कांग्रेस का संकट खत्म होने का नाम ही नहीं लेता। एक नेता के बयान से फैला रायता समेटा नहीं गया होता कि तब तक किसी और नेता का विवादित बयान आ जाता है। राहुल गांधी के सलाहकार माने जानेवाले सैम पित्रौता ने एक के बाद एक ऐसे बयान दिए कि कांग्रेस की मुश्किलें बढ़ गईं। पहले विरासत कर का मामला उन्होंने उछाला। चूँकि राहुल गांधी लगातार सम्पत्ति के सर्वेक्षण एवं आबादी के अनुपात में देश के संसाधनों पर अधिकार की बात कर रहे हैं, इसलिए सैम पित्रौता के बयान को इसी शृंखला का हिस्सा माना गया। हालांकि कांग्रेस ने पित्रौता के विचार से किनारा करने का प्रयास किया। परंतु तब तक पित्रौता ने भारतीय नागरिकों को चीनी, अफ्रीकी, अमेरिकी इत्यादि बता दिया। यानी रंग भेद एवं शारीरिक बनावट के आधार पर उनकी पहचान को किसी दूसरे देश से जोड़ने का कारनामा कर दिया। यह बयान इतना विवादित था कि कांग्रेस को सैम पित्रौदा का त्यागपत्र स्वीकार करना पड़ गया। इसके अलावा महाराष्ट्र के एक नेता ने राम मंदिर के शुद्धिकरण करने की बात कहकर एक बार फिर राम मंदिर को लेकर कांग्रेस की मानसिकता को उजागर कर दिया। कांग्रेस की ओर से इन बयानों पर लीपापोती की जाती, उससे पहले ही मणिशंकर अय्यर ने ऐसा बयान दे दिया, जिसके कारण से भाजपा को कांग्रेस को कठघरे में खड़ा करने का एक और सुअवसर मिल गया। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता मणिशंकर अय्यर ने यह कहकर विवाद खड़ा कर दिया कि भारत को पाकिस्तान के साथ बातचीत करनी चाहिए और अपनी सैन्य ताकत नहीं बढ़ानी चाहिए क्योंकि इससे इस्लामाबाद नई दिल्ली के खिलाफ परमाणु हथियार तैनात करने के लिए परेशान हो सकता है। भारत को पाकिस्तान का सम्मान करना चाहिए अन्यथा उसे बुरा लग सकता है और वहाँ से कोई सिरफिरा भारत पर हमला कर सकता है। मणिशंकर अय्यर का यह बयान एक तरह से पाकिस्तान की जुबान है। जैसे कोई पाकिस्तानी नेता भारत को धमकाने की कोशिश कर रहा हो। उल्लेखनीय है कि इस सप्ताह की शुरुआत में, कांग्रेसनीत विपक्षी गठबंधन की प्रमुख पार्टी नेशनल कॉन्फ्रेंस (एनसी) प्रमुख फारूक अब्दुल्ला ने तीखी टिप्पणी की थी कि अगर उकसाया गया तो पाकिस्तान परमाणु बम का सहारा ले सकता है। अय्यर ने भी यही कहा कि पाकिस्तान के पास परमाणु बम हैं। हमारे पास भी हैं, लेकिन अगर कोई ‘पागल’ लाहौर पर बम गिराने का फैसला करता है, तो विकिरण को अमृतसर तक पहुंचने में 8 सेकंड नहीं लगेंगे। नि:संदेह, यह कांग्रेस का डर तो नहीं हो सकता अपितु उसके नेताओं का पाकिस्तान प्रेम अवश्य ही दिखता है। मणिशंकर अय्यर ऐसे नेता हैं, जिनका पाकिस्तान प्रेम अकसर जाहिर होता रहता है। हमेशा की तरह कांग्रेस ने मणिशंकर अय्यर के बयान से पल्ला झाड़ लिया है लेकिन प्रश्न यह है कि कांग्रेस इस प्रकार के नेताओं को अपने साथ रखती क्यों है? पाकिस्तान की जुबान बोलनेवाले नेताओं से कांग्रेस हमेशा के लिए पल्ला क्यों नहीं झाड़ लेती? यदि कांग्रेस पाकिस्तान की भाषा बोलनेवाले नेताओं को पार्टी में बनाए रखेगी तब देश का आम नागरिक यही मानेगा कि कहीं न कहीं पार्टी का पक्ष भी यही है। कांग्रेस को यदि जनता का विश्वास जीतना है, तब उसे मणिशंकर अय्यर जैसे नेताओं की हमेशा के लिए छुट्टी करनी होगी और इस प्रकार के विचारों की कड़ी निंदा करनी होगी।
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