जैन धर्म के 24वें तीर्थंकर भगवान महावीर का जयंती प्रत्येक वर्ष 4 अप्रैल को मनाई जाती है। जैन धर्म के लिए महावीर स्वामी की जयंती बेहद खास होती है, इसे विशेष रुप से मनाया भी जाता है। इस दिन भगवान महावीर की पूजा की जाती है और उनके दिए गए उपदेशों को स्मरण किया जाता है। साथ ही उनके बताए गए सिद्धांतों पर चलने का प्रयास किया जाता है।
भगवान महावीर का जीवन परिचय
महावीर स्वामी का जन्म लगभग 599 ई.पू. को चैत्र माह में शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि के दिन बिहार के कुंडाग्राम में हुआ था। भगवान महावीर जैन धर्म के 24वें व अंतिम तीर्थंकर थे। उनके पिता राजा सिद्धार्थ थे और उनकी माता रानी त्रिशला थीं।
महावीर जी के अनमोल विचार
- अहिंसा सबसे बड़ा धर्म है।
- प्रत्येक जीव स्वतंत्र है। कोई किसी और पर निर्भर नहीं करता।
- किसी आत्मा की सबसे बड़ी गलती अपने असल रूप को ना पहचानना है और यह केवल आत्म ज्ञान प्राप्त कर के ठीक की जा सकती है।
- शांति और आत्म-नियंत्रण अहिंसा है।
- भगवान का अलग से कोई अस्तित्व नहीं है। हर कोई सही दिशा में सर्वोच्च प्रयास कर के देवत्व प्राप्त कर सकता है।
- प्रत्येक आत्मा स्वयं में सर्वज्ञ और आनंदमय है। आनंद बाहर से नहीं आता।
- सभी जीवित प्राणियों के प्रति सम्मान अहिंसा है।
- सभी मनुष्य अपने स्वयं के दोष की वजह से दुखी होते हैं, और वे खुद अपनी गलती सुधार कर प्रसन्न हो सकते हैं।
- खुद पर विजय प्राप्त करना लाखों शत्रुओं पर विजय पाने से बेहतर है।
- आपकी आत्मा से परे कोई भी शत्रु नहीं है। असली शत्रु आपके भीतर रहते हैं, वो शत्रु हैं क्रोध, घमंड, लालच, आसक्ति और नफरत।
- आत्मा अकेले आती है अकेले चली जाती है, न कोई उसका साथ देता है न कोई उसका मित्र बनता है।