पितृपक्ष की अवधि में गौदान को सबसे श्रेष्ठ दान माना जाता है। धार्मिक मान्यता है गौ माता का दान करने से व्यक्ति को सुख-समृद्धि का आशीर्वाद तथा पितरों को श्री हरि के चरणों में स्थान प्राप्त होता है।
महाभारत में यह भी बताया गया है कि पितृपक्ष के दौरान गुड़ का दान अवश्य करना चाहिए। ऐसा करने से पारिवारिक जीवन में मिठास आती है और पूर्वजों का आशीर्वाद बना रहता है।
श्राद्ध पक्ष के दौरान गाय के घी का दान अवश्य करें। ऐसा करने से सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है और जिन जातकों की कुंडली में पितृ दोष है, उन्हें भी विशेष लाभ प्राप्त होता है।
पितृपक्ष में किसी भी जरूरतमंद व्यक्ति को पितृपक्ष की अवधि में गेहूं, चावल अथवा तिल का दान अवश्य करें। ऐसा करने से पितृ दोष समाप्त होता है। साथ ही विभिन्न प्रकार के कार्यों में सफलता प्राप्त होती है।
शास्त्रों में बताया गया पितृपक्ष के दौरान स्वर्ण दान को बहुत ही लाभकारी माना जाता है। ऐसा करने से पारिवारिक जीवन में उत्पन्न हो रहा विवाद दूर होता है।
पितृ पक्ष में पितर स्वर्ग लोक से धरती पर आते हैं और 16 दिनों तक अपने वशंजों के साथ वास करते हैं। पितरों को खुश करने का समय होता है। इस दौरान किया धर्म-कर्म, पूजा-पाठ कई समस्याओं का समाधान कर सकता हैं।