भारतीय रिजर्व बैंक ग्राहकों को परेशान करने पर सख्ती दिखाएगा। देश के केंद्रीय बैंक ने प्रस्ताव दिया है कि लोन लेने वाले ग्राहकों को रिकवरी एजेंट कभी भी फोन करके परेशान नहीं कर सकेंगे। प्रस्ताव के अनुसार, रात में सात बजे के बाद और सुबह आठ बजे के पहले रिकवरी एजेंट के फोन करने पर पाबंदी लगाई जाएगी। इसके अलावा ग्राहकों की क्रेडिट सूचना अपडेट करने में ढिलाई बरतने पर इसका खामियाजा क्रेडिट सूचना कंपनियों (सीआईसी) को भुगतना पड़ेगा। क्रेडिट जानकारी को अपडेट करने या सुधारने में देरी पर ग्राहकों को प्रति दिन 100 रुपए की दर से मुआवजा देना होगा।
ऋ ण वसूलने सुबह 8 से पहले और शाम को 7 बजे के बाद नहीं कर सकेंगे फोन: सर्कुलर के अनुसार मुआवजा देने से इनकार करने की सूरत में शिकायतकर्ता आरबीआई लोकपाल से संपर्क कर सकता है। बता दें कि क्रेडिट इंफॉर्मेशन ब्यूरो (इंडिया) लिमिटेड (सीआईबीआईएल), इक्विफैक्स, एक्सपीरियन और सीआरआईएफ हाईमार्क भारत की कुछ प्रमुख क्रेडिट सूचना कंपनियां हैं। मुआवजे के प्रावधान के अलावा आरबीआई ने रिकवरी एजेंटों को सुबह 8 बजे से पहले, शाम 7 बजे के बाद कॉल करने से रोकने का प्रस्ताव भी तैयार किया है। ऋण वसूली के लिए सख्त नियमों का प्रस्ताव देते हुए आरबीआई ने कहा, अतिदेय ऋणों की वसूली के लिए वित्तीय संस्थान और उनके वसूली एजेंट लोन लेने वाले ग्राहकों को सुबह 8 बजे से पहले और शाम 7 बजे के बाद फोन नहीं कर सकेंगे।
कंपनियों को छह महीने का समय दिया गया
रिजर्व बैंक ने गुरुवार को कहा, क्रेडिट सूचना कंपनियों को छह महीने का समय दिया गया है। इस अवधि में क्रेडिट संस्थानों (सीआई) और सीआईसी को क्रेडिट जानकारी अपडेट में देरी पर मुआवजे की रूपरेखा लागू करने के लिए जरूरी सिस्टम विकसित करना होगा। सर्कुलर में रिजर्व बैंक ने कहा, अगर सीआई, सीआईसी के पास शिकायत दर्ज करने की प्रारंभिक तारीख से 30 कैलेंडर दिनों की अवधि के भीतर शिकायत करने वाले की शिकायात का समाधान नहीं किया जाता है, तो शिकायतकर्ता को प्रति कैलेंडर दिन 100 रुपए की दर से मुआवजा मिलेगा।