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- पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया की जमानत याचिका सोमवार को खारिज कर दी.
- कोर्ट ने कहा कि अस्थायी रूप से यह बात साबित होती है कि 338 करोड़ रुपये का लेनदेन हुआ है.
नई दिल्ली ,पिछले 8 महीनों से जेल में बंद दिल्ली के पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया को सुप्रीम कोर्ट भी राहत नहीं मिली है. सोमवार को सिसोदिया की याचिका पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने उन्हें जमानत देने से इनकार कर दिया. दिल्ली शराब नीति में कथित भ्रष्टाचार और मनी लॉन्ड्रिंग के आरोपों के चलते मनीष सिसोदिया को इसी साल 26 फरवरी को अरेस्ट किया गया था. मनीष सिसोदिया को जमानत नहीं मिलना जांच एजेंसियों – प्रवर्तन निदेशालय और केंद्रीय जांच ब्यूरो के लिए बड़ी जीत मानी जा रही है. सूत्रों के मुताबिक, जांच एजेंसियां इस आदेश को जमानत की सुनवाई के दौरान उनकी दलीलों और शीर्ष अदालत के समक्ष पेश किए गए सबूतों की स्वीकृति के रूप में देख रहे हैं.
क्यों खारिज होती रही है सिसोदिया की जमानत?
मामले में नंबर एक आरोपी बनाए गए सिसोदिया को फरवरी में सीबीआई ने गिरफ्तार किया था. सिसोदिया पर इस मामले में सबूत नष्ट करने और अन्य आरोपियों के साथ मिलकर कुछ शराब कारोबारियों के लिए मौद्रिक लाभ के बदले में एक नीति लागू करने की साजिश रचने के आरोप हैं. इसके बाद ईडी ने मार्च में मनी लॉन्ड्रिंग के आरोप में सिसोदिया को गिरफ्तार किया था. सुप्रीम कोर्ट से पहले ट्रायल कोर्ट और दिल्ली हाई कोर्ट ने भी सिसोदिया की जमानत याचिका खारिज कर दी थी. सिसोदिया की जमानत अर्जी क्यों खारिज हुई उसके पांच कारण हम आपको बता रहे हैं.
338 करोड़ का लेनदेन साबित!
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि जांच एजेंसियों ने 338 करोड़ रुपये के लेन देन को अस्थायी रूप से साबित किया है. यह मनीष सिसोदिया के लिए बड़ा झटका था क्योंकि आम आदमी पार्टी दावा कर रही थी कि इस मामले में पैसे का कोई लेन-देन नहीं हुआ है.
आरोपियों से संबंध
मामले में अन्य मुख्य आरोपियों के साथ मनीष सिसोदिया का कथित जुड़ाव भी उनके खिलाफ गया है. सरकारी गवाह बने आरोपी दिनेश अरोड़ा ने एजेंसियों को दिए अपने बयान में आरोप लगाया था कि जब वह आबकारी मंत्री थे तब उनकी मुलाकात मनीष सिसोदिया से हुई थी. अरोड़ा मनीष सिसोदिया के अलावा आप सांसद संजय सिंह सहित मामले के कुछ अन्य आरोपियों को भी जानते थे.