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सरसंघचालक मोहन भागवत ने शहीद हेमू कालाणी शताब्दी वर्ष समारोह को किया संबोधित बोले-भारत का विभाजन कृत्रिम

भोपाल। स्वतंत्रता आंदोलन के समय 19 वर्ष की आयु में सिंधु के लाल अमर शहीद हेमू कालाणी ने बलूचिस्तान में होने वाले स्वतंत्रता संग्राम के आंदोलन को दबाने शस्त्र लेकर जाने वाली ट्रेन को पटरी उखाड़कर डिरेल करने और पकड़े जाने के बाद फांसी का फंदा स्वीकार किया, लेकिन अपने साथियों का नाम नहीं बताया था। 19 वर्ष की आयु में हेमू कालाणी देश के लिए शहीद होकर हम लोगों को जीने की प्ररणा दे गए हैं। उन्होंने यही सोचा था कि हम रहें, न रहें, लेकिन यह भारत रहना चाहिए, देश रहना चाहिए। सिंधु आज से नहीं है, इसका उल्लेख ऋग्वेद, महाभारत में भी मिलता है। समर्पण प्राथमिकता रखने वाले ऐसे शहीदों के जाने से दुखों के साथ प्रसन्नता भी होती है कि हमें जीवन जीने की प्रेरणा दे गए हैं। भारत का विभाजन कृत्रिम है, पाकिस्तान के भी दुखी हैं। सिंधु के वासियों और सिंधी समाज को छोटे-मोटे प्रलोभनों में न आकर अखंड भारत के संबंध में सोचना चाहिए। भारत का विभाजन कृत्रिम है। यह बातें अमर शहीद हेमू कालाणी जन्मशताब्दी समारोह  को संबोधित करते हुए कही हैं। राजधानी भोपाल के भेल दशहरा मैदान में आयोजित समारोह में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, महामंडलेश्वर साईं हंसराज, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के क्षेत्र संघचालक अशोक सोहनी के साथ सिंधी समाज के संत और गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे।

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आप भारत से आए थे और भारत में हैं

शहीद हेमू कालाणी जन्म शताब्दी समारोह में आयोजि सिंधी समागम को संबोधित करते हए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत ने कहा कि आप सब भारत से आए थे और भारत में ही हैं। अब बारी है भारत में रहो, लेकिन अपने प्रांतीय खान-पान, रहन-सहन, जीवनशैली और सभ्यताओं को जीवित रखें। आप परोक्रमी लोग हैं। आप लोग अपनी जमीन और संपत्ति छोड़कर यहां आए हैं, परिश्रम और उद्यमशीलता से आज आप सभी अच्छी स्थिति में हैं। आप लोग वहां से आए हैं, तो आप लोगों का वहां से लगाव होना चाहिए, अपनी जमीन छोड़कर आए हैं, उसे भी याद रखिए। आप लोग अपने बच्चों को यह बताएं वे कहां से आए हैं, किन सभ्यताओं से  आए हैं। आप अपने पुरानी परंपराओं, रहन-सहन से बच्चों को अवगत कराते रहें। आप आजादी के बाद भी भारत में थे, आजादी के बाद भी भारत में हैं। लेकिन भारत का यह विभाजन कृत्रिम हैं।

भारत खंडित हो गया है, इसे पूरा करना है

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सरसंघचालक ने कहा कि सिंधु की सभ्यता आज से नहीं है। सनातन काल से सिंधु का अस्तित्व है। आप दुनिया में कहीं भी जाएं, लोगों को बताएं कि भारत में रहते हैं, कोई पूछे कि आजादी से पहले तो उन्हें भी बताएं कि आजादी से पहले भी भारत के निवासी थे। दुनिया में जब से सनातन का प्रभाव है, सिंधु का नाम है। भारत खंडित हो गया है, पूरा बनाना है। अखंड भारत कैसे बनेगा, कौन बनाएगा, यह मैं नहीं जानता, लेकिन मैं चाहता हूं अखंड भारत बनें।

मैं आक्रमण का पक्षधर नहीं हूं

सरसंघचालक ने कहा कि वर्तमान भारत अखंड भारत बने। 1947 में भारत से अलग हुए लोग अपनी जमीन और संपत्ति में रह रहे हैं, लेकिन खुशी नहीं हैं। जो अपना सबकुछ छोड़कर यहां आ गए, वे अपने परिश्रम से आज बहुत अच्छी स्थिति में हैं और खुश हैं। आप अपनी जमीन छोड़कर आए हैं, उसे भूलें नहीं। वह आपकी जमीन है। उसे वापस पाने के लिए भी प्रयास करना होगा। मैं यह नहीं कहता कि भारत आक्रमण करे। हम उस संस्कृति से आते हैं, जो जोडऩे की बात करती है, तोडऩे की नहीं।

आप प्रयास करें, संघ पूरा साथ देगा

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सरसंघचालक ने कहा कि आज 1947 के पहले के भारत में रहने वाले लोग भी मानते हैं कि बंटवारा गलत हुआ है। वे भी बंटवारे से खुश नहीं हैं। वे भी चाहते हैं कि फिर से खुशहाली आए। आप लोगों की वहां जमीनें हैं। आप लोगों का प्रयास करना होगा। आप लोगों ने अपनी पूरी संपत्ति वहां छोड़कर आ गए, लेकिन भारत को नहीं छोड़ा भारत की संस्कृति को नहीं छोड़ा। आप लोग अपनी जमीनों को पाने, अपनी मिट्टी को पाने, अपने रहन-सहन, संस्कृति को फिर से वहां सहेजने के लिए प्रयास करें। अखंड भारत बनाने का प्रयास करें। आज पुरुषार्थी लोग हैं, जब एक कपड़े में यहां आकर भारत को अपने परिश्रम और उद्यमशीलता से इतना समृद्ध बनाया है तो आप अखंड भारत बना सकते हैं। आप इसके लिए आगे आएं, आपको, सिंधी समाज को  अखंड भारत बनाने के लिए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ पूरी समर्थन देगा। संघ आपके साथ पूरी तरह से खड़ा है।

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