प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने ‘आत्मनिर्भर भारत’ और ‘संकल्प से सिद्धि’ के विचार देश के सामने रखे थे, जिनके सुखद परिणाम हमें दिखायी दे रहे हैं। रक्षा उत्पादन के क्षेत्र में भारत ने आत्मनिर्भरता का संकल्प लिया था, जिसकी पूर्ति हेतु रक्षा उत्पादों के लिए दूसरे देशों पर निर्भरता को कम करके अपने यहाँ उत्पादन को बढ़ावा दिया गया। इस संदर्भ में उल्लेखनीय है कि वर्ष 2023-24 में भारत का कुल वार्षिक रक्षा उत्पादन 1.3 लाख करोड़ रुपये के स्तर पर पहुंच गया, जो एक कीर्तिमान है। वित्त वर्ष 2022-23 की तुलना में बीते वर्ष 16.7 प्रतिशत अधिक उत्पादन हुआ। इस उपलब्धि को रेखांकित करते हुए पिछले दिनों रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने सही कहा भी है कि ‘मेक इन इंडिया’ अभियान साल-दर-साल नये-नये मील के पत्थर स्थापित कर रहा है। देश को आत्मनिर्भर बनाने के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आह्वान एवं प्रयासों के सकारात्मक परिणाम तो अनेक क्षेत्रों में दिख रहे हैं, पर रक्षा उत्पादन एवं निर्यात में उल्लेखनीय वृद्धि का एक विशिष्ट महत्व है। ऐतिहासिक रूप से हम अपनी रक्षा आवश्यकताओं के लिए आयात पर निर्भर रहे हैं। कुछ वर्षों से भारत सरकार ने यह प्रावधान कर दिया है कि हमारी सेनाएं कई वस्तुओं की खरीद देश में ही करेंगी। इन वस्तुओं की सूची लगातार बड़ी होती जा रही है। बड़ी आयुध सामग्री के निर्माण में भी हम आगे बढ़ रहे हैं। आज भारत में युद्धपोतों और पनडुब्बियों का निर्माण भी हो रहा है। स्मरण रखें कि इनके निर्माण की क्षमता कुछ गिने-चुने देशों के पास ही है। इसलिए यह विशेषतौर पर उल्लेखनीय है। आयात घटने और निर्यात बढ़ने से खर्च में कमी आ रही है और रक्षा उद्योग की कमाई में बढ़ोतरी हो रही है। हमें ध्यान रखना होगा कि हथियारों की आपूर्ति में भू-राजनीतिक स्थितियों तथा तकनीक को लेकर विभिन्न देशों की संरक्षणात्मक नीतियों का भी प्रभाव होता है। देश में रक्षा उत्पादन बढ़ने से ऐसे दबावों में भी कमी आ रही है। जिन देशों को रक्षा उत्पाद बेचे जा रहे हैं, उनके साथ हमारे रणनीतिक संबंध भी बेहतर हो रहे हैं। इससे वैश्विक मंच पर भारत के प्रभाव को बढ़ाने में मदद मिल रही है। निर्यात में वृद्धि यह भी इंगित करती है कि भारतीय उत्पादों की गुणवत्ता में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भरोसा बढ़ रहा है। उल्लेखनीय है कि आयातकों में अमेरिका, ब्रिटेन, इस्राइल, फ्रांस, जर्मनी, संयुक्त अरब अमीरात, नीदरलैंड, सऊदी अरब आदि देश शामिल हैं। इनमें से अनेक देश विकसित अर्थव्यवस्थाएं हैं तथा रक्षा उत्पादन में शीर्षस्थ हैं। बीते वित्त वर्ष में कुल उत्पादन (मूल्य के हिसाब से) का 79 प्रतिशत हिस्सा सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों द्वारा उत्पादित किया गया और शेष योगदान निजी क्षेत्र ने किया। इससे स्पष्ट है कि सरकारी और निजी दोनों ही क्षेत्रों में विस्तार हो रहा है। रक्षा उत्पादन में निजी क्षेत्र को बढ़ावा देने समेत विभिन्न सुधारों के परिणाम उत्साहजनक हैं। वर्ष 2023-24 में रक्षा निर्यात 21,083 करोड़ रहा, जो अभूतपूर्व है। साल 2022-23 में यह आंकड़ा 15,920 करोड़ रहा था। रक्षा उत्पादन एवं निर्यात में वृद्धि की गति के बने रहने की पूरी संभावना है, जिसका एक संकेत हमें शेयर बाजार में संबंधित कंपनियों के प्रदर्शन से मिलता है। इसे ठोस आधार देने के लिए शोध एवं अनुसंधान पर अधिक ध्यान देने की आवश्यकता है ताकि हम अत्याधुनिक तकनीक आधारित साजो-सामान का उत्पादन बढ़ा सकें।
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