नवरात्रि के दौरान इन शक्तिपीठो में मांगी हर मन्नत होती पूरी

उमा, वृंदावन

कात्यायनी पीठ वृन्दावन जिसे उमा शक्ति पीठ के नाम से भी जाना जाता है, 51 शक्तिपीठों में से एक है। मान्यता है, माँ सती की बालियाँ यहाँ गिरी थीं। यहां मां सती की मूर्ति को ‘उमा’ कहा जाता है और भगवान शिव को ‘भोटेश’ के नाम से पूजा जाता है।

श्रीसुंदरी, श्रीपर्वत

श्रीपर्वत शक्ति पीठ हिंदुओं के लिए एक प्रसिद्ध धार्मिक स्थल है। यह भारत के जम्मू और कश्मीर के लद्दाख क्षेत्र में है । यह मंदिर माता दुर्गा को समर्पित है और प्राचीन सिद्धपीठों में से एक है। लद्दाख क्षेत्र में पर्वत पर माता का दाहिना पैर की पायल गिरी थी।

उत्तर प्रदेश के वाराणसी नगर में काशी विश्वनाथ मंदिर से कुछ दूरी पर पतित पावनी गंगा के तट पर स्थित मीरघाट( मणिकर्णिका घाट) पर है। यहाँ  भगवती के दाहिने कान की मणि इसी स्थान पर गिरी थी। इसलिए इस जगह को ‘मणिकर्णिका घाट’ भी कहते हैं।

विशालाक्षी, वाराणसी

त्रिपुरमालिनी, जालंधर

51 सिद्ध शक्तिपीठों में से पंजाब का एकमात्र सिद्ध शक्तिपीठ जालंधर में स्थित है। यहाँ श्रद्धालु मन्नतें मांगने के लिए देश भर से यहां पर आते हैं, जो पूरी होने पर खीर का प्रसाद तथा लाल झंडे लेकर बैंड बाजों के साथ मां त्रिपुरमालिनी का शुकराना करने पहुंचते हैं।