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- संविधान पीठ ने कहा कि यह कहना मुश्किल है कि अनुच्छेद 370 को कभी भी निरस्त नहीं किया जा सकता.
नई दिल्ली. उच्चतम न्यायालय ने अनुच्छेद 370 निरस्त करने को लेकर चल रही सुनवाई के पांचवें दिन कहा कि जम्मू-कश्मीर का भारत के साथ एकीकरण सशर्त नहीं हुआ था. प्रधान न्यायाधीश डी. वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पांच-सदस्यीय संविधान पीठ ने कहा कि जम्मू-कश्मीर का भारत के साथ एकीकरण हर तरह से पूर्ण था. संविधान पीठ ने कहा कि यह कहना मुश्किल है कि अनुच्छेद 370 को कभी भी निरस्त नहीं किया जा सकता. प्रधान न्यायाधीश डी. वाई चंद्रचूड़ ने कहा, ‘जम्मू-कश्मीर का भारत में विलय संप्रभुता की किसी शर्त नहीं हुआ था. क्या अनुच्छेद 248 के प्रयोग के माध्यम से भारत की संप्रभुता की स्पष्ट स्वीकृति नहीं है?’ चंद्रचूड़ ने कहा कि क्या संसद की शक्तियों पर लगाई गई सीमाएं संप्रभुता को प्रभावित नहीं करतीं. प्रधान न्यायाधीश ने कहा, ‘यह अनुमान नहीं लगाया जा सकता कि अनुच्छेद 370 के बाद भारत का संविधान जम्मू-कश्मीर में संप्रभुता के कुछ तत्व बरकरार रखता है. जम्मू-कश्मीर की संप्रभुता पूरी तरह से भारत संघ को सौंप दी गई थी.’ पांच सदस्यीय संविधान पीठ के सदस्य जस्टिस एसके कौल ने भी पूछा, ‘यदि जम्मू-कश्मीर स्वयं चाहता है कि भारतीय संविधान के सभी प्रावधान लागू हों तो अनुच्छेद 370 का क्या होगा? क्या अनुच्छेद 370 इसलिए स्थायी हो गया क्योंकि इसे निरस्त करने वाली मशीनरी अब अस्तित्व में नहीं है? मामले की सुनवाई 16 अगस्त को भी जारी रहेगी.
सिब्बल ने संसद की शक्ति पर बार-बार उठाए सवाल
वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने जम्मू-कश्मीर की संविधान सभा की अनुपस्थिति में अनुच्छेद 370 को निरस्त करने की संसद की शक्ति पर बार-बार सवाल उठाया है. उन्होंने लगातार कहा है कि केवल संविधान सभा को अनुच्छेद 370 को निरस्त करने या संशोधित करने की सिफारिश करने की शक्ति निहित थी और चूंकि संविधान समिति का कार्यकाल 1957 में समाप्त हो गया था, इसलिए जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले संवैधानिक प्रावधान को स्थायी मान लिया गया.