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सहारा समूह के फंड को कब्जे में ले सकती है सरकार

  • सरकार सहारा-सेबी रिफंड अकाउंट में पड़ी लावारिस रकम को अपने कब्जे में ले सकती है.
  • पिछले 11 वर्षों से यह रकम पात्र निवेशकों को लौटाई नहीं जा सकी है.
  • बैंकों में जमा की गई कुल राशि 25,163 करोड़ में से सिर्फ 138 करोड़ का भुगतान किया गया.
    नई दिल्ली. सहारा ग्रुप के फाउंडर सुब्रत रॉय सहारा की मौत के बाद, सहारा की वित्तीय योजनाओं में फंसे लोगों के पैसों का क्या होगा? हर निवेशक इस सवाल का जवाब जानना चाह रहा है. इस बीच खबर है कि केंद्र सरकार सहारा-सेबी रिफंड अकाउंट में पड़ी लावारिस रकम को अपने कब्जे में ले सकती है. दरअसल यह रकम इस समय सहारा के निवेशकों को लौटाने के लिए स्पेशल बैंक अकाउंट्स में पड़ी है. पिछले 11 वर्षों से यह रकम पात्र निवेशकों को लौटाई नहीं जा सकी है. ऐसे में सुब्रत रॉय के निधन के बाद केंद्र सरकार इस पैसे को भारत सरकार की संचित निधि में जमा करा सकती है, जिससे यह रकम पात्र निवेशकों को लौटाई जा सके.
    11 वर्षों से खाते में लावारिस पड़ी रकम
    ईटी की एक रिपोर्ट के अनुसार, रिफंड अकाउंट ओपन होने के बाद से पिछले 11 वर्षों में मुश्किल से ही कोई दावेदार सामने आया है. नाम नहीं छापने की शर्त पर एक अधिकारी ने कहा कि निवेशकों को पैसा वापस करने के लिए एक अलग खाते के साथ, पैसे को भारत की संचित निधि में रखने का विकल्प खोजा जा रहा है. अगर दिए गए विवरणों के सत्यापन के बाद, सेबी अपने सभी या किसी भी ग्राहक का पता नहीं ढूंढ पाता है, तो ऐसे ग्राहकों से एकत्र की गई राशि सरकार को आवंटित कर दी जाएगी. रिपोर्ट में कहा गया है कि इस फंड का इस्तेमाल गरीब समर्थक कार्यक्रमों या जन कल्याण के लिए किए जाने की उम्मीद है.
    25,000 में से सिर्फ 138 करोड़ का भुगतान
    31 मार्च तक, समूह से वसूल की गई और सरकारी बैंकों में जमा की गई कुल राशि 25,163 करोड़ रुपये थी. इसमें से 48,326 खातों से जुड़े 17,526 आवेदनों पर 138 करोड़ रुपये का भुगतान किया गया था. वास्तविक जमाकर्ताओं के वैध बकाए के भुगतान के लिए सहकारी समितियों के केंद्रीय रजिस्ट्रार को 5,000 करोड़ रुपये ट्रांसफर किए. गृह मंत्री अमित शाह ने रिफंड प्रोसेस को सुविधाजनक बनाने के लिए सहारा जमाकर्ताओं के लिए पोर्टल लॉन्च किया था.

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