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राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने दुनिया को बताई आदिवासी समाज की खासियत, झारखंड को लेकर हुईं इमोशनल

  • झारखंड में खूंटी जिले के दौरे पर रहीं राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू.
  • ओडिशा में जन्म और झारखंड से अपने कनेक्शन पर हो गईं इमोशनल.
    खूंटी.
    देश की रष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू अपने तीन दिवसीय झारखंड दौरे पर हैं. रष्ट्रपति अपने दौरे के दूसरे दिन गुरुवार को खूंटी जिला में आयोजित SHG ग्रुप की महिला सम्मेलन में शामिल हुईं. इस दौरान राष्ट्रपति ने खुद को झारखंड से जोड़ते हुए कहा कि मैं हूं उड़ीसा की, मगर मेरे शरीर में झारखंड का खून है. उन्होंने महिलाओं से कहा कि मेरी दादी झारखंड से थी. स्वयं सहायता समूह की महिलाओं को संबोधित करते हुए द्रोपदी मुर्मू ने कहा कि उन्हें खुद की तहत को पहचानने की जरूरत है. समाज मे दो कदम आगे बढ़ कर अपने अधिकार को पाना होगा. राष्ट्रपति ने कहा कि महिला होने और आदिवासी समाज मे जन्म लेने पर उन्हें गर्व है. द्रौपदी मुर्मू ने कहा कि झारखंड में करीब 1 करोड़ आबादी आदिवासियों की है. इनमें से आधी संख्या महिलाओं की है. देश में 700 तरह के आदिवासी हैं. आज महिलाओं के काम को देख कर खुश हूं. आज महिलाएं बहुत कुछ कर रही हैं. मैंने स्टॉल भ्रमण के दौरान महिलाओं के काम को देखा. 9वीं पास महिला कम्प्यूटर पर अपने काम की जानकारी दे रही है. आज दौर में रोटी-कपड़ा और मकान ही नहीं अब रोजगार के बारे सोचने की जरूरत है. अपने अंदर की असीम संभावना को पहचानने की जरूरत है. द्रौपदी मुर्मू ने कहा कि दहेज राक्षस की तरह है और खुशी की बात यह है कि आदिवासी समाज में दहेज के चलन नहीं है. आज दूसरे समाज के लोग इसका अनुकरण कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि अपनी संस्कृति को बचाना और उसी के साथ आगे बढ़ने की जरूरत है.

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