सिंगरौली और भोपाल में हुए टीडीएस सर्वे में हुआ खुलासा
भोपाल। आयकर विभाग ने प्रदेश में एक बैंक और एक माइनिंग कम्पनी में 775 करोड़ रुपए का टीडीएस घोटाला पकड़ा है। विभाग द्वारा की गई टीडीएस सर्वे की कार्रवाई में सात साल से अधिक समय से टीडीएस की राशि कटौती करने के बाद भी सरकार के खाते में जमा नहीं करना पाया गया है। इस गड़बड़ी के खुलासे के बाद अब बैंक और कम्पनी के विरुद्ध पेनाल्टी लगाने और रिकवरी की कार्यवाही की जा रही है।
आयकर अधिकारियों के अनुसार दो अलग-अलग मामले सितम्बर में हुई जांच में पकड़ में आए हैं। सर्वे कार्रवाई में पाई गई गड़बड़ के कैलकुलेशन के बाद यह सामने आया है कि सिंगरौली जिले की गजराज माइनिंग कम्पनी के संचालकों ने बड़ा गड़बड़झाला किया है।
इस कम्पनी द्वारा वर्ष 2016-17 से 2023-24 के बीच कर्मचारियों के वेतन से टीडीएस की राशि की कटौती तो की गई लेकिन इसे सरकार के खाते में जमा नहीं कराया गया। इसका असर यह हुआ कि जब विभाग ने सर्वे किया तो 675 करोड़ रुपए के टीडीएस की राशि जमा नहीं होना पाई गई जिसकी 15 करोड़ की राशि दिया जाना बाकी है। इस कम्पनी के विरुद्ध की गई जांच में यह बात सामने आई है कि ये रिटर्न फाइल नहीं करते थे।
भोपाल के सहकारी बैंक में भी मिली गड़बड़ी
अफसरों के अनुसार भोपाल को आपरेटिव सेंट्रल बैंक में भी बैंक के अधिकारियों द्वारा राशि जमा करने में गड़बड़ी की है। सर्वे में पाया गया कि बैंक ने एफडीआर के इंट्रेस्ट अमाउंट पर टीडीएस की राशि नहीं काटी थी। इस तरह के करीब 96 करोड़ के अमाउंट पर 13.3 करोड़ रुपए जमा कराए जाने के लिए कहा गया है। इस तरह दोनों ही संस्थानों में करीब 775 करोड़ रुपए के टीडीएस की राशि जमा होने में गड़बड़ पाए जाने पर आयकर विभाग आयकर अधिनियम की धारा 194 (एन) के अंतर्गत कार्यवाही कर रहा है।
यह है टीडीएस जमा करने का नियम
आयकर विभाग के वरिष्ठ अफसरों के अनुसार अधिनियम में प्रावधान है कि टीडीएस राशि काटने के बाद अगले माह की सात तारीख तक संबंधित संस्था को सरकार के खाते में राशि जमा करना अनिवार्य है। ऐसा नहीं करने पर दो माह की अवधि बीतने के बाद आयकर विभाग ऐसे संस्थानों के विरुद्ध प्रासिक्यूशन की कार्रवाई कर सकता है। गजराज माइनिंग कम्पनी सिंगरौली और भोपाल को आपरेटिव सेंट्रल बैंक के विरुद्ध टीडीएस सर्वे में पाई गई गड़बड़ी पर एक्शन इसी प्रावधान के अंतर्गत किया गया है।
Income tax TDS wing caught tax irregularities worth Rs 775 crore.