स्क्रीनिंग कमेटी के निर्णय के बाद मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी के माध्यम से जाएगा प्रपोजल
भोपाल। राज्य सरकार का कोई भी विभाग अब भारत निर्वाचन आयोग को किसी भी विषय पर निर्णय के लिए सीधे प्रस्ताव नहीं भेज सकेगा। इसके लिए भारत निर्वाचन आयोग के निर्देश के बाद सामान्य प्रशासन विभाग ने मुख्य सचिव की अध्यक्षता में एक कमेटी का गठन कर दिया है। कोई भी प्रस्ताव आने पर पहले यह कमेटी उस पर चर्चा करेगी। इसके बाद जरूरी होने पर आयोग को प्रस्ताव भेजे जा सकेंगे।
इसको लेकर सामान्य प्रशासन विभाग द्वारा बुधवार को जारी आदेश में कहा गया है कि मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी के माध्यम से चुनाव आयोग को भेजे जाने वाले प्रस्ताव का परीक्षण करने के लिए स्क्रीनिंग कमेटी का गठन किया गया है। इसमें मुख्य सचिव, अपर मुख्य सचिव सामान्य प्रशासन विभाग, अपर मुख्य सचिव, प्रमुख सचिव या सचिव संबंधित विभाग जिनका प्रस्ताव प्रस्तुत किया जाएगा, वे शामिल रहेंगे।
आदेश में कहा गया है कि कोई भी विभाग अपना प्रस्ताव आचार संहिता लागू रहने के दौरान स्क्रीनिंग कमेटी के परीक्षण और अनुशंसा के पहले सीईओ एमपी इलेक्शन के माध्यम से सीधे भारत निर्वाचन आयोग को नहीं भेजेगा। कमेटी में प्रस्ताव पेश होने के पहले प्रशासकीय विभाग भारत निर्वाचन आयोग के निर्देशों, स्पष्टीकरण का पर्याप्त अध्ययन करेगा और इसके बाद तर्कसंगत बिन्दुओं का हवाला देते हुए ही आयोग को भेजने के लिए प्रस्तावित करेगा।
विभाग को यह बताना होगा कि यह प्रस्ताव क्यों इतना महत्वपूर्ण है और निर्वाचन प्रक्रिया पूरी होने तक इसे क्यों नहीं रोका जा सकता है। आयोग को भेजे जाने वाले प्रस्ताव स्वयं स्पष्ट टीप के रूप में भेजा जाएगा न कि नस्ती के रूप में इसे भेजा जाएगा। प्रस्ताव भेजने के पहले आयोग के निर्णय में लगने वाले संभावित समय का भी इसमें ध्यान रखना होगा।
स्क्रीनिंग कमेटी के फैसले के बाद जो फैसला होगा वह सामान्य प्रशासन विभाग के माध्यम से मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी को भेजा जाएगा और जो इन मापदंडों पर सटीक नहीं होगा, ऐसे प्रस्तावों को लौटा दिया जाएगा।
State government departments will not be able to send any proposal directly to the Election Commission.