भोपाल। पांच सौ साल पहले अयोध्या में श्री राम जन्मभूमि मंदिर को तोड़कर बनाए गए विवादित ढांचे को 6 दिसंबर 1992 को ढहा दिया गया था। उस दिन लाखों कारसेवक अयोध्या में एकत्र थे जिन्होंने श्री राम जन्मभूमि को मुक्त करने का संकल्प लिया हुआ था। इस कार्रवाई के दौरान ढांचे से गिरकर मध्य प्रदेश के 6 कारसेवक घायल हुए थे जिनमें से दो भोपाल के थे।
वहां उपस्थित लाखों कारसेवकों में 26 ऐसे विशिष्ट कारसेवक भी थे जो ढांचा ढहाए जाने के दौरान गिरकर घायल हुए थे और उन्हें फैजाबाद अस्पताल में भर्ती कराया गया था और घटना के दो दिन बाद 8 दिसंबर 1992 को पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार घोषित किया था। श्री राम जन्मभूमि भूमि स्थान पर बने विवादित ढांचे को ढहाए जाने की पहली रिपोर्ट शाम 5:15 बजे श्री राम जन्मभूमि थाना प्रभारी प्रियंवदा नाथ शुक्ला ने दर्ज कराई थी जिसमें लाखों की संख्या में कारसेवकों को आरोपी बनाया था जिनका नाम पता अज्ञात था। इस घटना के विवेचक थे एस आई श्री गंगा प्रसाद तिवारी, एस आई इंचार्ज राम जन्मभूमि थाना, फैजाबाद।
देवेंद्र सिंह रावत की स्वीकारोक्ति
दस्तावेजों में दर्ज जानकारी के अनुसार उत्तर प्रदेश पुलिस के डीएसपी आरपी टंडन को 8 दिसंबर 1992 को पता चला था कि कुछ घायल कारसेवक फैजाबाद जिला अस्पताल में भर्ती हैं। घायल कारसेवकों से पूछताछ करने पर पुलिस के अनुसार भोपाल निवासी एडवोकेट देवेंद्र सिंह रावत जो कि घायल कारसेवकों में से एक है, ने स्वीकार किया है कि उन्होंने अपने कारसेवक सहयोगियों के साथ मिलकर विवादित ढांचे को ढहाया था।
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25 कारसेवकों को 5 जनवरी को मिली थी जमानत
इन 26 गिरफ्तार घायल कारसेवकों में 11 उत्तर प्रदेश के थे, 7 बिहार के, 6 मध्य प्रदेश के और एक महाराष्ट्र से और एक राजस्थान से था। बिहार के एक गिरफ्तार कारसेवक कुबेर सिंह का 10 दिसंबर को फैजाबाद अस्पताल में निधन हो गया था। बाकी बचे हुए 25 घायल कारसेवकों को लखनऊ के विभिन्न अस्पतालों में बेहतर इलाज के मद्देनजर स्थानांतरित कर दिया गया था। सीबीआई स्पेशल मजिस्ट्रेट आरडी पालीवाल की अदालत ने 5 जनवरी को 25 कारसेवकों की जमानत मंजूर करके रिहाई का आदेश दे दिया था।