- प्राण प्रतिष्ठा से पहले प्रधानमंत्री लगातार अलग-अलग मंदिरों में दर्शन कर पूजा-अर्चना कर रहे हैं.
- पिछले कुछ दिनों के दौरान प्रधानमंत्री ने दक्षिण भारत के प्रमुख मंंदिरों का दौरा किया है.
नई दिल्ली, अयोध्या में सोमवार को होनी वाली प्राण प्रतिष्ठा समारोह की तैयारियां जोरों पर हैं. इस ऐतिहासिक मौके पर गवाह बनने के लिए दुनिया भर के हजारों गणमान्य लोग रामनगरी अयोध्या में मौजूद होंगे. प्राण प्रतिष्ठा समारोह से पहले 12 जनवरी को प्रधानमंत्री मोदी ने 11 दिन का विशेष अनुष्ठान शुरू किया. इस अनुष्ठान के बारे में खुद पीएम मोदी ने जानकारी दी और बताया कि यह उनका सौभाग्य है कि वह इस पुण्य अवसर के साक्षी बनेंगे. इस अनुष्ठान को शुरू करने के बाद से ही पीएम मोदी लगातार अलग-अलग मंदिरों में पूजा-अर्चना करते हुए नजर आए हैं. सबसे पहले पीएम मोदी 11 जनवरी को महाराष्ट्र के नासिक पहुंचे और यहां कालाराम मंदिर में पूजा अर्चना की और फिर रामकुंड में भी पूजा की. इसके बाद वह दक्षिण भारत के अलग-अलग मंदिरों में पहुंचे.
कालाराम मंदिर में पूजा अर्चना
प्रधानमंत्री ने ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा, ‘प्रभु ने मुझे प्राण प्रतिष्ठा के दौरान, सभी भारतवासियों का प्रतिनिधित्व करने का निमित्त बनाया है और इसे ध्यान में रखते हुए मैं आज से 11 दिन का विशेष अनुष्ठान आरंभ कर रहा हूं.मैं आप सभी जनता-जनार्दन से आशीर्वाद का आकांक्षी हूं.’ इस अनुष्ठान के बाद से ही पीएम मोदी लगातार विभिन्न मंदिरों में पूजा अर्चना करते हुए नजर आए. अपने अनुष्ठान के पहले दिन यानि 12 फरवरी को प्रधानमंत्री मोदी महाराष्ट्र के नासिक स्थित कालाराम मंदिर पहुंचे और यहां दर्शन कर पूजा-अर्चना की. इसके बाद उन्होंने श्री राम कुंड पर भी दर्शन और पूजा की. इस दौरान पीएम मोदी श्री कालाराम मंदिर में स्वच्छता अभियान में हिस्सा लिया. इस दौरान वह मंदिर परिसर में पोछा लगाते हुए नजर आए. प्रधानमंत्री ने इस दौरान रामायण का महाकाव्य सुना, विशेष रूप से ‘युद्ध कांड’ खंड, जिसमें भगवान राम की अयोध्या वापसी का वर्णन है. इसे मराठी में प्रस्तुत किया गया और प्रधानमंत्री ने एआई अनुवाद के माध्यम से हिंदी संस्करण सुना फिर एक्स पर इसकी जानकारी दी.
रामकुंड की पूजा
प्रधानमंत्री ने एक्स पर पोस्ट किया: ‘नासिक में श्री कालाराम मंदिर में प्रार्थना की. दिव्य वातावरण से अविश्वसनीय रूप से धन्य महसूस कर रहा हूं. वास्तव में सादगीपूर्ण और आध्यात्मिक अनुभव. मैंने अपने साथी भारतीयों की शांति और भलाई के लिए प्रार्थना की.नासिक के रामकुंड में एक पूजा में हिस्सा लिया.’
वीरभद्र मंदिर पहुंचे पीएम
इसके बाद 16 जनवरी को प्रधानमंत्री मोदी ने आंध्र प्रदेश में पुट्टपर्थी के लेपाक्षी ग्राम स्थित वीरभद्र मंदिर में दर्शन किए और पूजा की. श्री मोदी ने तेलुगु में रंगनाथ रामायण के छंद सुने और आंध्र प्रदेश की पारंपरिक छाया कठपुतली कला जिसे थोलू बोम्मालता के नाम से जाना जाता है, के माध्यम से प्रस्तुत जटायु की कहानी देखी.
त्रिप्रयार में श्री रामास्वामी मंदिर
17 जनवरी को प्रधानमंत्री केरल के त्रिप्रयार श्री रामास्वामी मंदिर पहुंच गए. त्रिप्रयार में श्री रामास्वामी मंदिर में दर्शन और पूजा-अर्चना की. श्री मोदी ने सांस्कृतिक प्रस्तुति का भी अवलोकन किया तथा कलाकारों और बटुकों को सम्मानित भी किया.प्रधानमंत्री ने एक्स पर पोस्ट करते हुए लिखा, ‘यहां पूजा अर्चना की. इस दौरान पीएम मोदी ने मलयालम में श्री अध्यात्म रामायण के छंद और अन्य भजन भी सुने.त्रिप्रयार श्री रामास्वामी मंदिर में प्रार्थना की. मलयालम में श्री अध्यात्म रामायण के छंद और अन्य भजन सुनना भी बहुत खास रहा.’
गुरुवयूर मंदिर
17 जनवरी को ही पीएम मोदीकेरल के गुरुवयूर मंदिर पहुंचे और दर्शन करने के बाद पूजा-अर्चना की.प्रधानमंत्री ने एक्स पर पोस्ट करते हुए लिखा, ‘पवित्र गुरुवयूर मंदिर में प्रार्थना की। इस मंदिर की दिव्य ऊर्जा अपरम्पार है. मैंने कामना की कि हर भारतीय सुखी और समृद्ध रहे.’
क्या है अनुष्ठान का महत्व
आपको बता दें कि शास्त्रों में देव प्रतिमा प्राण प्रतिष्ठा एक विशद एवं वृहद प्रक्रिया है. इसके लिए विस्तृत नियम बताए गए हैं जिनका प्राण प्रतिष्ठा के कई दिन पहले से पालन करना होता है. एक रामभक्त के रूप में प्रधानमंत्री जी राममंदिर निर्माण और प्राण प्रतिष्ठा के प्रति एक आध्यात्मिक साधना के भाव से समर्पित हैं. उन्होंने तय किया कि अपनी तमाम व्यस्तताओं और जिम्मेदारियों के बावजूद वो प्राण प्रतिष्ठा के दिन और उसके पूर्व के सभी नियमों और तपश्चर्याओं को उतनी ही दृढ़ता के साथ पालन करेंगे, जैसा कि शास्त्रों में निर्देश दिया गया है.इसके लिए माननीय प्रधानमंत्री जी ने प्राण प्रतिष्ठा से पूर्व 11 दिवसीय यम-नियम पालन का अनुष्ठान शुरू किया है.