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- रवींद्र भवन में आज से शुरू हो रहे ‘उन्मेष’ उत्सव में 75 से अधिक सत्रों में 575 से अधिक लेखक भागीदारी कर रहे हैं।
- रवींद्र भवन में उन्होंने एशिया के सबसे बड़े साहित्य उत्सव उन्मेष और लोक व जनजातीय अभिव्यक्तियों के कला उत्सव उत्कर्ष का शुभारंभ किया।
भोपाल। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु आज भोपाल प्रवास पर हैं। वह सुबह साढ़े ग्यारह बजे विशेष विमान से यहां पहुंचीं। स्टेट हैंगर पर सीएम शिवराज सिंह चौहान व प्रदेश के गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा ने उनकी आत्मीय अगवानी की। यहां से राष्ट्रपति का काफिला रवींद्र भवन के लिए रवाना हो गया। रवींद्र भवन में उन्होंने एशिया के सबसे बड़े साहित्य उत्सव उन्मेष और लोक व जनजातीय अभिव्यक्तियों के कला उत्सव उत्कर्ष का शुभारंभ किया। राष्ट्रपति इस कार्यक्रम में करीब दो घंटे तक रहेंगी। इससे पहले राष्ट्रपति इसी साल मार्च में अंतरराष्ट्रीय धर्म-धम्म सम्मेलन के उद्घाटन के मौके पर भोपाल आई थीं।
75 से अधिक सत्रों में 575 से अधिक लेखक
गौरतलब है कि 03 से 05 अगस्त तक चलने वाले ‘उन्मेष’ उत्सव में 75 से अधिक सत्रों में 575 से अधिक लेखक भागीदारी करेंगे। इसमें तीन राज्यों के राज्यपाल और 13 विदेशी भाषाओं के लेखक भी होंगे। चिकित्सकों का साहित्य, सागर साहित्य जैसे नए विषयों पर विमर्श होगा। इसके अंतर्गत बहुभाषी कविता पाठ, लेखन पाठ, आदिवासी कवि सम्मेलन, साहित्य के विषयों पर परिचर्चा, आजादी का अमृत महोत्सव पर कविता पाठ और साहित्य के उत्थान संबंधी विभिन्न विषयों पर प्रबुद्धजनों द्वारा विमर्श किया जाएगा। इसके साथ ही “पुस्तक मेला” में साहित्य अकादमी और अन्य प्रकाशकों की पुस्तकें बिक्री के लिए उपलब्ध रहेंगी। उत्सव के दौरान साहित्य अकादमी द्वारा प्रख्यात लेखकों पर बनी डाक्यूमेंट्री भी दिखाई जाएंगी।
उत्कर्ष उत्सव में शाम को होंगी सांस्कृतिक प्रस्तुतियां
उत्कर्ष कार्यक्रम के तहत शाम पांच बजे से हंसध्वनि सभागार में भारत के लोक नृत्य और जनजातीय नृत्यों की प्रस्तुति दी जाएंगी। उत्सव के पहले दिन गुरुवार को शाम पांच बजे से विभिन्न राज्यों के लोक नृत्यों की प्रस्तुति दी जाएगी। लेह एवं लद्दाख का जबरो नृत्य, नगालैंड का सुमी वार नृत्य, गोवा का समय नृत्य, सिक्किम का सिंधी छम, मध्यप्रदेश का राई, बरेदी नृत्य, मेघालय का बांग्ला नृत्य, महाराष्ट्र का लावणी नृत्य, असम का बीहू नृत्य, ओडिसा का सिंगारी नृत्य, झारखंड का पाइका नृत्य और आंध्र प्रदेश के टप्पेटा गुल्लू नृत्य की प्रस्तुति होगी।
उत्सव के दूसरे दिन शुक्रवार को अरुणाचल प्रदेश के आजी लामू नृत्य, हिमाचल प्रदेश का सिरमौरी नाटी, छत्तीसगढ़ का पंथी नृत्य, राजस्थान का कालबेलिया नृत्य, असम का तिवा, हरियाणा का फाग, उत्तर प्रदेश का मयूर रास, झारखंड का झूमुर, मणिपुर का ढोल चोलम एवं थांग टा नृत्य, तमिलनाडु का करगट्टम, पश्चिम बंगाल का नटुवा नृत्य, कर्नाटक का पूजा कुनिथा और गुजरात का मणीयारो रास नृत्य की प्रस्तुति दी जाएगी।
तीसरे और अंतिम दिन कश्मीर के रौफ नृत्य, सिक्किम का सोराठी, बिहार का झिझिया, त्रिपुरा का होजागिरी, छत्तीसगढ़ का गौड़ मारिया, केरला का पुलकली, उत्तराखंड का छपेली, ओडिशा का गोटीपुआ, पंजाब का भांगड़ा, बंगाल का पुरुलिया छऊ, तेलंगाना का ओग्गू डोलू और मध्यप्रदेश का गुदुम बाजा नृत्य की प्रस्तुति दी जाएगी।