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भारत की कूटनीति और वैश्विक प्रभाव: जयशंकर का खुलासा

भूमिका:
भारतीय विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने हाल ही में एक प्रेस कांफ्रेंस में कई महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा की, जिसमें भारतीय कूटनीति की ताकत और भारत-चीन सीमा पर स्थिति शामिल थी। उन्होंने कहा कि भारत आज विश्व स्तर पर एक प्रभावशाली शक्ति के रूप में उभरा है, जो कि रूस-यूक्रेन युद्ध जैसे जटिल मुद्दों पर बात करने की क्षमता रखता है।

1. वैश्विक कूटनीति में भारत का स्थान

जयशंकर ने बताया कि भारत का कूटनीतिक प्रभाव अब बढ़ता जा रहा है, जिससे दुनिया के कई प्रमुख नेता जैसे जेलेंस्की और पुतिन, भारत से संवाद करने के इच्छुक हैं। यह संकेत करता है कि भारत न केवल क्षेत्रीय बल्कि वैश्विक स्तर पर भी अपनी स्थिति मजबूत कर रहा है।

  • राजनीतिक बातचीत का महत्व: जयशंकर ने स्पष्ट किया कि भारत उन कुछ देशों में से एक है जो इस संकट में सक्रिय रूप से मध्यस्थता कर रहा है। उन्होंने यह भी कहा कि विभिन्न देशों के बीच संवाद स्थापित करना भारत के लिए महत्वपूर्ण है, और यह दर्शाता है कि भारत की कूटनीति कितनी प्रभावी हो गई है।

2. भारत-चीन सीमा विवाद

जयशंकर ने भारत-चीन सीमा विवाद पर भी बात की, जिसमें उन्होंने दो प्रमुख कारण बताए जिनकी वजह से समझौता संभव हो पाया:

  • सैन्य बल का धैर्य: उन्होंने कहा कि भारतीय सेना ने सीमा पर अपनी स्थिति को मजबूती से बनाए रखा। जब भी स्थिति तनावपूर्ण हुई, भारतीय सैनिकों ने अपने कर्तव्यों को निभाते हुए संयम बरकरार रखा।
  • कूटनीति की सफलता: इसके साथ ही उन्होंने यह भी बताया कि कूटनीतिक प्रयासों ने भी अहम भूमिका निभाई। दोनों देशों के बीच संवाद और समझौता कायम रखना, भारत की कूटनीति की एक बड़ी उपलब्धि है।

3. अंतर्राष्ट्रीय परिप्रेक्ष्य

जयशंकर ने यह भी उल्लेख किया कि भारत का कूटनीतिक दृष्टिकोण न केवल पड़ोसी देशों के साथ बल्कि अन्य महाशक्तियों के साथ भी मजबूत हुआ है। भारत अब विभिन्न वैश्विक मंचों पर अपनी बात कहने के लिए एक प्रभावशाली आवाज बन गया है।

  • अंतर्राष्ट्रीय संगठनों में भूमिका: भारत ने यूएन, जी-20 और अन्य संगठनों में अपनी स्थिति को मजबूत किया है। यह दिखाता है कि कैसे भारत की कूटनीति ने उसे वैश्विक मंच पर एक महत्वपूर्ण खिलाड़ी बना दिया है।

एस. जयशंकर के बयान यह स्पष्ट करते हैं कि भारत ने वैश्विक कूटनीति में अपनी पहचान बनाई है और विभिन्न विवादों को सुलझाने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। चाहे वह रूस-यूक्रेन युद्ध हो या भारत-चीन सीमा विवाद, भारत की स्थिति अब एक संवाददाता के रूप में उभरी है, जो विश्व राजनीति में महत्वपूर्ण परिवर्तन ला सकता है।

जयशंकर का यह बयान एक संकेत है कि भारत के पास वैश्विक स्तर पर अपने कूटनीतिक दायरे को और बढ़ाने का एक सुनहरा अवसर है।

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