Home » 60 फीट गहरे बोरवेल से बालक को बाहर निकाला, एंबुलेंस से अस्‍पताल भेजा, नहीं बच सकी जान

60 फीट गहरे बोरवेल से बालक को बाहर निकाला, एंबुलेंस से अस्‍पताल भेजा, नहीं बच सकी जान

  • लटेरी के खेरखेड़ी की घटना। कलेक्‍टर ने मृतक के परिजन को 04 लाख रुपये आर्थिक सहायता देने की घोषणा की। खेत मालिक पर होगी एफआइआर।
    विदिशा ।
    जिले की लटेरी तहसील के गांव खेरखेड़ी में खेत में खुले पड़े 60 फीट गहरे बोरवेल में गिरे सात वर्ष के बच्चे को बचाने के लिए पूरी रात एनडीआरएफ और एसडीआरएफ की टीम का रेस्क्यू आपरेशन चलता रहा। बुधवार सुबह करीब 11 बजे तक सुरंग बनाने का काम पूरा हो गया। इसके बाद टीम के चार सदस्‍य सुरंग के अंदर गए और सुबह करीब पौने 12 बजे बच्‍चे को बाहर लेकर आए। बाहर एंबुलेंस और डाक्‍टरों की टीम मुस्‍तैद थी। बच्‍चे को एंबुलेंस के जरिए लटेरी सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के लिए रवाना कर दिया गया। बच्‍चे का रेस्‍क्यू आपरेशन करीब 24 घंटे चला। लेकिन मासूम की जान नहीं बच सकी। लटेरी सामुदायिक स्‍वास्‍थ्‍य केंद्र में डॉक्टरों की टीम ने उसे मृत घोषित कर दिया। कलेक्टर उमाशंकर भार्गव ने बच्‍चे की मौत की पुष्टि की है। कलेक्टर उमाशंकर भार्गव ने मृतक के स्वजनो को चार लाख रुपए की आर्थिक सहायता राशि देने की घोषणा की है। उन्होंने कहा कि खेत में बोरवेल खुला छोड़ने वाले खेत मालिक पर एफआइआर दर्ज की जाएगी। जिले में एक सप्ताह के भीतर खुले बोरवेल को बंद कराया जाएगा। मौके पर मौजूद अधिकारियों ने बताया कि बोरवेल के समानांतर गड्ढा खोदाई के दौरान चट्टान आ जाने के कारण भी देरी हुई। रेस्क्यू में जुटे जवानों का कहना है कि खोदाई के दौरान बच्चा बोरवेल में नीचे खिसक गया, इसलिए उन्हें गड्ढे की गहराई बढ़ानी पड़ी। सुबह छह बजे तक करीब 46 फीट गड्ढा खोदा जा चुका था, इसके बाद पांच फीट और खोदाई की गई। इसके बाद सुबह करीब 08 बजे एनडीआरएफ की टीम ने सुरंग बनाने का काम शुरू किया। मालूम हो, एक दिन पहले मंगलवार की सुबह करीब 11 बजे खेत में चना की फसल काट रहे मजदूर दिनेश अहिरवार का बेटा सात वर्षीय लोकेश अहिरवार पड़ोस के खेत में खुले पड़े बोरवेल के गड्ढे में गिर गया था। जिसे बचाने के लिए दोपहर 12 बजे से रेस्क्यू आपरेशन चलाया जा रहा है। बुधवार सुबह सात बजे तक 19 घंटे हो चुके है लेकिन अब तक बोरवेल में फंसे बच्चे को बाहर नहीं निकाला जा सका है। मौके पर मौजूद कलेक्टर उमाशंकर भार्गव ने बताया कि बच्चे को बोरवेल से निकालने के लिए बोरवेल से कुछ दूरी पर गड्ढा खोदा गया है। इसके बाद गड्ढे से बोरवेल के बीच सुरंग बनाकर बच्चे को निकालने की कोशिश कर रहे हैं। खोदाई का कार्य अंतिम चरण में है। इस सुरंग के माध्यम से टीम के सदस्य बोरवेल के गड्ढे तक पहुंचकर बच्चे को बाहर निकालेंगे। उन्होंने बताया कि यहां पहले छह बुलडोजर और तीन पोकलेन मशीन से खोदाई की जा रही थी। रात के समय दो पोकलेन अतिरिक्त बुलवाई गई है। अब पांच पोकलेन मशीन खोदाई कर रही है। बोरवेल में फंसे बच्चे पर नाइट वाचिंग कैमरे की मदद से नजर रखी जा रही है लेकिन मौके पर मौजूद लोगों का कहना है कि बच्चे के शरीर में रुक रुककर हलचल दिखाई दे रही है। जिसके कारण बच्चे के माता-पिता और स्वजनों की चिंता बढ़ गई है।

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