नवरात्रि का 7वां दिन कल यानि 21 अक्टूबर 2023 है, इस दिन माँ दुर्गा के सातवें स्वरुप मां कालरात्रि की पूजा की जाती है। इस दिन साधक का मन ‘सहस्रार’ चक्र में स्थित रहता है। इसके लिए ब्रह्मांड की समस्त सिद्धियों का द्वार खुलने लगता है। देवी कालरात्रि को व्यापक रूप से माता देवी – काली, महाकाली, भद्रकाली, भैरवी, मृत्यू-रुद्राणी, चामुंडा, चंडी और दुर्गा के कई विनाशकारी रूपों में से एक माना जाता है। माना जाता है कि देवी के इस रूप में सभी राक्षस,भूत, प्रेत, पिशाच और नकारात्मक ऊर्जाओं का नाश होता है, जो उनके आगमन से पलायन करते हैं | तो आइये जानते है क्या है मां कालरात्रि की पूजा का शुभ मुहूर्त, पूजन की विधि और मां को प्रसन्न करने के लिए कौन सा प्रसाद और किन मंत्रो का करे जाप।
मां कालरात्रि की पूजा का शुभ मुहूर्त
नवरात्री के सातवे दिन मां कालरात्रि की पूजा का शुभ मुहूर्त कुछ इस प्रकार है।
ब्रह्म मुहूर्त- 04:43 ए एम से 05:30 ए एम
अभिजित मुहूर्त- 12:02 पी एम से 12:51 पी एम
ऐसे करे मां कालरात्रि की पूजा
नवरात्रि की सप्तमी तिथि की पूजा नवरात्र अन्य दिनों की तरह ही कर सकते हैं, लेकिन मां काली की उपासना करने के लिए सबसे उपयुक्त समय मध्य रात्रि का माना गया है। ऐसे में सर्वप्रथम पूजा स्थान की अच्छे से साफ-सफाई करने के बाद चौकी पर लाल रंग का कपड़ा बिछाकर मां कालरात्रि की मूर्ति या तस्वीर स्थापित करें। पूजा के दौरान मां कालिका को रातरानी के फूल चढ़ाएं। भोग के रूप में गुड़ अर्पित करें। इसके बाद कपूर या दीपक से माता की आरती उतारें। इसके बाद मां कालरात्रि के मंत्रों का लाल चंदन की माला से जाप करें।
ऐसा बनाए माता का भोग के लिए नैवेद्य
नवरात्रि के सातवें दिन मां कालरात्रि की पूजी की जाती है। मां कालरात्रि को गुड़ का भोग लगाना फलदायी होता है। माता कालरात्रि को गुड़ का भोग लगाने से घर-परिवार में मिठास बनी रहती है और नकारात्मक शक्तियां घर में प्रवेश नहीं करती हैं। आप माता को भोग लगाने के लिए गुड़ के मालपुवे भी बना सकते है।
गुड़ का मालपुआ बनाने की सामग्री
गुड़- आधा कप, कद्दूकस- 1 कप, गेहूं का आटा- आधा चम्मच, सौंफ- आधा चम्मच, इलायची पाउडर- 3/4 चम्मच, फ्रूट सॉल्ट- आधा चम्मच, देसी घी- आधा चम्मच, इलायची पाउडर- आधा चम्मच, पिस्ता- मात्रा के अनुसार कटे हुए
विधि
सबसे पहले एक नॉन-स्टिक पैन लें और उसमें एक चौथाई पानी रखकर गर्म करें। जब पानी गर्म हो जाए तो उसमें गुड़ डाल दें और मध्यम आंच पर गुड़ पिघलने तक पकाएं। अब गैस को बंद कर दें और थोड़ा सा ठंडा करने के लिए इसे एक बाउल में निकाल लें। अब इसमें गेहूं का आटा और सौंफ डालकर अच्छी तरह से मिला लें. ताकि किसी तरह का गांठ न रह जाए। इसके बाद इलायची पाउडर, फ्रूट सॉल्ट और 2 चम्मच पानी डालकर इसे हल्का-हल्का चलाकर मिला लें। अब एक नॉन-स्टिक तवा गरम करें और उस पर घी लगाकर चिकना कर लें। इस तवे पर एक छोटा चम्मच घोल डालकर गोला बनाकर समान रूप से फैला लें. गोला 3 इंच से ज्यादा न हो। अब दोनों तरफ से सुनहरा होने तक घी से पकाएं। मालपुआ का जो घोल बचा है, इसी तरह उसे बाकी मालपुआ बनाने में भी इस्तेमाल करें। अब इसे इलायची पाउडर और चांदी के पिस्ते से सजाएं और मां कालरात्रि को भोग में चढ़ाएं।
इन मंत्रों का जप कर करे मां कालरात्रि को प्रसन्न
एकवेणी जपाकर्णपूरा नग्ना खरास्थिता।
लम्बोष्ठी कर्णिकाकर्णी तैलाभ्यक्तशरीरिणी॥
वामपादोल्लसल्लोहलताकण्टकभूषणा।
वर्धनमूर्धध्वजा कृष्णा कालरात्रिर्भयंकरी॥