125
- अवधेश कुमार
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जी-20 अध्यक्ष के नाते जब स्वस्तिअस्तु विश्व: यानी संपूर्ण विश्व सुखी हो के साथ शिखर सम्मेलन के समापन की घोषणा की तो ये कोरे शब्द नहीं थे। जी 20 का नई दिल्ली शिखर सम्मेलन अनेक दृष्टियों से ऐतिहासिक और सफल माना जाएगा। यूक्रेन युद्ध के बाद पहला सम्मेलन है जिसकी घोषणा पत्र से कोई सदस्य देश नाखुश या असंतुष्ट नहीं है। अमेरिका और पश्चिमी देश संतुष्ट हैं तथा रूस और चीन भी। इस कूटनीति को भारत ने कैसे साधा होगा इसकी कल्पना आसान नहीं है। 37 पृष्ठों के घोषणा पत्र में पृथ्वी, यहां के लोग, शांति व समृद्धि वाले खंड में चार बार यूक्रेन युद्ध की चर्चा है किंतु रुस का नाम नहीं है। इन पंक्तियों को देखिए, सभी देशों को संयुक्त राष्ट्र चार्टर के उद्देश्यों व सिद्धांतों के अनुरूप कार्य करना चाहिए। किसी भी दूसरे देश की अखंडता व संप्रभुता का उल्लंघन धमकी या बल के उपयोग से बचना चाहिए। नाभिकीय हथियारों के इस्तेमाल या इस्तेमाल की धमकी अस्वीकार्य है। यूक्रेन युद्ध के बीच में राष्ट्रपति पुतिन ने नाभिकीय हथियार के उपयोग तक की धमकी दे दी थी। इसमें प्रधानमंत्री की वह पंक्ति भी है जो उन्होंने पुतिन को कहा था कि यह समय युद्ध का नहीं है। अगर पिछले बाली घोषणा पत्र को देखें तो वह रूस के विरुद्ध था और रूस से यूक्रेन खाली करने की आवाज उठाई गई थी। तुलना करें तो इस प्रश्न का उत्तर सामान्यतः नहीं मिलेगा कि भारत ने अमेरिका को कैसे यह प्रस्ताव स्वीकार करने के लिए तैयार किया।
सम्मेलन के पहले दिन दूसरे सत्र में जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दिल्ली घोषणा पत्र स्वीकार करने की घंटी बजाई तभी साफ हो गया कि भारत की कूटनीति सफल रही है। सम्मेलन आरंभ होने के एक दिन पहले तक यूक्रेन से लेकर जलवायु परिवर्तन, खाद्य सुरक्षा, विकासशील और कमजोर देश को वित्तीय सहायता व सस्ते कर्ज उपलब्ध कराने ,साइबर सुरक्षा जैसे मुद्दों पर सहमति नहीं बन रही थी। घोषणा पत्र में यूक्रेन युद्ध से जुड़ा पैराग्राफ खाली छोड़ना पड़ा था। भारतीय प्रयासों ने रंग लाया और घोषणा पत्र में यूक्रेन युद्ध, जलवायु परिवर्तन, लैंगिक असमानता ,आर्थिक चुनौतियां, हरित विकास, आतंकवाद, क्रिप्टो करेंसी, महिलाओं के उत्थान समेत वो सारे मुद्दे शामिल किए गए जिन्हें भारत ने तैयार किया था।
इस एक पहलू से साफ हो जाता है कि अपनी अध्यक्षता में भारत ने किस तरह अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था, देशों के संबंध, राजनय, व्यक्ति के जीवन आदि से संबंधित भारतीय विचारों को लेकर पिछले एक वर्ष तक काम किया होगा। भारत के लगभग 60 शहरों में 220 से ज्यादा बैठकें जी 20 की हुई है। इस कारण भी यह इतिहास का सबसे विस्तारित, महत्वाकांक्षी और सफल सम्मेलन साबित हुआ क्योंकि इनमें कुल 112 परिणाम दस्तावेज व अध्यक्षीय दक्षतावेज तैयार हुए। पिछले इंडोनेशिया की राजधानी बाली के सम्मेलन में कुल 50 परिणाम व अध्यक्षीय दस्तावेज स्वीकृत हुए थे। इनमें 73 परिणाम दस्तावेज यानी आउटकम डॉक्यूमेंट हैं जो देश के विभिन्न शहरों में सदस्य देशों के मंत्रियों और अधिकारियों के ओर से बैठकों में बनी सहमति पर तैयार हुए हैं। ऐसा कोई विषय नहीं जिन पर बैठक नहीं हुई। जब भारत ने इसका नारा ही एक पृथ्वी, एक परिवार और एक भविष्य दिया तथा इसके साथ वसुधैव कुटुंबकम जोड़ दिया तो फिर इसके परे कुछ हो ही नहीं सकता था। सच कहा जाए तो भारत ने जी 20 की न केवल कुछ बदली बल्कि इसे नया कलेवर दे दिया। निश्चय ही इसके सदस्य देशों के साथ अन्य देशों को भी इन शब्दों के भारतीय अर्थ समझाए गए होंगे।