कांग्रेस के मुख्य नेता राहुल गांधी अपनी लंदन यात्रा के दौरान बांग्लादेश की कट्टरपंथी नेता खालिदा जिया के भगोड़े बेटे तारिक रहमान से कथित मुलाकात को लेकर सवालों के घेरे में है। बांग्लादेश के वरिष्ठ पत्रकार एवं ‘ब्लिट्ज’ के संपादक सलाहुद्दीन शोएब चौधरी ने यह दावा किया है कि अपनी लंदन यात्रा के दौरान राहुल गांधी ने बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी के कार्यवाहक अध्यक्ष तारिक रहमान के साथ गुप्त मुलाकात की और बैठक में राहुल गांधी ने इस बात के लिए भी अपनी सहमति दी, जो आज बांग्लादेश में देखने को मिल रहा है। यानी बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना को हटाने के लिए दोनों के बीच सहमति बनी। अब तो यह तथ्य भी सामने आ गया है कि शेख हसीना की सरकार को उखाड़ फेंकना अमेरिकी खुफिया एजेंसी सीआईए और पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई की एक बड़ी साजिश का हिस्सा था। बांग्लादेश के पत्रकार चौधरी के आरोपों ने कांग्रेस के मुख्य नेता राहुल गांधी की राजनीति पर संदेह तो पैदा कर दिया है। संदेह के बादल इसलिए भी गहरा रहे हैं क्योंकि अब तक कांग्रेस या राहुल गांधी की ओर से अधिकृत तौर पर इस मुलाकात से इनकार नहीं किया गया है। याद हो कि राहुल गांधी कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ चाइना के प्रतिनिधियों एवं चीनी राजदूतों के साथ गोपनीय बैठकों के लिए भी चर्चा में रह चुके हैं। उस समय भी जब भारतीय जनता पार्टी ने चीनी राजदूत से गुप्त बैठक का मुद्दा उठाया था, तब प्रारंभ में कांग्रेस की ओर से कहा गया था कि राहुल गांधी चीन के राजदूतों से नहीं मिले हैं। लेकिन, बाद में चीनी राजदूतों के साथ मुलाकात की उनकी तस्वीरें सामने आ गईं। कांग्रेस को उन तस्वीरों ने काफी विचलित किया। संभव है कि रहमान के साथ मुलाकात पर कांग्रेस ने इसी कारण चुप्पी साध रखी है। कहीं इनकार करने पर तस्वीरें सामने न आ जाएं। लेकिन यह चुप्पी भी तो कांग्रेस की नीति पर सवाल उठा रही है। बांग्लादेश के मामले में ऐसे कई घटनाक्रम हैं, जो कांग्रेस और उसके नेताओं को संदेह के दायरे में लाते हैं। देश की जनता को हैरानी है कि गाजा के मुसलमानों की चिंता करते हुए राहुल गांधी और प्रियंका वाड्रा ने बयान दिए हैं लेकिन पड़ोसी देश में पीड़ित हिन्दुओं के पक्ष में अभी तक उन्होंने एक भी ट्वीट नहीं किया है। जबकि यह मुद्दा खूब उठाया जा रहा है। जब चारों ओर से अपेक्षा आ रही है कि राहुल गांधी और प्रियंका वाड्रा बांग्लादेश के हिन्दुओं के हित में एक ट्वीट कर दें, उसके बाद भी उनकी चुप्पी सवाल तो पैदा करती है। कौन-सी ताकतें या वायदें हैं, जो कांग्रेस के नेताओं को हिन्दुओं की चिंता में दो शब्द बोलने से रोक रहे हैं? यह कहने में कोई संकोच नहीं कि राहुल गांधी अकसर अपनी विदेश यात्राओं में भारत की विदेश नीति के विरुद्ध आचरण करते हैं। उन्होंने यूरोप के देशों को भारतीय लोकतंत्र में हस्तक्षेप करने का न्यौता तक दिया है? विक्कीलीक्स के खुलासे भी हैं, जिन पर आज तक कोई ठोस जवाब नहीं आया है। बहरहाल, कांग्रेस और राहुल गांधी को यह स्पष्ट करना चाहिए कि रहमान से उनकी मुलाकात हुई या नहीं? यदि इसका उत्तर हाँ है, तब उन्हें यह बताना चाहिए कि उस मुलाकात में क्या बातचीत हुई। अन्यथा, कांग्रेस और राहुल गांधी को लेकर संदेह और गहरा होता जाएगा जो उनके हित में नहीं है। नैतिकता यही कहती है कि सत्य सबके सामने आना चाहिए। सत्य सामने रख दिया जाएगा तो अफवाहों का बाजार उतना गर्म नहीं होगा, जितना अभी है।
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