मुख्यमंत्री ने किया अद्वैत लोक का भूमिपूजन, देशभर के पांच हजार संत-महात्महा पहुंचे ओंकारेश्वर
शाम तक चलेगा समारोह, बहधातु से बनी आदि शंकराचार्य की प्रतिमा
खंडवा/भोपाल। खंडवा जिले के प्रसिद्ध धार्मिक स्थल ओंकारेश्वर में मांधाता पर्वत पर स्थापित की गई आदि शंकराचार्च की 108 फीट ऊंची प्रतिमा का अनावरण गुरुवार को पांच हजार संतों के साथ मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने किया है। पहले 18 सितंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा प्रतिमा का अनावरण किया जाना था, लेकिन संसद के विशेष सत्र के कारण प्रधानमंत्री नहीं आ सके। इसके बाद भारी बारिश के चलते समारोह को 18 सितंबर से बढ़ाकर 21 सितंबर किया गया। आज सुबह मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने महामंडलेश्वर अवधेशानंद गिरी के साथ देशभर से आए पांच हजार संतों के साथ विधिविधान ने वैदिक मंत्रों के साथ पूजन शुरू किया।
बीते पांच दिन से ओंकारेश्वर में हवन-पूजन और यज्ञ चल रहा है। आज सुबह 10:30 बजे आदि शंकराचार्य की प्रतिमा का अनावरण समारोह शुरू हुआ। यह समारोह शाम करीब छह बजे तक चलेगा। शाम पांच बजे के करीब तीन पीठों के शंकराचार्य लाइव शुभाकामनाएं देंगे। इसके बाद मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान समारोह को संबोधित करेंगे। 108 फीट ऊंची यह प्रतिमा एकात्मकता का प्रतीक है। इसे ‘स्टैच्यू ऑफ वननेस’ का नाम दिया गया है। प्रतिमा स्थल के करीब ब्रह्मोत्सव में 5 हजार साधु-संत जुटे हैं। यहां से अद्वैत लोक का शिलान्यास भी मुख्यमंत्री द्वारा किया गया है, जो सन् 2026 तक बनकर तैयार हो जाएगा।
12 साल के आचार्य शंकर की झलक
आदि शंकराचार्य की ये प्रतिमा 12 साल के आचार्य शंकर की झलक है। इसी उम्र में वे ओंकारेश्वर से वेदांत के प्रचार के लिए निकले थे। प्रतिमा 100 टन वजनी है और 75 फीट ऊंचे प्लेटफॉर्म पर स्थापित है। 88 प्रतिशत कॉपर, 4 प्रतिशत जिंक और 8 प्रतिशत टिन को मिलाकर बनाई गई है। इसके 290 पैनल निर्माण कंपनी एलएंडटी ने जेटीक्यू चाइना से तैयार कराए हैं। सभी 290 हिस्सों को ओंकारेश्वर में लाकर जोड़ा गया है। ओंकार पर्वत (मांधाता पर्वत भी) की 11.5 हेक्टेयर जमीन पर अद्वैत लोक आकार ले रहा है। इसी के मध्य में आदिगुरु शंकराचार्य की प्रतिमा स्थापित की गई है। यहां अद्वैत लोक (शंकर संग्रहालय) और आचार्य शंकर अंतरराष्ट्रीय अद्वैत वेदांत संस्थान की स्थापना भी की जा रही है।
11 बजे से चल रहा वैदिक विधि से पूजन
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और पूज्य संतों का ‘एकात्मता की मूर्तिÓ स्थल पर के पास बनाए गए पंडाल में पारंपरिक तरीके से वैदिक विधि से पूजन-पाठ शुरू कर दिया गया है। अगवानी में पंच-वाद्यम् का वादन कर,अलवत्तम (मोर पंख से बने पंखे) और चांवर डुलाई कर मुख्यमंत्री चौहान और साधुओं का का स्वागत किया गया। इसी के साथ मणिपुर, ओडिसा और असम से आमंत्रित शंख वादन के लगभग 60 कलाकारों द्वारा शंखनाद किया।
मांधाता पर्वव गुंजायमान
भव्य एवं दिव्य वातावरण आदि गुरू शंकराचार्य जी की प्रतिमा अनावरण कार्यक्रम में किये जा रहे वैदिक मंत्रोच्चार पाठ से पूरा मांधाता पर्वत गुंजायमान हो रहा है। पुजारियों द्वारा विधि-विधान से पूजन हवन प्रक्रिया संपन्न कराई जा रही है। वहीं देशभर से आमंत्रित शैव परम्परा के लगभग 350 लोक कलाकारों ने अपनी-अपनी शैलियों में नृत्य प्रस्तुतियां दे रहे हैं।
यहां विशेष रूप से आकल्पित एवं निर्मित बहुतलीय पथ के बायें और दायें दोनों ओर मंचों में आचार्य शंकर के स्तोत्र आधारित 150 कलाकारों द्वारा नृत्यों की प्रस्तुतियां दी जा रहीं हैं। महर्षि सांदीपनि वेद विद्या प्रतिष्ठान और शारदा पीठ, श्रृंगेरी के पण्डितों द्वारा वैदिक पूजन किया जा रहा है।
मांधाता पर्वत पर मिली आदि शंकराचार्य को गुरु दीक्षा
शंकराचार्य का जन्म केरल के कालड़ी गांव में 508-9 ईसा पूर्व और महासमाधि 477 ईसा पूर्व में हुई थी। मां का नाम आर्याम्बा और पिता का नाम शिवगुरु है। 32 वर्ष की छोटी से आयु में ही इन्होंने देश के चार कोनों में चार मठों ज्योतिष्पीठ बदरिकाश्रम, श्रृंगेरी पीठ, द्वारिका शारदा पीठ और पुरी गोवर्धन पीठ की स्थापना की थी। चारों पीठ आज भी बहुत प्रसिद्ध और पवित्र माने जाते हैं। चार पीठों में आसानी संन्यासी ‘शंकराचार्य’ कहे जाते हैं। चारों पीठों की स्थापना का उद्देश्य सांस्कृतिक रूप से पूरे भारत को उत्तर से दक्षिण और पूरब से पश्चिम जोडऩा था।
Unveiling of 108 feet high statue of Adi Shankaracharya with Vedic chants.