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‘भारत ने विश्वमित्र के रूप में जगह बनाई, कुछ लोगों को फिर भी देश पर शक’ : मोदी

  • हम भले नए भवन में जाएंगे लेकिन पुराना भवन भी आने वाली पीढ़ियों को हमेशा प्रेरणा देता रहेगा
  • देश की अलग-अलग सरकारों ने देश के गौरव गान और आन-बान-शान को बढ़ाने का काम किया है.
    नई दिल्ली.
    संसद के विशेष सत्र को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लोकसभा में कहा कि प्रेरक पलों को याद करते हुए आगे बढ़ने का अवसर है. हम सब इस ऐतिहासिक सदन से विदा ले रहे हैं. हम भले नए भवन में जाएंगे लेकिन पुराना भवन भी आने वाली पीढ़ियों को हमेशा प्रेरणा देता रहेगा. इस सदन के माध्यम से मैं फिर एक बार देश के वैज्ञानिकों व उनके साथियों को कोटि- कोटि बधाई देता हूं. पीएम मोदी ने कहा कि मैं जी-20 की सफलता के लिए आपका आभार व्यक्त करता हूं. ये भारत की सफलता है, किसी व्यक्ति, किसी दल की सफलता नहीं है. पीएम नरेंद्र मोदी ने कहा कि देश की अलग-अलग सरकारों ने देश के गौरव गान और आन-बान-शान को बढ़ाने का काम किया है. मैं उस इमोशनल पल को भूल नहीं सकता, जब अफ्रीकन यूनियन को जी-20 की मेंबरशिप मिली. पीएम मोदी ने यह भी कहा कि भारत के प्रति शक करने का स्वभाव कई लोगों का बना हुआ है. हम सबके लिए गर्व की बात है कि आज भारत विश्वमित्र के रूप में अपनी जगह बना पाया. पूरा विश्व भारत में अपना मित्र खोज रहा है. पीएम मोदी ने कहा कि इस सदन से विदाई लेना एक बेहद भावुक पल है. परिवार भी अगर पुराना घर छोड़कर नए घर जाता है, तो बहुत सारी यादें उसे कुछ पल के लिए झकझोर देती है. हम इस सदन को छोड़कर जा रहे हैं तो हमारा मन मस्तिष्क भी उन भावनाओं से भरा हुआ है और अनेक यादों से भरा हुआ है. उत्सव-उमंग, खट्टे-मीठे पल, नोक-झोंक इन यादों के साथ जुड़ा है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि आजादी के पहले यह सदन इंपीरियल लेजिस्लेटिव काउंसिल का स्थान हुआ करता था. आजादी के बाद इसे संसद भवन के रूप में पहचान मिली. यह सही है कि इस इमारत के निर्माण करने का फैसला विदेश शासकों का था. लेकिन यह बात हम न कभी भूल सकते हैं और हम गर्व से कह सकते हैं इस भवन के निर्माण में पसीना मेरे देशवासियों का लगा था, परिश्रम मेरे देशवासियों का लगा था और पैसे भी मेरे देश के लोगों के थे. पीएम नरेंद्र मोदी ने कहा कि जब संसद भवन पर आतंकी हमला हुआ यह आतंकी हमला किसी इमारत पर नहीं बल्कि एक प्रकार से लोकतंत्र की जननी, हमारी जीवित आत्मा पर हमला था. उस घटना को देश कभी नहीं भूल सकता. मैं उन लोगों को भी नमन करता हूं जिन्होंने आतंकवादियों से लड़ते हुए संसद और उसके सभी सदस्यों की रक्षा के लिए अपने सीने पर गोलियां खाईं.
    इसी सदन में ऐतिहासिक निर्णय लिए गए
    प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी लोकसभा में अपने संबोधन में सरकार द्वारा लिए फैसलों को याद करते हुए कहा, ‘इसी सदन में ऐतिहासिक निर्णय लिए गए. जीएसटी का फैसला यहीं हुआ. आर्टिकल 370 का फैसला यहीं हुआ. वन नेशन, वन टैक्स का निर्णय यहीं हुआ.’
    नेहरू जी के शब्द प्रेरित करते हैं
    प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा, ‘नेहरू जी के शब्द प्रेरित करते हैं. नेहरू जी की गूंज प्रेरणा देती है. नए संविधान पर यहीं मंथन हुआ. लोकतंत्र के मंदिर को नमन, कर्मचारियों का योगदान याद रहेगा. सदन में सभी का योगदान रहा’
    कोरोना काल में भी सांसद सदन में आए
    लोकसभा में अपने संबोधन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा, ‘कोरोना में भी हमारे माननीय सांसद कोरोना काल की संकट की घड़ी में भी इस सदन में आए. हमने राष्ट्र का काम नहीं रुकने दिया. राष्ट्र का काम रुकना नहीं चाहिए. इसे हर सदस्य ने अपना कर्तव्य मान लिया. हजारों सांसदों ने सदन का मान बढ़ाया.
    हर जगह भारतीयों की उपलब्धियों की चर्चा हो रही है
    लोकसभा में संबोधित करते हुए पीएम मोदी ने कहा, ‘आज हर जगह सभी भारतीयों की उपलब्धियों की चर्चा हो रही है. यह हमारी संसद के 75 वर्षों के इतिहास के दौरान हमारे एकजुट प्रयासों का परिणाम है. चंद्रयान-3 की सफलता ने न केवल भारत बल्कि दुनिया को गौरवान्वित किया है. इसने भारत की ताकत का एक नया रूप उजागर किया है जो तकनीक, विज्ञान, हमारे वैज्ञानिकों की क्षमता और देश के 140 करोड़ लोगों की ताकत से जुड़ा है. आज, मैं फिर से हमारे वैज्ञानिकों को बधाई देना चाहता हूं.’
    इस संसद में जो पैसा और मेहनत लगा, वह मेरे देशवासियों का था
    प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संसद की 75 साल की यात्रा पर चर्चा करते हुए कहा, ‘हम सभी इस ऐतिहासिक इमारत को अलविदा कह रहे हैं. आज़ादी से पहले यह सदन इंपीरियल लेजिस्लेटिव काउंसिल का स्थान था. आजादी के बाद इसे संसद भवन को पहचान मिली. यह सच है कि इस इमारत के निर्माण का निर्णय विदेशी शासकों ने लिया था, लेकिन हम कभी नहीं भूल सकते और गर्व से कह सकते हैं कि इसके निर्माण में जो मेहनत, मेहनत और पैसा लगा, वह मेरे देशवासियों का था.”

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