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सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाई कोर्ट के एक आदेश को माना विरोधाभासी, फैसले को किया रद

  • सुप्रीम कोर्ट ने आश्चर्य व्यक्त करते हुए हाई कोर्ट के फैसले को रद किया
  • कोर्ट ने आरोपितों को दो महीने की अवधि के लिए दंडात्मक कार्रवाई से संरक्षण प्रदान किया
    नई दिल्ली ।
    सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाई कोर्ट के एक आदेश पर आश्चर्य व्यक्त करते हुए विरोधाभासी करार दिया है। हाई कोर्ट ने पिछले साल मई में उत्तर प्रदेश गैंगस्टर और असामाजिक गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम, 1986 के प्रविधानों के तहत सहारनपुर जिले में दर्ज एक मामले में पांच आरोपितों द्वारा दायर अग्रिम जमानत याचिका खारिज कर दी थी। आवेदन खारिज होने के बाद आवेदकों के वकील ने हाई कोर्ट के समक्ष प्रार्थना की थी कि उन्हें मुक्त किये जाने के लिये आवेदन दायर करने की स्वतंत्रता दी जाए और इसके निस्तारण तक आरोपितों के खिलाफ कोई कठोर कार्रवाई न की जाए। हाई कोर्ट ने अपने आदेश में इस अनुरोध को अनुमति प्रदान की।
    क्या कहा पीठ ने 18 जुलाई के अपने आदेश में?
    कोर्ट ने आरोपितों को दो महीने की अवधि के लिए दंडात्मक कार्रवाई से संरक्षण प्रदान किया। हाई कोर्ट के आदेश के खिलाफ राज्य की अपील पर सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस बी आर गवई और जस्टिस जे बी पार्डीवाला की पीठ ने सुनवाई की। पीठ ने 18 जुलाई के अपने आदेश में कहा कि हम इलाहाबाद हाई कोर्ट के एकल न्यायाधीश द्वारा पारित आदेश को देखकर आश्चर्यचकित हैं।
    आरोपितों का आपराधिक इतिहास है : सुप्रीम कोर्ट
    सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हाई कोर्ट के समक्ष आरोपितों द्वारा दायर आवेदन का राज्य सरकार के वकील ने इस आधार पर पुरजोर विरोध किया था कि आरोपितों का आपराधिक इतिहास है और उनके खिलाफ लुक आउट नोटिस भी जारी किए गए हैं। पीठ ने हाई कोर्ट के आदेश के उस हिस्से को रद कर दिया जिसमें निर्देश दिया गया था कि इन आरोपितों के खिलाफ दो महीने तक कोई दंडात्मक कार्रवाई नहीं की जाएगी।

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