- भारत की ओर से डिफेंस सेक्टर में लगातार भारी-भरकम निवेश किया जाता रहा है।
- भारत में वॉर प्लेन (लड़ाकू विमान) के इंजन और बख्तरबंद वाहनों का निर्माण होगा।
नई दिल्ली/वाशिंगटन। भारत की सीमाएं चीन और पाकिस्तान से लगती हैं। दोनों पड़ोसी देशों के मंसूबे भारत के प्रति शत्रुतापूर्ण रहते हैं, ऐसे में भारत अपनी सीमाओं को और मजबूत और अभेद्य बनाने में जुटा है। साथ ही अपने सैन्य क्षमताओं का लगातार विकास भी कर रहा है, ताकि सशस्त्र बल के जवानों को अत्याधुनिक उपकरण मुहैया करवाया जा सके। भारत की ओर से डिफेंस सेक्टर में लगातार भारी-भरकम निवेश किया जाता रहा है।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पिछले वर्ष जून में अमेरिका की आधिकारिक यात्रा पर गए थे और उसी दौरान इस ऐतिहासिक समझौते की घोषणा की गई थी। ‘जनरल इलेक्ट्रिक’ ने भारतीय वायुसेना के लिए लड़ाकू विमानों के इंजन बनाने के लिए ‘हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स’ के साथ एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए हैं।
अमेरिकी रक्षा मंत्री का बड़ा बयान
अमेरिकी रक्षा मंत्री लॉयड ऑस्टिन ने सदन विनियोग उपसमिति को बताया कि अमेरिका के भारत के साथ बेहतरीन संबंध हैं।
तेजस मार्क-1ए की पहली उड़ान
एलसीए तेजस मार्क 1ए की पहली सफल उड़ान बेंगलुरु के एचएएल फैसिलिटी में पूरी हुई। यह फाइटर एयरक्रॉफ्ट अपनी पहली उड़ान के दौरान 18 मिनट तक हवा में रहा। तेजस मार्क 1ए आधुनिक और 4+ जेनेरेशन का फाइटर एयरक्रॉफ्ट है। इसमें हवा में फ्यूल भरा जा सकता है, जिससे इसकी क्षमता और बढ़ जाती है। साथ ही यह फाइटर जेट एक्टिव इलेक्ट्रॉनिकली स्केन्ड ऐरे रडार, बीवीआर यानी बियॉन्ड विजुवल रेंज मिसाइल, इलेक्ट्रॉनिक वॉरफेयर सूट से लैस है। भारतीय वायुसेना ने 83 एलसीए मार्क 1ए तेजस के लिए हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड के साथ करार किया है। जबकि अतिरिक्त 97 तेजस मार्क 1ए फाइटर की खरीद को रक्षा खरीद परिषद पहले ही मंजूरी दे चुकी है।