पुराने भोपाल को मोती मस्जिद के पीछे एक तबेले के पास की छोटी सी दुकाननुमा जगह से प्रारंभ हुआ 'स्वदेश' मारवाड़ी रोड के श्री प्रिंटर्स से होता हुआ .

स्वदेश की इस मैदानी और आसमानी, यात्रा के 43 वर्ष कैसे निकल गये, पता ही नहीं चला। हमने स्वदेश भोपाल समूह के साथ ही अन्य संस्करणों की प्रगति यात्रा कि है।

स्वदेश की पचास वर्षीय पत्रकारिता की यात्रा और 'स्वदेश-भोपाल समूह' की 43 वर्षीय कठिन परीक्षा ही स्वयं ही इसका प्रत्यक्ष प्रमाण है।

आज स्वदेश के स्थापना दिवस के इस शुभ अवसर पर अपने असंख्य पाठकों, शुभचिंतकों एवं सहयोगियों के प्रति अंतहीन कृतज्ञता प्रगट करते हुए, समर्थकों, विरोधियों और आलोचकों आदि सभी को धन्यवाद मानते है।