245
- इजरायल और हमास की लड़ाई के बीच भारत खुलकर इजरायल का समर्थन कर रहा है.
- हमास के इजरायल पर हमले के कुछ घंटे बाद ही पीएम मोदी ने ट्वीट कर आतंकी हमले की निंदा की.
नई दिल्ली, शनिवार तड़के जब हमास ने इजरायल पर हमला किया तब इसके कुछ घंटों बाद ही प्रधानमंत्री मोदी ने हमास के हमले को आतंकी हमला करार देते हुए कहा कि मुश्किल की इस घड़ी में भारत इजरायल के साथ खड़ा है. मंगलवार को इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने पीएम मोदी से फोन पर बात की. इस बातचीत में पीएम मोदी ने एक बार फिर से दोहराया कि भारत इजरायल के साथ है और आतंकवाद के हर रूप की घोर निंदा करता है. मध्य-पूर्व के इस्लामिक देश फिलिस्तीन के साथ मजबूती से खड़े दिखते हैं और वो फिलिस्तीनियों के लिए अलग राष्ट्र की मांग करते रहे हैं. हालांकि, यूएई, बहरीन, मोरक्को जैसे कुछ इस्लामिक देशों का रुख अब इजरायल को लेकर बदल रहा है. यूएई, बहरीन ने तो हमले के लिए हमास की निंदा भी की है. भारत में भी इस मामले पर सियासी चर्चा तेज हो गई है क्योंकि भारत परंपरागत रूप से फिलीस्तीन का समर्थन करता आ रहा है लेकिन मोदी सरकार खुलकर इजरायल के साथ खड़ी दिख रही है.
हमास हमले पर प्रधानमंत्री मोदी ने किया ट्वीट
हमास के हमले के कुछ घंटों बाद ही प्रधानमंत्री मोदी ने एक्स (ट्टिटर) पर किए गए एक ट्वीट में कहा, ‘इस मुश्किल घड़ी में हम इजरायल के साथ एकजुटता से खड़े हैं.’ आमतौर पर ऐसे मामलों में भारत का विदेश मंत्रालय बयान जारी करता है लेकिन पीएम मोदी ने ऐसा न करते हुए तुरंत ट्वीट कर कहा, ‘इजरायल पर आतंकी हमलों से गहरा सदमा लगा है. हमारी प्रार्थनाएं निर्दोष पीड़ितों और उनके परिवार वालों के साथ है.’ प्रधानमंत्री के इस ट्वीट को विदेश मंत्री एस जयशंकर ने भी रीट्वीट किया. प्रधानमंत्रीमोदी ने इजरायली प्रधानमंत्री नेतन्याहू से फोन पर बातचीत को लेकर भी एक ट्वीट किया है. मंगलवार को किए ट्वीट में पीएम मोदी ने लिखा, ‘प्रधानमंत्री नेतन्याहू ने मुझे फोन कर स्थिति की ताजा जानकारी दी जिसे लेकर मैं उनका धन्यवाद करता हूं. इस मुश्किल घड़ी में भारत के लोग मजबूती से इजरायल के साथ खड़े हैं. भारत आतंकवाद के सभी रूपों की कड़ी और स्पष्ट रूप से निंदा करता है.’
पीएम मोदी के आने से इजरायल-भारत संबंधों में मजबूती
भारत-इजरायल संबंधों में ऐतिहासिक बदलाव तब आया जब साल 2014 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सत्ता में आए. भाजपा हमेशा से यह तर्क देती रही है कि भारत और इजरायल स्वाभाविक सहयोगी हैं. इसके उलट, पहले की गैर-भाजपा सरकारें तर्क देती रही थीं कि भारत को अपनी मुस्लिम आबादी के कारण इस्लामिक देशों का साथ देना पड़ा.
प्रधानमंत्री मोदी और इजरायली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू के व्यक्तिगत संबंध काफी मजबूत माने जाते हैं. पीएम मोदी से पहले किसी भारतीय प्रधानमंत्री ने इजरायल की यात्रा तक नहीं की थी. साल 2017 में प्रधानमंत्री मोदी इजरायल के दौरे पर जाने वाले पहले भारतीय प्रधानमंत्री बने. दोनों देशों ने व्यापार, कृषि, संस्कृति और रक्षा के क्षेत्रों में अपने सहयोग को बहुत अधिक बढ़ाया है. पिछले कुछ सालों में, भारत और इजरायल ने मिलकर कई संयुक्त सैन्य अभ्यास किए हैं. 2018 में नेतन्याहू भारत के दौरे पर आए थे. इस दौरे के बाद भारत-इजरायल ने अंतरिक्ष, सूचना और आतंकवाद के क्षेत्र में भी अपने सहयोग को बढ़ाया. इजरायल और भारत 2021 में बने I2U2 समूह का हिस्सा हैं और भारत इजरायल के खिलाफ संयुक्त राष्ट्र के कई प्रस्तावों से भी परहेज करता रहा है.
करीब होते भारत-इजरायल
भारत और इजरायल दोनों ही यह मानते हैं कि वो ऐसे सहयोगी हैं जिनके पड़ोस के देश काफी चुनौतीपूर्ण हैं और वो अपने दुश्मनों से घिरे हुए हैं. प्रधानमंत्री मोदी ने जब हमास के हमले की निंदा की, तब भारत में इजरायल के राजदूत नाओर गिलोन ने कहा कि इजरायल को भारत से मजबूत समर्थन मिल रहा है. उन्होंने कहा कि भारत एक प्रभावशाली देश है और वो आतंकवाद की चुनौती को समझता है.
भारत-इजरायल रक्षा संबंध
इजरायल के साथ संबंध स्थापित होने के बाद से ही दोनों देश रक्षा सहयोग में काफी आगे बढ़ गए हैं. इजरायल भारत का चौथा सबसे बड़ा रक्षा सहयोगी है. इजरायल के साथ भारत के रक्षा संबंध औपचारिक संबंधों की स्थापना से पहले से चले आ रहे हैं. 1971 और 1999 के भारत-पाकिस्तान युद्ध के दौरान इजरायल ने भारत को हथियार, गोला-बारूद और खुफिया जानकारी दी थी. दोनों देशों ने रक्षा के अलावा खुफिया, कृषि और विज्ञान आदि क्षेत्रों में सहयोग किया था. भारत अब इजरायली हथियारों के सबसे बड़े खरीददारों में से एक है. आंकड़े हर साल बदलते रहते हैं लेकिन 2017 में इजरायल भारत का सबसे बड़ा हथियार आपूर्तिकर्ता था और तब से शीर्ष निर्यातकों में से एक रहा है. भारत ने इजरायल में बने चार हेरोन मार्क-2 ड्रोन को पट्टे पर लिया है. ये ड्रोन भारत की सीमाओं पर गश्ती करते हैं. इजरायल के ये ड्रोन जरूरत पड़ने पर हथियार भी ले जा सकते हैं. घुसपैठ का पता लगाने के लिए इस्तेमाल की जाने वाली अन्य इजरायली उपकरणों में हैंडहेल्ड थर्मल इमेजिंग डिवाइस और नाइट विजन उपकरण शामिल हैं.
मध्य-पूर्व और इजरायल के बीच बैलेंस बनाता भारत
इजरायल के साथ दोस्ती निभाते हुए भारत ने फिलिस्तीन के साथ भी अपने संबंधों को बरकरार रखा है. 2017 में फिलिस्तीन के राष्ट्रपति महमूद अब्बास भारत आए थे. बाद में पीएम मोदी भी 2018 में फिलिस्तीन के दौरे पर गए थे. दोनों देशों को साधने की इस रणनीति के पीछे भारत की मध्य-पूर्व नीति है. भारत ने इजरायल के साथ बेहतर संबंध कायम किए हैं तो फिलिस्तीन, सऊदी अरब समेत मध्य-पूर्व के साथ भी रिश्तों को गहरा किया है. भारत सऊदी के साथ-साथ खाड़ी देश संयुक्त अरब अमीरात का भी अहम सहयोगी है. खाड़ी देशों में लाखों की संख्या में भारतीय रहकर काम करते हैं. इसके अलावा भारत खुद भी जिहादी आतंकवादी समूहों के हमलों के प्रति संवेदनशील रहा है और वो इजरायल की सुरक्षा चिंताओं को समझता है. पीएम मोदी के बयान से पता चलता है कि भारत इजरायल के साथ अपने संबंधों को दीर्घकालिक रणनीतिक हितों के लिए बेहद महत्वपूर्ण मानता है.