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100 करोड़ की धोखाधड़ी का आरोपी चिनार बिल्डर का संचालक सुनील मूलचंदानी गिरफ्तार

आरोपी के खिलाफ इंदौर और भोपाल कोर्ट से 17 वारंट जारी हैं

भोपाल। मध्यप्रदेश आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो (ईओडब्लयू) में 100 करोड़ की धोखाधड़ी का आरोपी चिनार बिल्डर का संचालक सुनील मूलचंदानी को शाहजहांनाबाद पुलिस ने गिरफ्तार किया है। सुनील मूलचंदानी के खिलाफ मिसरोद, शाहजहांनाबाद सहित कई थानों में धोखाधड़ी के मामले दर्ज हैं। मिसरोद पुलिस करीब पांच माह पहले उन्हें गिरफ्तार किया था, लेकिन वह अभी जमानत पर जेल से बाहर है। सुनील मूलचंदानी के खिलाफ इंदौर और भोपाल जिला न्यायालय से 17 स्थाई व गिरफ्तारी वारंट जारी हैं। शाहजहांनाबाद पुलिस कल शनिवार को कोर्ट में पेश कर रिमांड पर लेगी। इसके बाद ईओडब्ल्यू भी आरोपी बिल्डर को रिमांड पर लेकर पूछताछ करेगी।

डीसीपी जोन-3 रियाज इकबाल ने बताया कि स्थाई और गिरफ्तारी वारंट वाले आरोपियों की तलाश का अभियान चलाया जा रहा है। इस दौरान पता चला कि 17 वारंटों में फरार चल रहा चिनार बिल्डर का संचालक सुनील मूलचंदानी अपने होशंगाबाद रोड स्थित कार्यालय पहुंचा है। इसके बाद टीआई उमेशपाल सिंह चौहान के नेतृत्व में एक टीम बनाकर दबिश दी और आरोपी बिल्डर मूलचंदानी को गिरफ्तार किया गया। सुनील मूलचंदानी पिता गोपीचंद मूलचंदानी ;57) म.नं. 01 ईदगाह हिल्स मस्जिद के सामने शाहजहांराबाद का रहने वाला है।

ज्ञात हो कि गत इसी माह ईओडब्ल्यू ने चिनार रिटेल्स एंड इंफ्रा प्रालि के सुनील मूलचंदानी, गोपीचंद मूलचंदानी, माया मूलचंदानी (मृत) अनु मूलचंदानी, मनित मूलचंदानी समेत अन्य के खिलाफ 100 करोड़ के हाउसिंग प्रोजेक्ट के लोन के मामले में केस दर्ज किया है। इस मामले में आरोपियों ने बैंक में गिरबी रखी जमीन को बिना लोन चुकाए बेच दिया है।

क्या है पूरा मामला

1999 में चिनार रियल्टी प्रालि कंपनी और 2005 में चिनार रिटेल्स एंड इंफ्रा प्रालि के हाउसिंग प्रोजेक्ट के लिए आरोपी सुनील मूलचंदानी ने डीएचएफएल (अब पिरामल कैपिटल एंड हाउसिंग फाइनेंस) से करीब सौ करोड़ रूपए का ऋण लिया था। 2014 तक दो हजार से अधिक फ्लैट्सा और शॉपिंग मॉल और अन्य निर्माण कार्य होना था। आरोपी ने भूमिस्वामियों को झांसे में लेकर उक्त जमीन को हाउसिंग लोन देने वाली कंपनी में गिरबी रखकर 44 करोड़ का ऋण प्राप्त कर लिया। इसके बाद ऋण नहीं चुकाया।

प्रोजेक्ट पूरा करने के लिए फिर 63 करोड़ का ऋण ले लिया। बैंकों की फर्जी एनओसी बनाकर उक्त जमीन की लोगों को रजिस्ट्रियां करवा दीं। इस मामले में ईओडब्ल्यू बैंक कर्मियों की भूमिका की भी जांच कर रही है।

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