कोलकाता में प्रशिक्षु महिला चिकित्सक के दुष्कर्म एवं हत्या के मामले की जांच के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने महिलाओं की सुरक्षा पर महत्वपूर्ण बयान दिया है। प्रधानमंत्री मोदी ने महिलाओं के खिलाफ अपराध से जुड़े मामलों में त्वरित न्याय की आवश्यकता पर जोर दिया और कहा कि इससे महिलाओं को अपनी सुरक्षा का अधिक भरोसा मिलेगा। नि:संदेह, पीड़ित ही नहीं अपितु समाज भी जघन्य अपराधों में त्वरित न्याय की आशा रखता है। सही समय पर न्याय मिलने से लोगों का विश्वास बढ़ता है कि देश में एक व्यवस्था है, जो अन्याय एवं अत्याचार होने पर हमें तत्काल न्याय दिलाएगी। सुरक्षा की एक भावना पैदा होती है। अन्यथा समाज के बीच में यह भी धारणा बनती जा रही है कि अपराधी अपराध करने के बाद लंबे समय तक कानून की लंबी प्रक्रिया का लाभ लेकर समाज के बीच स्वच्छंद विचरण करता है। महिलाओं से जुड़े अपराधों में जब बहुत समय बाद निर्णय आता है तो कई बार वह औचित्यहीन दिखायी देता है। क्योंकि तब तक लोगों के ध्यान से वह घटना विस्मृत हो जाती है, न्याय की आकांक्षा के भाव का भी लोप हो जाता है। याद हो कि पिछले दिनों राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने इस प्रकार की घटनाओं को सामूहिक तौर पर भूलने की हमारी प्रवृत्ति की ओर ध्यान आकर्षित किया था। सामूहिक रूप से भूलने की यह प्रवृत्ति भी महिलाओं के लिए सुरक्षित वातावरण बनाने में एक बड़ी बाधा है। उल्लेखनीय है कि अत्यधिक देरी के कारण समाज को न्याय होता हुआ दिखायी नहीं देता है। जिस समय समाज में आक्रोश और भय है, उसी समय अपराधियों को सजा होती है, तो लोगों को न्याय होता हुआ दिखायी देता है और आत्मविश्वास पैदा होता है। समय पर सजा होने से अपराधियों के बीच भी कड़ा संदेश जाता है। महिलाओं के मामले को लेकर अत्यंत संवेदनशील प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने उचित ही कहा है कि “महिलाओं के खिलाफ अत्याचार के मामलों में जितनी तेजी से न्याय मिलेगा, आधी आबादी को अपनी सुरक्षा के बारे में उतना ही अधिक भरोसा होगा”। कोलकाता बलात्कार एवं हत्याकांड जैसे जघन्य अपराधों के बाद अकसर कानूनों में सुधार की माँग उठती है। महिलाओं को न्याय दिलाने एवं अपराधियों को सजा दिलाने में सक्षम कानून उपलब्ध होने के बाद भी यह माँग बार-बार इसलिए उठती है क्योंकि न्याय होता हुआ नहीं दिखता तो लोगों को लगता है कि हमारे कानूनों में कोई कमी है या कानून अपर्याप्त हैं। इस संदर्भ में प्रधानमंत्री मोदी ने उचित ही कहा कि महिलाओं के खिलाफ अपराधों से निपटने के लिए कई कड़े कानून हैं। आवश्यकता है कि त्वरित न्याय सुनिश्चित करने के लिए आपराधिक न्याय प्रणाली के बीच बेहतर समन्वय बनाया जाए। महिला अपराधों के मामले में त्वरित न्याय सुनिश्चित करने के लिए संबंधित संस्थाओं को अपनी भूमिका का निर्वहन सक्रियता के साथ करना होगा। ऐसे में पुलिस और न्यायपालिका की जिम्मेदारी अधिक बढ़ जाती है। हमारी संस्थाओं ने अनेक अवसरों पर भूसे के ढेर से सुई खोजकर दिखायी है। जहाँ कोई आशा नहीं दिखायी दे रही थी, वहाँ अथक परिश्रम करके पुलिस ने सबूत जुटाए और न्यायपालिका ने त्वरित सुनवाई करके अपराधियों को उनके किए की सजा दी है। महिलाओं के साथ ही संपूर्ण समाज का विश्वास एवं उनके मन में सुरक्षा की भावना को मजबूत करने के लिए हमारी व्यवस्थाओं को समय पर न्याय देने के यथासंभव प्रयत्न करने ही चाहिए क्योंकि कई बार लगता है कि देरी से मिला न्याय भी एक प्रकार से अन्याय है।
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