सुप्रीम कोर्ट शुक्रवार को तमिलनाडु के मंत्री उदयनिधि स्टालिन और अन्य के खिलाफ उनकी ‘सनातन धर्म को मिटाओ’ टिप्पणी पर एफआईआर दर्ज करने की मांग वाली याचिका पर सुनवाई करने के लिए सहमत हो गया। सर्वोच्च अदालत ने एफआईआर दर्ज करने की मांग को लेकर दायर याचिका पर नोटिस जारी किया है।
सर्वोच्च अदालत ने स्टालिन और तमिलनाडु सरकार, सीबीआई, याचिका में प्रतिवादी बनाए गए ए राजा समेत डीएमके के कई नेताओं को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। वकील बी जगन्नाथ की ओर से दायर याचिका में 2 सितंबर को आयोजित सनातन उन्मूलन सम्मेलन की सीबीआई जांच की मांग की थी। याचिकाकर्ता का कहना था कि ऐसे आयोजन के लिए फंडिंग करने वालों का पता लगाया जाएं तथा इस बात की भी जाँच की जाए कहीं ऐसे आयोजन को श्रीलंका के लिट्टे जैसे आतंकी संगठन से फंडिंग तो नहीं हुई है।
हालाँकि मामले की सुनवाई की शुरुआत में जस्टिस अनिरुद्ध बोस और जस्टिस बेला त्रिवेदी की बेंच सहमत नजर नहीं आयी तथा याचिकाकर्ता को हाईकोर्ट का रुख करने की नसीहत दी। कोर्ट ने कहा आप इसके लिए सीधे सुप्रीम कोर्ट का रुख करके इसे पुलिस स्टेशन में तब्दील कर रहे है। जिन मांगो को आपने सुप्रीम कोर्ट में उठाया है, उन सब पर हाई कोर्ट सुनवाई करने में समर्थ है।
बता दें, कोर्ट में दायर याचिका में उदयनिधि स्टालिन के अलावा सांसद ए राजा, तमिलनाडु स्टेट माइनॉरिटी कमीशन के चैयरमैन पीटर एल्फोंसे, डीएमके अध्यक्ष के वीरमणि, तमिलनाडु के मंत्री शेखर बाबू को भी पक्षकार बनाया गया है। साथ ही कोर्ट से इन नेताओं के भविष्य में सनातन के खिलाफ बयान देने पर रोक लगाने की मांग की गयी। इसके अलावा यह भी कहा गया कि भविष्य में धर्म के कार्क्रमों को विद्यालयों में आयोजन पर रोक लगाई जाएं।