सामान्य प्रशासन विभाग ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश का हवाला देकर दिए निर्देश
भोपाल। प्रदेश में अब भ्रष्टाचार करने वाले अधिकारियों-कर्मचारियों पर जांच एजेंसियों के साथ विभागीय जांच और कार्रवाई भी एक साथ चल सकेगी। ऐसे में भ्रष्ट अधिकारी-कर्मचारियों पर चौतरफा शिकंजा कसेगा। 9 वर्ष पहले सर्वोच्च न्यायालय के एक निर्देश के बाद जांच एजेंसियों के साथ विभागीय जांच या कार्रवाई बंद हो गई थी। लेकिन बीते 17 नवंबर को सर्वोच्च न्यायायालय ने नई व्यवस्थादे दी है। उक्त व्यवस्था के पालन में मध्यप्रदेश सामान्य प्रशासन विभाग ने 9 साल पुराने सर्कुलर को निरस्त कर दिया है।
पुरानी व्यवस्था के तहत यदि किसी सरकारी अधिकारी कर्मचारी पर लोकायुक्त संगठन या ईओडब्ल्यू द्वारा ट्रैप और छापेमारी कार्रवाई की जाती है, तो ऐसे मामलों में समानांतर जांच करने का अधिकार विभाग को नहीं था। लेकिन यह सर्कुलर निरस्त होने के बाद अब सामान्य प्रशासन विभाग ने शासन के सभी विभाग, सभी संभागीय आयुक्त, सभी विभागाध्यक्ष और सभी कलेक्टर को ये अधिकार दे दिया है।
अपने आदेश में विभाग ने सर्वोच्च न्यायालय के राजस्थान स्टेट वर्सेस बीके मीना के मामले का हवाला दिया है। इसमें कहा गया है कि तथ्यों और साक्ष्यों के आधार पर आरोपी अधिकारी कर्मचारी के खिलाफ आपराधिक मामलों में कार्रवाई और विभागीय कार्रवाई समानांतर की जा सकती है।
सामान्य प्रशासन विभाग के सचिव डॉक्टर श्रीनिवास शर्मा ने आदेश जारी किया है, जिसमें उल्लेख किया है कि सर्वोच्च न्यायालय के फैसले और विधि विभाग के अभिमत के आधार पर पहले वाले सर्कुलर को निरस्त किया जाता है और नई व्यवस्था को लागू करने के निर्देश दिए जाते हैं।
यह है पूरा मामला
सामान्य प्रशासन विभाग ने 17 फरवरी 1999 को लोकायुक्त और ईओडब्लू की जांच के साथ विभागीय जांच के लिए सर्कुलर जारी किया था। 30 जुलाई 2013 को सामान्य प्रशासन विभाग ने 17 फरवरी 1999 के सर्कुलर को यह कहते हुए निरस्त कर दिया था कि विभागीय जांच में संबंधित कर्मचारी अधिकारी के खिलाफ अनावश्यक टिप्पणी लिखी जाती है, इससे आगे की कार्रवाई और कोर्ट में परेशानी होती है। अब सामान्य प्रशासन विभाग ने एक बार फिर सर्वोच्च न्यायालय का हवाला देते हुए लोकायुक्त, ईओडब्ल्यू के साथ-साथ विभागीय जांच समानांतर करने का निर्देश जारी किया है।
शिकंजा हर तरफ से कसेगा
सामान्य प्रशासन विभाग के नए निर्देशों के अनुसार सरकारी कर्मचारी, अधिकारी के खिलाफ हो रही लोकायुक्त और ईओडब्ल्यू की जांच के समानांतर संबंधित विभाग भी अपनी जांच शुरू कर सकता है। ऐसा करने से भ्रष्ट अधिकारी कर्मचारी के बचने की उम्मीद कम रह जाती है। इन्वेस्टिगेशन एजेंसी के साथ उस पर विभाग का शिकंजा भी कसता है।
Now departments will be able to take action along with investigative agencies in MP.
mp mein ab jaanch ejensiyon ke saath vibhaag bhee kar sakenge kaarravaee.