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भीड़ ने एंबुलेंस को किया आग के हवाले, मां-बेटे समेत 3 की ‘दर्दनाक मौत’

  • मणिपुर में एक महीने पहले भड़की जातीय हिंसा में कम से कम 98 लोगों की जान जा चुकी है और 310 से अधिक लोग घायल हुए हैं.
  • राज्य में फिलहाल कुल 37,450 लोगों ने 272 राहत शिविरों में शरण ले रखी है.
    इंफाल.
    मणिपुर की राजधानी इंफाल में रविवार को भीड़ ने एक एंबुलेंस में आग लगा दी, जिसमें कुकी पुरुष से शादी करने वाली एक मेइती महिला, उसके बेटे और एक रिश्तेदार के मारे जाने की आशंका है. पीड़ित के गांव के रिश्तेदारों और निवासियों ने ‘द इंडियन एक्सप्रेस’ को यह जानकारी दी. हमला उस वक्त हुआ जब एंबुलेंस बच्चे को अस्पताल ले जा रही थी और पुलिस कर्मियों द्वारा वाहन को एस्कॉर्ट किया जा रहा था. यह घटना लाम्फेल पुलिस थाना क्षेत्र के अंतर्गत इंफाल पश्चिम के इरोइसेम्बा इलाके में हुई. स्टेशन के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि रविवार शाम करीब सात बजे वाहन में आग लग गई. उन्होंने कहा, ‘हम केवल वाहन के अंदर से कुछ हड्डियां ही बरामद कर सके.’ इस मामले में पुलिस द्वारा उसी रात एक एफआईआर भी दर्ज की गई है, जिसमें हत्या से संबंधित धाराएं भी शामिल हैं. कांगपोकपी जिले के कांगचुप चिंगखोक गांव के निवासियों के अनुसार, तीन मृतकों में मीना हैंगिंग, उनका बेटा टॉमशिंग – जिसके बारे में उन्होंने कहा कि वह 7 साल से कम उम्र का था – और मीना की रिश्तेदार लिडिया लौरेम्बम हैं. कांगचुप क्षेत्र में कई कुकी गांव हैं और यह कांगपोकपी जिले की सीमा पर इंफाल पश्चिम के नजदीक मेतेई गांव फायेंग के करीब है. इस क्षेत्र में 27 मई से राज्य भर में हिंसा की दूसरी लहर के बाद भारी गोलीबारी की घटनाएं हुई हैं. पीड़ितों के एक रिश्तेदार और गांव के निवासी जिन हैंगिंग के अनुसार, जब रविवार को इलाके में गोलीबारी हुई तो टॉमशिंग सिर में गोली लगने से घायल हो गया था, जिसके बाद वे क्षेत्रीय आयुर्विज्ञान संस्थान अस्पताल जा रहे थे. मणिपुर में एक महीने पहले भड़की जातीय हिंसा में कम से कम 98 लोगों की जान जा चुकी है और 310 से अधिक लोग घायल हुए हैं. राज्य में फिलहाल कुल 37,450 लोगों ने 272 राहत शिविरों में शरण ले रखी है. मेइती समुदाय द्वारा अनुसूचित जनजाति (एसटी) का दर्जा दिए जाने की मांग के विरोध में मणिपुर के पहाड़ी जिलों में ‘आदिवासी एकजुटता मार्च’ के आयोजन के बाद तीन मई को राज्य में पहली बार जातीय हिंसा हुई थी.

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