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सावधानी ही बचाव है साइबर अपराध

  • सतीश सिंह
    सूचकांक में 100 देशों को शामिल किया गया है। साइबर अपराध के मामले में रूस शीर्ष पर है, जबकि यूक्रेन दूसरे, चीन तीसरे, अमेरिका चौथे, नाइजीरिया पांचवे, रोमानिया छठे और उत्तर कोरिया सातवे स्थान पर है।
    भारत में कई तरह के साइबर अपराध होते हैं। हाल के वर्षो में कॉल फॉरवर्डिंग के जरिए साइबर अपराध करने की घटनाओं में उल्लेखनीय तेजी आई है। टेलीकॉम कंपनियां उपभोक्ताओं को कॉल फॉरवर्डिंग की सुविधा देती हैं, जिसके तहत कॉल एवं एसएमएस को फॉर्वड किया जाता है। उपभोक्ताओं को कॉल फॉरवर्डिंग की सुविधा नंबर पर यूएसएसडी बेस्ड कॉल फॉरवर्डिंग की सेवा को एक्टिवेट करने पर मिलती है। यूएसएसडी कोड का इस्तेमाल आम तौर पर बैलेंस या फोन का आईएमईआई नंबर जानने के लिए किया जाता है।
    यह ऐसा फीचर है, जिसकी मदद से एक कोड डायल करके सेवाओं को शुरू या बंद करवाया जा सकता है। कॉल फॉरवर्डिंग के जरिए स्कैमर कॉल करके उपभोक्ताओं को कहता है, ‘हम आपकी टेलीकॉम प्रोवाइडर कंपनी से बोल रहे हैं। हमने नोटिस किया है कि आपके नंबर पर नेटवर्क की समस्या है। समस्या को दूर करने के लिए आपको ‘स्टार 401 हैशटैग’ नंबर डायल करना होगा।’ यह नंबर डायल करने के बाद उपभोक्ता को अंजान नंबर पर कॉल करने के लिए कहा जाता है। जैसे ही, उपभोक्ता कॉल करता है, उसके सभी कॉल और मैसेज स्कैमर के पास पहुंच जाते हैं, जिनमें बैंक और क्रेडिट कार्ड से किए जाने वाले लेन-देन के ओटीपी भी शामिल होते हैं। कॉल और ओटीपी का इस्तेमाल स्कैमर उपभोक्ता के बैंक खाते से पैसे निकालने, सोशल मीडिया में एक्सेस करने और नया सिम जारी करवाने में करते हैं।
    कॉल फॉरवर्डिंग के जरिए किए जा रहे साइबर अपराध को रोकने के लिए सरकार ने 15 अप्रैल, 2024 से यूएसएसडी बेस्ड कॉल फॉरवर्डिंग की सेवा बंद कर दी है। इसलिए स्मार्टफोन उपभोक्ताओं को कहा गया है कि अपने मोबाइल फोन की सेटिंग की जांच करें और ‘स्टार 401 हैशटैग’ नंबर डायल करने पर कॉल फॉरवर्डिंग की सेवा चालू दिखती है, तो उसे तुरंत बंद कर दें।
    विगत वर्षो में डिजिटलाइजेशन के साथ-साथ साइबर अपराध में तेज वृद्धि हुई है। अब तो फेसबुक और इंस्टाग्राम भी ठगी के साधन बन गए हैं। गूगल सर्च इंजन पर लोग अपने हर प्रश्न का जबाव ढूंढ रहे हैं। ऐसे मनोविज्ञान को दृष्टिगत कर ठग नामचीन भुगतान एप्स जैसे, गूगल पे, फोन पे, पेटीएम के नाम से अपना नंबर इंटरनेट पर सहेज रहे हैं, जिसके कारण खुद से लोग हैकर्स के जाल में फंस जाते हैं। अब तो ब्राउजर एक्सटेंशन की डाउनलोडिंग के जरिए भी साइबर अपराध किए जा रहे हैं। यह काम वायरस के जरिए किया जाता है।
    सार्वजनिक चार्जर पोर्ट के माध्यम से भी मोबाइल एवं लैपटॉप संक्रमित हो जाते हैं। क्रोम, मोजिला आदि ब्राउजर के जरिए किए गए ऑनलाइन लेन-देन ब्राउजर के सर्वर में सेव हो जाते हैं, जिन्हें सेटिंग में जाकर डिलीट करने की जरूरत होती है, लेकिन अज्ञानतावश लोग ऐसा नहीं करते और इसका फायदा साइबर ठगों को मिल जाता है। इसलिए जरूरी है कि बैंकिंग डिजिटल उत्पादों जैसे डेबिट और क्रेडिट कार्ड, एटीएम, यूपीआई, इंटरनेट बैंकिंग, क्यूआर कोड आदि के उपयोग में विशेष सावधानी बरती जाए क्योंकि इनके उपयोग में बरती गई असावधानी आपकी जेब को खाली कर सकती है।
    फिशिंग के तहत किसी बड़ी या नामचीन कंपनी या यूजर की कंपनी की फर्जी बेवसाइट, जिसका स्वरूप असली बेवसाइट जैसा होता है, बना कर लुभावने मेल किए जाते हैं, जिनमें मुफ्त में महंगी चीजें देने की बात कही गई होती है। मोबाइल का चलन बढ़ने के बाद हैकर्स एसएमएस या व्हाट्सएप के जरिए भी ऑफर वाले मैसेज भेजते हैं, जिनमें मैलवेयरयुक्त हाइपर लिंक दिया हुआ होता है। मैलवेयर, कंप्यूटर या मोबाइल या टैब में इंस्टॉल सॉफ्टवेयर को नुकसान पहुंचाने के साथ-साथ यूजर की वित्तीय जानकारी जैसे डेबिट या क्रेडिट कार्ड का विवरण, उनके पार्सवड, ओटीपी, मोबाइल नंबर, पता, बैंक खाता नंबर, जन्मतिथि आदि चुरा लेता है।

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