120
- शोधकर्ताओं ने पाया कि इस तरह की यात्राओं के बाद वेंट्रिकल्स को पूरी तरह से ठीक होने में तीन साल लग गए ।
- सुझाव दिया कि लंबे अंतरिक्ष मिशनों के बीच कम से कम तीन साल की अवधि का अंतराल उचित होगा।
वाशिंगटन । अंतरिक्ष में जाने से मानव शरीर पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है। इसमें माइक्रोगैविटी की स्थिति और अन्य कारक हमारे शरीर को सिर से लेकर पैर तक नुकसान पहुंचा रहे हैं। सबसे ज्यादा चिंता सिर को लेकर सामने आई है। नासा द्वारा वित्त पोषित एक नई स्टडी में इसे लेकर विस्तार से बताया गया है। शोधकर्ताओं ने गुरुवार को कहा कि छह महीने तक चलने वाले मिशनों पर अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन या नासा अंतरिक्ष शटल पर यात्रा करने वाले अंतरिक्ष यात्रियों ने सेरेब्रल वेंट्रिकल्स, मस्तिष्क के बीच में मस्तिष्कमेरु द्रव युक्त स्थान, के महत्वपूर्ण विस्तार का अनुभव किया। यह रंगहीन और पानी जैसा तरल पदार्थ होता है, जो मस्तिष्क और रीढ़ की हड्डी में या उसके आसपास बहता है। यह अपशिष्ट उत्पादों को हटाकर मस्तिष्क की रक्षा करता है।
स्टडी में शामिल हुए 30 अंतरिक्ष यात्री
इस अध्ययन में अमेरिका, कनाडा और यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसियों के 23 पुरुष और सात महिला अंतरिक्ष यात्री शामिल थे जिनकी औसत उम्र 47 के आसपास थी। आठ ने लगभग दो सप्ताह के अंतरिक्ष यान मिशन पर यात्रा की। अठारह लगभग छह महीने के आईएसएस मिशन पर थे और चार लगभग एक साल के आईएसएस मिशन पर थे। छोटे मिशनों के बाद अंतरिक्ष यात्रियों में वेंट्रिकुलर आयतन में बहुत कम या कोई परिवर्तन नहीं हुआ। छह महीने या उससे अधिक के मिशन के बाद अंतरिक्ष यात्रियों में वेंट्रिकुलर में इजाफ़ा हुआ। हालांकि, छह महीने तक उड़ान भरने वालों की तुलना में एक साल तक उड़ान भरने वालों में कोई अंतर नहीं था। मैकग्रेगर ने कहा कि इससे पता चलता है कि अंतरिक्ष में पहले छह महीनों के दौरान अधिकांश वेंट्रिकल इज़ाफ़ा होता है, फिर एक साल के निशान के आसपास बंद होना शुरू हो जाता है।
कैंसर का भी खतरा बढ़ा
माइक्रोग्रैविटी की स्थिति अन्य शारीरिक प्रभाव भी पैदा करती है। इनमें हृदय संबंधी परिवर्तन, आंतरिक कान में संतुलन प्रणाली के साथ समस्याएं और आंखों से जुड़े सिंड्रोम शामिल हैं। सौर विकिरण के अधिक जोखिम से कैंसर होने का खतरा बढ़ना एक और चिंता का विषय है।