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बंगाल की चिंता

पश्चिम बंगाल में मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के ढुलमुल रवैए, तृणमूल कांग्रेस के कार्यकर्ताओं की गुंडागर्दी और कट्‌टरवादी ताकतों की निर्भय सक्रियता के कारण अराजक स्थितियां बन गई हैं। सत्ताधारी दल, उसकी विचारधारा और अन्य मामलों में असहमति रखनेवाले नागरिकों के लिए वहाँ जीवनयापन अत्यंत कठिन हो गया है। पश्चिम बंगाल से कई वीडियो वायरल हुए हैं, जिनमें विपक्षी दलों के कार्यकर्ताओं और आम नागरिकों को मारापीटा जा रहा है। यहाँ तक की इस्लामिक कानूनों को आधार बनाकर शरिया अदालतें लगाई जा रही हैं और लोगों को सजा दी जा रही है। भारतीय जनता पार्टी द्वारा तो इस स्थिति की ओर समूचे देश का ध्यान आकर्षित किया ही जा रहा था लेकिन अब प्रदेश के बड़े कांग्रेसी नेता अधीर रंजन चौधरी ने भी अपनी चुप्पी तोड़ दी है। हालांकि, कांग्रेस ने अभी तक उनकी चिंता के साथ अपना समर्थन प्रदर्शित नहीं किया है। क्योंकि कांग्रेस का शीर्ष नेतृत्व प्रदेश की भयावह स्थितियों पर अब तक चुप है। जबकि पश्चिम बंगाल में तृणमूल कांग्रेस के कार्यकर्ताओं एवं मुस्लिम गुंडों की ओर से केवल भाजपा के कार्यकर्ताओं की ही मारपीट एवं हत्या नहीं की जा रही है अपितु उनके निशाने पर वामपंथी और कांग्रेसी कार्यकर्ता/समर्थक भी हैं। अभी हाल ही में कांग्रेस के कार्यकर्ता की पेड़ से बांधकर पीट-पीटकर हत्या की दी गई। लेकिन अभी तक अधीर रंजन चौधरी के अलावा किसी भी कांग्रेसी नेता की संवेदनाएं नहीं जागी हैं। संभवत: कांग्रेस का शीर्ष नेतृत्व विपक्षी गठबंधन में ममता बनर्जी को बनाए रखने की मंशा से ‘जंगल राज’ और अपने कार्यकर्ताओं पर हमलों की घटनाओं में चुप्पी साधने को मजबूर है। लेकिन ऐसी मजबूरी किसी काम की जो लोकतंत्र और संविधान की रक्षा ही नहीं कर सके। अपने कार्यकर्ताओं के दु:ख-दर्द में सहभागी न हो सके। प्रदेश में स्थितियां इतनी भयावह हैं कि कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को पत्र लिखने के लिए मजबूर हो गए। उन्होंने पत्र लिखकर पश्चिम बंगाल में बनी अराजक स्थिति से राष्ट्रपति को अवगत कराया और राज्य में कानून व्यवस्था बहाल करने के लिए राष्ट्रपति मुर्मू से हस्तक्षेप करने की मांग की है। अपने पत्र में उन्होंने उन सब बातों को दोहराया है, जिन्हें अब तक भाजपा उठाती आई है। जैसे, चुनावी एवं राजनीतिक हिंसा। पंचायत एवं विधानसभा चुनावों की भाँति हाल ही में सम्पन्न हुए आम चुनावों के दौरान एवं बाद में तृणमूल कांग्रेस के कार्यकर्ताओं द्वारा विपक्षी पार्टी के कार्यकर्ताओं पर हमले करना, उनकी आजीविका समाप्त करना और ध्रुवीकरण करना। दो पन्नों के पत्र में चौधरी ने स्पष्ट लिखा कि “मेरे लिए व्यक्तिगत स्तर पर, राज्य में अराजक स्थिति को देखना न केवल परेशान करने वाला है, बल्कि बहुत पीड़ादायक भी है। इसका कारण सत्तारूढ़ पार्टी का विपक्ष के कार्यकर्ताओं, समर्थकों और समर्थकों के प्रति क्रूर रवैया है”। चौधरी ने ‘क्रूर रवैया’ शब्द का उपयोग उचित ही किया है। जिस प्रकार से वहाँ लोगों के घर-दुकान जलाए जा रहे हैं, उनको घेरकर निर्दयीयता के साथ मारा-पीटा जा रहा है, महिलाओं के साथ अभद्रता की जा रही है, यह सब क्रूरता की पराकाष्ठा है। इस क्रूरता के कारण लोगों को अपने घर छोड़कर पलायन के लिए मजबूर होना पड़ रहा है। इसकी उम्मीद तो कम ही है कि अधीर रंजन चौधरी की पीड़ा को कांग्रेस का शीर्ष नेतृत्व सुनेगा। परंतु, पश्चिम बंगाल की स्थितियां सुधारने एवं कानून की व्यवस्था लागू कराने के लिए केंद्र सरकार को अवश्य ही कुछ ठोस कदम उठाने चाहिए।

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