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अंतरिक्ष यान की तीसरी कक्षा बढ़ाने की प्रक्रिया सफल, 20 जुलाई को होगी अगली फायरिंग

  • चंद्रयान-3 अंतरिक्ष यान की तीसरी कक्षा बढ़ाने की प्रक्रिया (पृथ्वी-बाउंड अपभू फायरिंग) को सफलतापूर्वक निष्पादित किया है।
    नई दिल्ली ।
    चंद्रयान-3 मिशन को लेकर एक अच्छी खबर आ रही है। दरअसल, मंगलवार को भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने ट्वीट कर के जानकारी दी है कि चंद्रयान-3 अंतरिक्ष यान की तीसरी कक्षा बढ़ाने की प्रक्रिया (पृथ्वी-बाउंड अपभू फायरिंग) को सफलतापूर्वक निष्पादित किया है। अगली फायरिंग 20 जुलाई 2023 को दोपहर 2 से 3 बजे के बीच करने की योजना है। ट्वीट में कहा गया है, “मिशन तय समय पर है। तीसरी कक्षा बढ़ाने की तीसरी प्रक्रिया (पृथ्वी-बाउंड अपभू फायरिंग) ISTRAC/ISRO, बेंगलुरु से सफलतापूर्वक किया गया है। अगली फायरिंग 20 जुलाई, 2023 को दोपहर 2 से 3 बजे IST के बीच करने की योजना है।”विशेष रूप से, 14 जुलाई को, भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन ने सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से LVM3-M4 रॉकेट पर चंद्रयान -3 को सफलतापूर्वक लॉन्च किया था। दोपहर 2.35 बजे उड़ान भरने के 17 मिनट बाद, उपग्रह को सटीक कक्षा में स्थापित किया गया। शनिवार को तिरुवनंतपुरम में पत्रकारों से बात करते हुए, विक्रम साराभाई अंतरिक्ष केंद्र के निदेशक एस उन्नीकृष्णन नायर ने कहा कि प्रक्षेपण यान ने बहुत अच्छा प्रदर्शन किया है और अंतरिक्ष यान के लिए आवश्यक प्रारंभिक शर्तें “बहुत सटीक” प्रदान की गई हैं।
    चंद्रयान-3 मिशन का उद्देश्य
    इसरो का स्पेसक्राफ्ट चंद्रयान-3 अपने साथ कई साइंटिफिक उपकरणों को ले जा रहा है, जो वैज्ञानिकों को चंद्रमा को बेहतर ढंग से समझने में मदद करेंगे। लेकिन, इस मिशन का मुख्य उद्देश्य चंद्रमा पर सफलतापूर्वक सॉफ्ट लैंडिंग कराना है। इससे पहले चंद्रयान-2 के समय भी इसका का उद्देश्य चांद की सतह पर सॉफ्ट लैंड करना ही था, जो अंतिम समय में फेल हो गया था। उस वक्त इसरो का लैंडर ‘विक्रम’ चांद की सतह पर लैंडिंग के दौरान क्रैश हो गया था। पिछले मिशन की तरह ही इस बार भी इसके लैंडर का नाम ‘विक्रम’ और रोवर का नाम ‘प्रज्ञान’ रखा गया है। अगर इस बार चंद्रयान 3 के साथ इसरो चांद की सहत पर सॉफ्ट लैंडिंग में सफल हो जाता है तो भारत ऐसा करने वाला चौथा देश बन जाएगा। इससे पहले अमेरिका, पूर्व सोवियत यूनियन और चाइना ऐसा करने में सफल रहे हैं। बता दें कि, चंद्रयान 2 से पहले इजरायल की स्पेश एजेंसी ने चांद पर सॉफ्ट लैंडिंग के लिए अपना मिशन लॉन्च किया था, जिसमें वे फेल हो गए थे। इसके साथ इस साल की शुरुआत में जापान भी चांद की सतह पर सेफ लैंडिंग करने में असफल हो गया था।

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