इस युद्ध की समाप्ति के लिये दुनिया भारत की ओर देख रही है, ऐसे समय में आचार्य महाप्रज्ञ की अहिंसा का सहज ही स्मरण हो रहा है, जिन्होंने देश एवं दुनिया की अनेक महाशक्तियों को अहिंसा के प्रयोग की सफलतम प्रेरणाएं दी। लेकिन मिसाइलमैन के नाम से प्रसिद्ध डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम को दी गयी अहिंसा की प्रेरणा सर्वाधिक सफल एवं कारगर सिद्ध हुई। उन्हीं की प्रेरणा थी कि डॉ. कलाम ने राष्ट्र को शक्तिशाली बनाने के लिये जहां अस्त्र-शस्त्र की शक्ति को संगठित करने के प्रभावी प्रयोग किये वही अमन एवं शांति के लिये अहिंसा को भी तेजस्वी बनाया। वे दुनिया को अणुबम से अणुव्रत ( अहिंसा ) की ओर ले जाने वाले विरल महामानव आचार्य महाप्रज्ञ की प्रेरणा के कारण ही कहलाये।
    आचार्य महाप्रज्ञ एक दार्शनिक, चिन्तक, कवि, संत एवं साहित्यकार होते हुए भी शांति, अहिंसा एवं संतुलित जीवन के लिये प्रेक्षाध्यान पद्धति के अनुसंधाता, प्रणेता एवं प्रयोक्ता थे। जिन्होंने हम सबको आस्था एवं शांतिपूर्ण जीवन की नयी जीवनशैली प्रदान की है, वे अपने गुरु आचार्य तुलसी के प्रति सर्वात्मना समर्पित थे। राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर सहित अनेक बुद्धिजीवियों ने महाप्रज्ञ को भारत का दूसरा विवेकानन्द बताया। पारिवारिक मोहपाश एवं भौतिक सुख-सुविधाओं को त्याग मात्र दस वर्ष की अवस्था में उन्होंने मुनि-जीवन के कठोर मार्ग को स्वीकार किया।
    मुनि नथमल के रूप में उनकी आध्यात्मिक यात्रा की शुरुआत हुई। उन्होंने 271 पुस्तकों का लेखन किया। अणुव्रत आन्दोलन में उनकी मुख्य भूमिका रही, जो आचार्य तुलसी ने 1949 में शुरू किया। भारत की शिक्षा प्रणाली के अधूरेपन को दूर करते हुए उन्होंने जीवन-विज्ञान के रूप में आध्यात्मिक शिक्षा का विकास किया। जो छात्रों के संतुलित विकास और उनके चरित्र निर्माण में सहायक बनी। आचार्य महाप्रज्ञ का मुख्य लक्ष्य अहिंसा रहा। उन्होंने वर्ष 2007 में अहिंसा यात्रा का सुजानगढ़- राजस्थान से प्रारंभ किया और समूचे देश में अहिंसा की ज्योति एवं अहिंसा के प्रशिक्षण का उपक्रम किया।
    डॉ. कलाम आचार्य श्री महाप्रज्ञ के अहिंसा-दर्शन एवं जीवनशैली से इतने अधिक प्रभावित थे कि अपना हर जन्म दिन आचार्य महाप्रज्ञ की सन्निधि में ही मनाते थे। जहां भी आचार्य महाप्रज्ञ होते वे वहां पहुंच जाते थे। भारत को परमाणु अस्त्रों से समृद्ध बनाने वाले महान वैज्ञानिक डॉ॰ कलाम अपने ही द्वारा विकसित किए गए परमाणु अस्त्रों को निस्तेज करने की चुनौती भरी जंग लड़ते रहे। वे अहिंसा और शांति की स्थापना के लिए प्रयासरत थे। इन परमाणु अस्त्रों और शस्त्रों की होड़ में उल्लेखनीय सफलताएं हासिल करने वाले इस महान वैज्ञानिक का हृदय आचार्य महाप्रज्ञ की प्रेरणा से एकाएक बदल गया। यह एक चुनौती भरा रास्ता था जिसपर चलते हुए डॉ॰ कलाम को अपने ही द्वारा विकसित किए और निर्मित किए गए हिंसा के अत्यधिक नवीनतम आविष्कारों को निस्तेज करने की सोचना पड़ा और समूची दुनिया को शांति और अहिंसा से जीने के लिए अभिप्रेरित करने के प्रयासों में जुटना पड़ा। डॉ॰ कलाम इन्हीं विशिष्ट लक्ष्यों को हासिल करने के लिए जुटे रहे। शांति और अहिंसा हमारे जीवन का व्याख्या सूत्र है और यही आचार्य श्री महाप्रज्ञ के जीवन का ध्येय रहा है। शांति और अहिंसा ही वह माध्यम है जो असफलताओं में से सफलताओं को खोज लाती है।

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