विपक्षी राजनीतिक दलों का गठबंधन ‘आईएनडीआईए’ अलबेला है। भारतीय राजनीति में इस प्रकार का गठबंधन शायद ही कभी बना हो, जो एक-दूसरे के कट्टर प्रतिद्वंद्वी हैं, एक-दूसरे के खिलाफ दम से चुनाव लड़ रहे हैं और एक ही गठबंधन का हिस्सा हैं। पाँच राज्यों के विधानसभा चुनाव के दौरान कहा जा रहा था कि यह गठबंधन लोकसभा चुनाव के लिए बना है इसलिए विधानसभा चुनाव में सीटों का बंटवारा नहीं होगा। गठबंधन में शामिल राजनीतिक दल राज्यों में चुनाव लड़ने के लिए स्वतंत्र हैं। लेकिन जैसे ही लोकसभा के चुनाव सिर पर आए तो फिर से सीट बंटवारे को लेकर समस्याएं खड़ी हो गई हैं। पहले आम आदमी पार्टी ने पंजाब में कांग्रेस से पल्ला झाड़ा और अब पश्चिम बंगाल में तृणमूल कांग्रेस ने कांग्रेस को ही घेर लिया है। कांग्रेस लगातार प्रयास कर रही थी कि तृणमूल कांग्रेस के साथ बात बन जाए। पश्चिम बंगाल में विपक्षी गठबंधन के दल मिलकर चुनाव लड़ें। लेकिन अपने गढ़ में कांग्रेस और कम्युनिस्टों के साथ सीटें साझा करने का मानस कभी भी मुख्यमंत्री ममता बनर्जी का नहीं रहा। सही भी है, यदि तृणमूल कांग्रेस पश्चिम बंगाल में कम्युनिस्टों के साथ दोस्ती गाँठ लेती, तब उसके पैरों के नीचे से राजनीतिक जमीन घिसकने का खतरा खड़ा हो जाता। एक बार वह कांग्रेस को अपने हिस्से की सीट दे देती, तब वह सीट हमेशा के लिए उससे दूर हो सकती थी। बहरहाल, तृणमूल कांग्रेस की नेता ममता बनर्जी ने 42 सीटों के लिए उम्मीदवारों के नाम की घोषणा करके साफ कर दिया है कि वह कांग्रेस के साथ दो-दो हाथ करने के लिए तैयार है। कांग्रेस के सामने ऐसी स्थितियां उत्पन्न कर दी गई हैं कि इस बार पश्चिम बंगाल से एक सीट जीतना भी उसके लिए मुश्किल हो जाएगा। तृणमूल कांग्रेस ने कांग्रेस के दिग्गज नेता अधीर रंजन चौधरी के सामने पूर्व क्रिकेटर यूसुफ पठान को उम्मीदवार बनाकर, कांग्रेस को झटका दिया है। यूसुफ पठान के नाम की घोषणा के बाद अधीर रंजन चौधरी ने मीडिया से संवाद किया, जिसमें उनकी घबराहट को साफ देखा जा सकता है। उन्होंने तो यहाँ तक कह दिया कि तृणमूल कांग्रेस ने वोटों का ध्रुवीकरण करने के लिए यूसुफ पठान को टिकट दिया है। उल्लेखनीय है कि बहरामपुर लोकसभा सीट पर लगभग 60 प्रतिशत मुस्लिम जनसंख्या है। यदि वोटों का ध्रुवीकरण यूसुफ पठान के पक्ष में होता है, तब अधीर रंजन चौधरी का हारना तय है। कांग्रेस के लिए इस सीट को अधीर रंजन चौधरी पाँच बार से जीत कर दे रहे हैं। यह भी याद रखना चाहिए कि यहाँ से भाजपा भी किसी दमदार प्रत्याशी को मैदान में उतारेगी, जो हिन्दू समाज का बड़ा हिस्सा अपने पक्ष में कर लेगा। हालांकि, अधीर रंजन चौधरी का कहना है कि तृणमूल ने बहरामपुर से यूसुफ पठान को उतारकर भारतीय जनता पार्टी के लिए मैदान तैयार किया है। परंतु, राजनीतिक विश्लेषक यह नहीं मानते हैं। ममता बनर्जी के टिकट वितरण की आलोचना उनकी पार्टी के भीतर से भी हो रही है। क्योंकि उन्होंने युसूफ पठान, शत्रुघ्न सिन्हा और कीर्ति आजाद सहित ऐसे व्यक्तियों को टिकट दिया है, जिनका पश्चिम बंगाल से कोई संबंध नहीं है। बहरहाल, देखना होगा कि कांग्रेस इस सबके बाद भी विपक्षी गठबंधन ‘आईएनडीआईए’ को ढोना जारी रखेगी या उसको औपचारिक रूप से भंग करेगी। ऐसे गठबंधन का भी क्या काम? केरल में भी कम्युनिस्ट पार्टियों ने राहुल गांधी के सामने दमदार प्रत्याशी उतारकर कांग्रेस को बड़ा झटका दिया है।
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